औरैया // कृषि विज्ञान केंद्र ग्वारी औरैया के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ बृज विकाश सिंह ने बताया कि बकरी पालन ग्रामीण युवाओं की आत्मनिर्भरता एवं आर्थिक स्वतंत्रता के लिए एक सशक्त साधन है इसके आलावा उन्होंने बताया कि यदि सही तरीके से और वैज्ञानिक विधियों से यदि बकरी पालन किया जाए तो ग्रामीण परिवार निश्चित रूप से अच्छी आय अर्जित कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

बकरी पालन मुख्यतः कुछ तकनीकी बातों जैसे नस्ल, उनका आवास, आहार तथा रोग बीमारियों का प्रबंधन इत्यादि के बारे में जानना बहुत जरूरी है, बकरी की नस्ल का चयन हमेशा सोच समझ कर करना चाहिए जिनमें ''बरबरी, ब्लैक बंगाल, सिरोही, अलवरी, जमुनापारी, बीटल इत्यादि प्रमुख नस्लें हैं,, यह व्यवसाय 10 बकरी अथवा 1 बकरे के साथ शुरू करना सर्वोत्तम होता है बकरी पालन कम व्यय में शुरू होता है और कुछ वर्षों में ही इसमें बढ़ोतरी शुरु हो जाती है तथा अच्छा लाभ प्राप्त होता है यह व्यवसाय ग्रामीणों के लिए एक तरह से ATM की तरह कार्य करता है जैसे परिवार को जब पैसे की जरूरत हो तब एक बकरी या बकरा बेच कर जरूरत अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं जिससे परिवार पर अतिरिक्त कर्ज नहीं आएगा।

बकरी पालन में आवास बंद खुला दोनों होना चाहिए आवास को सूखा और शोधित रखना आवश्यक है बकरी का आहार में सूखा चारा हरा चारा तथा दाना और खनिज मिश्रण तथा नमक खिला चाहिए मात्र नस्ल तथा वजन के आधार पर होनी चाहिए बकरी को कभी भी जुलाई से सितंबर तक बाहर चराने नहीं ले जाना चाहिए बकरियों को रोग और बीमारियों के प्रबंधन में पशु चिकित्सक से सलाह लेते रहना चाहिए तथा उनकी सलाह से वर्ष में चार बार परजीवी नाशक खिलाने चाहिए तथा PPR नमक बीमारी से रोकता जिसके लिए टीकाकरण करना आवश्यक है जिले के किसान भाई अधिक जानकारी के लिए ग्वारी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र औरैया में किसी भी कार्य दिवस में आकार जानकारी या सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट :- जितेन्द्र कुमार 

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