उतरौला(बलरामपुर) माहे रमजान के तीसरे जुमा को शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों के मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा किया गया।
मौलाना बरकत अली ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और जकात फर्ज है वह लोग इसकी रकम जल्द से जल्द गरीबों तक पहुंचा दें ताकि गरीब मुसलमान भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।उन्होंने कहा कि अल्लाह ने सभी शरई मालदार मुसलमानों पर सदका-ए-फित्र वाजिब और जकात को फर्ज किया है।शरीयत ने मुसलमानों को हुक्म दिया है कि जो साहिबे निसाब (शरई मालदार) मुसलमान हैं वो सदका-ए-फित्र की रकम अपनी और अपने नाबालिग औलाद की तरफ से निकाले। सदका-ए-फित्र वाजिब होने के लिए रोजा रखना शर्त नही है अगर किसी बीमारी, सफर या किसी अन्य वजह से रोजा न रख सकें तब भी वाजिब है। ईद की नमाज से पहले जो इसके शरई हकदार हैं उन तक ये रकम पहुंचा दें ताकि गरीब, व यतीम भी ईद मना सकें।ज्यादातर लोग सदका-ए-फित्र ईद की नमाज से पहले अदा करते हैं लेकिन और पहले अदा करने से उन गरीबों को कपड़े वगैरह लेने व सिलाने का मौका मिल सके। जकात मुसलमानों पर अल्लाह ने फर्ज की है वहीं सदका-ए-फित्र वाजिब ।अमूमन लोग सदका-ए-फित्र को जकात समझ लेते हैं जबकि ये दोनों अलग अलग हैं।मौलाना बरकत अली ने जकात व फित्रा पर रोशनी डालते हुए कहा कि जकात कुल माल पर 2.5 प्रतिशत अदा करनी है वहीं सदका-ए-फित्र 2किलो 47ग्राम गेहूं या इसकी बाजार मूल्य की कीमत गरीब,बेवा,बेसहारा,यतीमों या मदरसों के तल्बा को अदा करनी है।या इससे बढ़ाकर भी दे सकते हैं अफजल है लेकिन कम नहीं होनी चाहिए ।
आवाम की आसानी के लिए इसकी कीमत तय कर दी गई है।हां अगर तय वजन से कम अनाज या रकम दी तो सदका-ए-फित्र अदा न होगा।अपने गेहूं की वजन के कीमत मालूम कर अपनी हैसियत के मुताबिक अदा करें।
असग़र अली
उतरौला
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