मुख्यमंत्री ने जनपद बस्ती में सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ
माध्यमिक विद्यालय का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया

शिक्षण संस्थान केवल ज्ञान के माध्यम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों
के सर्वांगीण विकास की आधारशिला : मुख्यमंत्री

सरस्वती शिशु मन्दिर से निकले विद्यार्थी समाज को नई गति देकर
प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत संकल्प से प्रतिबद्धता के साथ जुड़ रहे

सरस्वती शिशु मन्दिर के इस बड़े प्रकल्प को अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान
विद्या भारती के तत्वावधान में नए रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया

देश में विद्या भारती शिक्षण संस्थान के अन्तर्गत संचालित
हजारों शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएं राष्ट्र निर्माण के अभियान से जुड़ीं

हमें प्रभु श्रीराम व लीलाधारी श्रीकृष्ण की
परम्परा व विरासत पर गौरव की अनुभूति होती

भारत के लिए बलिदान देने वाले महापुरूषों का सम्मान करना व
उनकी विरासत का संरक्षण करना प्रत्येक भारतीय का दायित्व

भारत और भारतीयता को बचाने के लिए
महाराजा सुहेलदेव ने अपना जीवन समर्पित कर दिया

प्रधानमंत्री जी ने ‘वोकल फॉर लोकल‘ अवधारणा पर बल दिया,
पर्व व त्योहारों पर स्थानीय हस्तशिल्पियों व कारीगरों द्वारा निर्मित
वस्तुओं को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए

