उतरौला बलरामपुर- उतरौला तहसील क्षेत्रों में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली का पर्व पूरे हर्षोउल्लासऔर परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। थाना रेहरा बाजार,थाना सादुल्लाह नगर, थाना गेंडास बुजुर्ग, थाना श्रीदत्तगंज, ग्राम चमरूपुर, महदइया बाजार, पेहर बाजार, महुवा बाजार इटई रामपुर, सहित सभी ग्रामीण क्षेत्रों में और उतरौला नगर के आस पास इलाकों में दीपों की जगमगाहट और खुशि यों की चमक हर ओर बिखरी हुई दिखाई पड़ी  पूरा क्षेत्र दीपमालाओं से आलोकित हो उठा,और लोगों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई।सुबह से ही बाजारों में रौनक दिखाई सी दिखाई पड़ रही थी। लोग नए वस्त्र धारण कर पूजा-पाठ के सामान,दीपक, फूल- मालाएं और मिठाइयां खरीदने के लिए बाजारों में काफी भीड़ उमड़ पड़ी। शाम होते-होते उतरौला बाजार में श्रद्धा लुओं का रुखदुःखहरण नाथ मन्दिर की ओर आकर्षित रहा,जहां भगवान भोलेनाथ,दुःख हरण नाथ बाबा, बाला सुन्दरी महारानी और श्री हनुमान जी महाराज का विधिवत पूजन- अर्चना किया गया। मन्दिर के प्रांगण में दीपों की लौ और भजन- कीर्तन से वाता वरण भक्तिमय हो उठा।
इसके बाद लोगों ने अप ने घरों में दीप प्रज्वलित करने के लिए दीपोत्सव की शुरुआत की। घरों के आंगन,चौखट,छत और दीवारों पर सजे दीपों से नगर का हर कोना जगमगाने लगा। महिलाओं ने पारम्परिक अल्पना और रंगोलीबना कर अपने घरों की सुन्दर सजावट की। बच्चों में काफी उत्साह का विशेष माहौल रहा, उन्होंने पटाखे फोड़े, फुल झड़ियां जलाईं और देर रात तक उत्सव का आनन्द लियाबुजुर्गों ने घर-परिवार की सुख- समृद्धि की कामना कर ते हुए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूज न किया। परिवारों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर दीपावली की शुभ कामनाएं दीं।बाजा रों में “शुभ दीपावली” की गूंज सुनाई देतीरही।
दीपावली पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाओं का भी लोगों ने स्मरण किया। मान्यता यह है कि भगवान श्री रामजब 14 वर्ष का वनवास पूरा कर माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो उनके स्वागत में अयो ध्या वासियों ने दीप जलाए थे। उसी ऐतिहा सिक क्षण की स्मृति में हर वर्ष दीपावली कापर्व मनाया जाता है। इसी प्रकार, समुन्द्र मंथन के दौरान इसी दिन देवी लक्ष्मी के प्रकट होने की कथा भी प्रचलित है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इसे ‘नरक चतुर्दशी’ के रूप में भी मनाया जाता है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर16,000 कन्या ओं को मुक्त कराया था।
दीपावली का यह पर्व केवल दीपों का उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश,असत्य पर सत्य और नफरत पर प्रेम की विजय का प्रतीक माना जाता है। उतरौला नगर के आस पास सभी क्षेत्रों में इस त्यौहार ने सामाजिक एकता और धार्मिक सौहार्द का सशक्त सन्दे श दिया गया है। नगर वासियों ने कामना की है कि दीपों की यह रौश नी हर घर में सुख, समृ द्धि और नई ऊर्जालेकर आयी है। रात ढलने तक पूरा उतरौला और उसके आस-पास का इलाका दीपों की जग मगाहट से आलोकित रहा, मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।

           हिन्दी संवाद न्यूज से
          असगर अली की खबर
            उतरौला बलरामपुर। 

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने