दिल्ली में समाजवादी पार्टी और गठबंधन दलों का हंगामा: वोट चोरी के आरोपों पर जोरदार प्रदर्शन, अखिलेश यादव का इस प्रदर्शन को द न्यूयॉर्कटाइम्स ने भी न्यूयॉर्क अखबार ने छापा
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) और इंडिया गठबंधन के सांसदों ने दिल्ली में संसद से निर्वाचन आयोग के कार्यालय तक मार्च निकालकर वोट चोरी और बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस मार्च में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड्स को लांघकर प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
प्रदर्शन की वजह: वोट चोरी और एसआईआर पर सवाल
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोट चोरी हुई और बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) से लाखों मतदाताओं, खासकर अल्पसंख्यक समुदायों, को वोट देने से वंचित किया जा सकता है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "मैंने खुद 18,000 शिकायतें शपथ पत्र के साथ चुनाव आयोग को दीं, जिसमें यादव और मुस्लिम समुदायों के वोट हटाए जाने की बात थी। आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।"
मार्च में करीब 300 सांसद शामिल हुए, जिनमें कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, और शरद पवार जैसे दिग्गज नेता थे। प्रदर्शनकारियों ने "वोट चोरी" और "एसआईआर" लिखे हुए लाल क्रॉस के साथ सफेद टोपी पहनी थी। दिल्ली पुलिस ने मार्च को रोकने की कोशिश की, जिसके बाद कई सांसदों को हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया।
अखिलेश का न्यूयॉर्क अखबार में बयान
इस मुद्दे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। न्यूयॉर्क के एक प्रमुख अखबार ने अखिलेश यादव के बयान को प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने कहा, "भारत का लोकतंत्र खतरे में है। वोट चोरी और मतदाता सूची में हेरफेर एक सुनियोजित साजिश है, जो संविधान और 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत को कमजोर कर रही है।" इस बयान ने भारत में विपक्षी दलों के आंदोलन को वैश्विक मंच पर उजागर किया।
पुलिस और सरकार का रुख
दिल्ली पुलिस ने बताया कि केवल 30 सांसदों को निर्वाचन आयोग से मिलने की अनुमति थी, लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस सीमा को तोड़ने की कोशिश की। दूसरी ओर, भाजपा ने इन प्रदर्शनों को "अराजकता फैलाने की साजिश" करार दिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "विपक्ष अवैध प्रवासियों को वोट देने का मौका देना चाहता है।" निर्वाचन आयोग ने भी इन आरोपों को "भ्रामक" बताया और कहा कि एसआईआर में सभी दलों की सहमति थी।
विपक्ष का अगला कदम
प्रदर्शन के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक डिनर का आयोजन किया, जिसमें इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। यह प्रदर्शन विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक था, लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन में दरारें भी दिख रही हैं, क्योंकि पहले कुछ कांग्रेस के नेतृत्व वाले प्रदर्शनो
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर VoteChori और AkhileshYadav ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने अखिलेश के बैरिकेड लांघने की तारीफ की, तो कुछ ने इसे नाटक बताया। एक यूजर ने लिखा, "अखिलेश यादव ने दिखा दिया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं।"
क्या होगा असर?
बिहार में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह विवाद और गहरा सकता है। विपक्ष का दावा है कि यह आंदोलन अब जनता का आंदोलन बन चुका है, जिसमें 15 लाख से ज्यादा समर्थन पत्र और 10 लाख मिस्ड कॉल्स 24 घंटे में मिले हैं। क्या यह मुद्दा चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
रिपोर्टर, सौरभ जौनपुर हिंदी सवाद न्यूज़

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