टेक्नोलॉजी का उपयोग उतना ही होना चाहिए, जो हमारे लिए उपयोगी हो

उ0प्र0 देश का ग्रोथ इंजन बनकर प्रथम
अर्थव्यवस्था बनने की ओर निरन्तर अग्रसर


लखनऊ : 09 सितम्बर, 2025 :ः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारतीय मनीषा ने ज्ञान के विषय में कहा है कि ‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात विद्या वह है, जो हमारी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दे। मुक्ति का तात्पर्य यह है कि विद्या हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशस्त कर दे। भारत में ऐसे शिक्षण संस्थानों की स्थापना आवश्यक है, जो भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान दे सकें। आज महर्षि वशिष्ठ की स्मृति से जुड़ी हुई इस पावन धरा पर सरस्वती विद्या मन्दिर का भूमि पूजन किया जा रहा है। सरस्वती शिशु मन्दिर के इस बड़े प्रकल्प को अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान विद्या भारती के तत्वावधान में नए रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद बस्ती में सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का भूमि पूजन एवं शिलान्यास करने के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने मंत्री डॉ0 शैलेश सिंह द्वारा लिखित पुस्तक पं0 दीन दयाल उपाध्याय एवं एकात्मक मानवदर्शन का विमोचन किया। कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री जी ने विद्यालय के प्रांगण में पौधरोपण किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिन कारकों से यह देश परतंत्र हुआ था, उन कारकों का सामधान करने के लिए स्वतंत्र भारत में तत्काल कोई उपचारात्मक उपाय नहीं किए गए। इन्हीं विसंगतियां को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन प्रचारक श्रद्धेय नाना जी देशमुख के नेतृत्व में गोरक्ष प्रान्त के गोरखपुर में सरस्वती शिशु मन्दिर की पहली शाखा स्थापित की गई थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरक्ष प्रान्त सौभाग्यशाली है कि उसे विद्या भारती जैसे अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान की मातृभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है। देश में विद्या भारती शिक्षण संस्थान के अन्तर्गत संचालित हजारों शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएं राष्ट्र निर्माण के अभियान से जुड़ी हुई हैं। शिक्षण संस्थान केवल ज्ञान के माध्यम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की आधारशिला भी रखते हैं। यदि शिक्षा संस्कारयुक्त, महापुरूषों, मातृभूमि व राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव से युक्त व मूल्यों पर आधारित नहीं है, तो वह शिक्षा नहीं, भटकाव का माध्यम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरस्वती शिशु मन्दिर से निकले विद्यार्थी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समाज को नेतृत्व प्रदान करने के साथ मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। यह विद्यार्थी समाज को नई गति देकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प से प्रतिबद्धता के साथ जुड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। किसी भी देश को शक्तिशाली, आत्मनिर्भर व सामर्थ्यवान बनने की शुरूआत शिक्षा से होती है। दुनिया में समृद्धि का पहला पैरामीटर शिक्षा ही है। शिक्षा के बाद स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के बाद कृषि व जल संसाधन तथा इसके बाद कौशल विकास व रोजगार को प्राथमिकता दी जाती है। पर्यावरण अनुकूल विकास कार्य करना आवश्यक है। इन सभी पैरामीटर्स के माध्यम से समग्र विकास की अवधारणा तय की जाती है। समग्र विकास के लक्ष्य के साथ जब कोई अभियान आगे बढ़ता है, तो वह देशहित के साथ-साथ मानवता का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब बिना किसी योजना के कार्य करते हैं, तो हम असफल हो जाते हैं। किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक अच्छी कार्ययोजना का होना आवश्यक है। सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रस्तुत किये जाने वाले बजट का एक तय विजन होता है। प्रधानमंत्री जी ने भारत की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में देशवासियों से आगामी 25 वर्षों की कार्ययोजना बनाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि भारत विकसित तब बनेगा, जब यहां का प्रत्येक नागरिक पंचप्रणों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएगा। हमें अपनी विरासत का सम्मान करना होगा। अपने पूर्वजों व परम्पराओं पर गौरव की अनुभूति करनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने संकल्प लिया था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। यह उद्घोष वर्ष 1953 में डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था। प्रधानमंत्री जी ने डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संकल्प को साकार करते हुए कश्मीर से धारा-370 को पूर्ण रूप से समाप्त कर उसे भारत के कानून के साथ जोड़ने का काम किया। कश्मीर से आतंकवाद व भारत विरोधी गतिविधियां हमेशा के लिए समाप्त कर दी गयीं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विरासत का सम्मान करते हुए 500 वर्षों का इन्तजार समाप्त कर अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के भव्य मन्दिर का निर्माण कराया गया। प्रभु श्रीराम भारत के आदर्श व भारतीयता के प्रतीक हैं। जब महर्षि वाल्मीकि ने नारद मुनि से पूछा कि उन्हें किसी विषय पर लिखना है, तो नारद जी ने प्रभु श्रीराम के विषय में लेखनी चलाने का सुझाव दिया। महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामो विग्रहवान धर्मः‘, अर्थात् राम स्वयं में धर्म हैं, से प्रभु श्रीराम का जीवन चरित्र लिखने की शुरूआत की। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण जैसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य की रचना की। हमें प्रभु श्रीराम व लीलाधारी श्रीकृष्ण की परम्परा व विरासत पर गौरव की अनुभूति होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत के लिए बलिदान देने वाले महापुरूषों का सम्मान करना व उनकी विरासत का संरक्षण करना प्रत्येक भारतीय का दायित्व है। गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करना भी आवश्यक है। एक समय देश में गुलामी की मानसिकता इस कदर हावी हो गयी थी कि प्रत्येक भारतीय स्वयं को हेय दृष्टि से देखने लगा था। विदेशियों को सम्मानित समझा जाता था। विगत 11 वर्षों में इस दुष्प्रवृत्ति पर रोक लगायी गयी है। प्रत्येक भारतीय सर्वश्रेष्ठ है। विदेशियों द्वारा बनायी गयी सम्पत्ति दुनिया के अन्य देशों से लूटकर अर्जित की गयी है, लेकिन भारत ने अपने पुरूषार्थ से अपनी समृद्धि का रास्ता तय किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज से 400 वर्ष पूर्व भारत दुनिया की नम्बर एक अर्थव्यवस्था था। दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 25 प्रतिशत था। वर्ष 1947 तक आते-आते भारत का यह योगदान मात्र 02 प्रतिशत रह गया था। विदेशी अथवा उनके प्रभावित लोग भारतीयों को हतोत्साहित करते थे। परिणामस्वरूप, हमने हिन्दी व संस्कृत की जगह अंग्रेजी भाषा को भारतीयता का प्रतीक मानना प्रारम्भ कर दिया। भारत के महापुरूषों की जगह दूसरे देशों के लोगों को अपना आदर्श मानना शुरू कर दिया गया था। हमने अपनी परम्परा व प्रतीकों से दूरी बनाना प्रारम्भ कर दी थी। इसका परिणाम निकला कि बल, बुद्धि में जिस भारत के सामने दुनिया की कोई ताकत नहीं ठहर सकती थी, वह भारत गुलाम हो गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक हजार वर्ष पूर्व महाराजा सुहेलदेव ने भारतीय सैनिकों के साथ बहराइच में गजनी के शासक सलार मसूद का डटकर मुकाबला किया था। लोग महाराजा सुहेलदेव का नाम भूल गये थे। वर्तमान प्रदेश सरकार ने बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बनवाया। आजमगढ़ में उनके नाम पर विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया। भारत और भारतीयता को बचाने के लिए महाराजा सुहेलदेव ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ‘वोकल फॉर लोकल‘ अवधारणा पर बल दिया है। स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देना ही ‘वोकल फॉर लोकल‘ की अवधारणा है। पर्व व त्योहारों पर स्थानीय हस्तशिल्पियों व कारीगरों द्वारा निर्मित वस्तुओं को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे हमारे हस्तशिल्पियों व कारीगरों का मुनाफा बढ़ेगा। विदेशी कम्पनियों को प्राप्त मुनाफे का प्रयोग देशविरोधी गतिविधियों में किया जाता है। पहलगाम जैसी घटनाएं इसका उदाहरण है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब सेना, पैरामिलिट्री तथा पुलिस का जवान जागता है, तब हर भारतीय सुरक्षित माहौल में चैन की नींद सो पाता है। हमें अपने सैनिकों के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए। ऐसा कर हम उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर सकेंगे। एकता व एकात्मकता अत्यन्त आवश्यक है। यह देश तभी गुलाम हुआ, जब हम आपस में जाति, क्षेत्र, भाषा आदि के नाम पर बंट गये थे। किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए दृढ़संकल्प की आवश्यकता होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कम्पटीशन के दौरान कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन व कैल्कुलेटर पर अत्यधिक निर्भरता सफलता की सम्भावनाओं को कम करती है। हमें अपने जीवन को कठिन नहीं, बल्कि सरल व सुगम बनाना है। टेक्नोलॉजी का उपयोग उतना ही होना चाहिए, जो हमारे लिए उपयोगी हो। यदि हम घण्टों सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर व्यतीत करते हैं, तो हम समय, श्रम व अपने शरीर का नुकसान करते हैं। लम्बे समय तक सोशल मीडिया प्लेटफार्म को देखने से हमारी आँखों पर असर पड़ता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से हम डिजिटल लाइब्रेरी, दुनिया से सम्बन्धित आकड़ों व अन्य जानकारी तक पहुंच सकते हैं, लेकिन इस पर सम्पूर्ण निर्भरता नहीं होनी चाहिए, अपने स्तर पर भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
देश व प्रदेश में हो रही साइबर फ्रॉड की घटनाओं के माध्यम से व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट कर ठगा जाता है। खाते से सम्पूर्ण धनराशि निकलने के बाद व्यक्ति को ठगे जाने का अहसास होता है। सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए प्रत्येक जनपद में साइबर थाने व प्रत्येक थाने में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो प्रदेश पहले बॉटम 03 में रहता था, वह अब शीर्ष दो राज्यों में आ गया है। आज उत्तर प्रदेश अधिकांश योजनाओं में शीर्ष स्थान पर है। इसके लिए एक स्पष्ट लक्ष्य लेकर टीम भावना व साफ नीयत तथा ‘सबका साथ सबका विकास’ की नीति से कार्य किया गया। प्रदेश सरकार ऋषि परम्परा की मूल भावना ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः’ से कार्य कर रही है, जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में लोगों की सोच बदली है। विगत 02 दिनों में 06 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए हैं। सरकार के साढ़े 08 वर्षों के कार्यकाल में साढ़े 08 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। हाल ही में पुलिस में 60,244 भर्तियां हुई हैं। इसके अतिरिक्त, महिला एवं बाल विकास सहित अन्य विभागों में बड़े पैमाने पर पारदर्शी व निष्पक्ष भर्तियां हुई हैं। वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण की क्षमता मात्र 03 हजार थी। इसलिए वर्ष 2017 में हुई भर्तियों के लिए मिलिट्री, पैरा मिलिट्री व अन्य राज्यों के ट्रेनिंग सेन्टर किराए पर लेने पड़े। आज प्रदेश में प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त व्यवस्था है, जिसके परिणामस्वरूप हाल ही में भर्ती 60,244 पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश में ही कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बड़े लक्ष्य को लेकर चलने से परिणाम अच्छे आते हैं। उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 60 लाख से अधिक युवाओं को नौकरी मिली है। जो युवा पहले बाहर के राज्यों में नौकरी की तलाश में जाते थे, उन्हें अब प्रदेश में ही नौकरी मिल रही है। प्रदेश में कृषि व परम्परागत उद्यमों के क्लस्टर पहले से बने हुए थे, जो उपेक्षा के कारण बन्दी कगार पर पहुंच चुके थे। ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना के माध्यम से इन उद्यमों को पुर्नजीवित किया गया। परम्परागत उत्पादों को टेक्नोलॉजी, डिजाइन मार्केटिंग एवं पैकेजिंग के साथ लिंक किया गया। परिणामस्वरूप 02 करोड़ से अधिक युवा रोजगार के साथ जुड़े। कोरोना कालखण्ड के दौरान विभिन्न राज्यों से आए युवाओं को प्रदेश में ही समायोजित करने में सफलता मिली।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में सबकुछ होने के बावजूद उपेक्षा के कारण युवा अन्य राज्यों को पलायन करते थे। आज उन्हें अपने प्रदेश और क्षेत्र में ही नौकरी व रोजगार की गारन्टी मिल रही है। उत्तर प्रदेश देश का ग्रोथ इंजन बनकर प्रथम अर्थव्यवस्था बनने की ओर निरन्तर अग्रसर है, जो विकसित उत्तर प्रदेश का मार्ग प्रशस्त करता है। विकसित उत्तर प्रदेश में प्रत्येक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
पहले इन्सेफेलाइटिस अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए चिन्तित कर देता था। सरकार बनने के पहले 03 सालों में ही इन्सेफेलाइटिस को नियन्त्रित किया गया। अब किसी भी अभिभावक के अन्दर चिन्ता का भाव नहीं रहता, क्योंकि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध कराए हैं। प्रत्येक जनपद में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया गया है तथा बीमारियों पर नकेल कसने का कार्य किया गया है। इन्सेफेलाइटिस का उन्मूलन स्वच्छ भारत मिशन की सबसे बड़ी ताकत है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से अन्य बीमारियों के नियंत्रण में भी सफलता प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था के माध्यम से माफियाओं नकेल कसी जा चुकी है। बेटियों, व्यापारियों तथा समाज के अन्य तबकों में सुरक्षा का भाव उत्पन्न हुआ है। हमें अपने गांव, नगर व मोहल्ले से विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की शुरुआत करनी चाहिए। नागरिक कर्तव्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे। हमारे शिक्षण संस्थानों को इसका केन्द्रबिन्दु बनने की आवश्यकता है।  
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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