*पन्ना: जहाँ राम की चरण-धूल और कृष्ण की मुरली संग-संग गूंजती है*

*पन्ना धाम — ब्रजधाम तुल्य*

 *पंचस्वरूप, महामती प्राणनाथ धाम, ऋषि तपोभूमि और चार धाम तुल्य पुण्यस्थली*

*आस्था की आरंभिक ध्वनि*


पन्ना केवल हीरों की खान या भौगोलिक पहचान का नाम नहीं, यह वह धरा है जहाँ श्रीराम और श्रीकृष्ण की परंपराएँ एक साथ जीवंत होती हैं। यह भूमि ब्रजधाम तुल्य है जहाँ श्रीकृष्ण के पंचस्वरूप विराजमान हैं, महामती प्राणनाथ धाम का अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ है, रामायण की स्मृतियाँ हैं, ऋषियों की तपोभूमियाँ हैं और साथ ही आधुनिक धार्मिक धरोहरों का उदय भी हो रहा है।

*ठाकुर जुगल किशोर मंदिर — पन्ना की धड़कन*

जुगल किशोर मंदिर पन्ना की आस्था का हृदय है। यहाँ विराजमान ठाकुर स्वामी की मुरली और मुकुट अनगिनत हीरों से अलंकृत हैं—जो पन्ना की रत्नगर्भा पहचान और श्रीकृष्ण भक्ति का अद्वितीय संगम है।
यही कारण है कि यहाँ की कृष्ण जन्माष्टमी को मध्यप्रदेश सरकार ने राजकीय पर्व घोषित किया है। कहा जाता है कि मथुरा-वृंदावन के बाद पन्ना की जन्माष्टमी पूरे देश में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त करती है।

*बलदेव मंदिर का छठ महोत्सव*
इसी प्रकार बलदेव मंदिर में मनाया जाने वाला छठ महोत्सव भी राजकीय पर्व घोषित है। यह आयोजन पन्ना की सांस्कृतिक और धार्मिक गरिमा को नई ऊँचाई देता है। आस्था और परंपरा का यह पर्व पन्ना को पूरे देश के भक्तिमार्ग में विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।

*प्रेमानंद महाराज का संदेश*
वृंदावन से आए परमपूज्य श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने जुगल किशोर जी के दर्शन को वृंदावन तुल्य बताया। उनका कहना है—“सभी लोग वृंदावन नहीं जा सकते, इसलिए ठाकुर ने अपनी कृपा से श्रीनाथ जी, गोविंद देव जी, मदन मोहन जी और जुगल किशोर जी के रूप में भक्तों के बीच रहकर वही पुण्य और आनंद दिया।” यह कथन पन्ना की वैश्विक महत्ता को उद्घाटित करता है।

*महामती प्राणनाथ मंदिर — विश्व स्तरीय पहचान*

पन्ना का दूसरा गौरव है महामती प्राणनाथ मंदिर। यहाँ मुरली और मुकुट की पूजा होती है और यह प्रणामी धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा विश्व तीर्थ है।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और पन्ना की ख्याति पूरी दुनिया में पहुँचती है। यही कारण है कि पन्ना का नाम आज वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर स्थापित हो चुका है।

*जुगल किशोर लोक — आधुनिक भक्ति स्थल*

धार्मिक नगरी घोषित होने के साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार ने उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर पन्ना में ‘जुगल किशोर लोक’ का निर्माण कार्य प्रारंभ किया है। यह केवल पन्ना की धार्मिक पहचान को ही नहीं, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा।

*रामायण की स्मृतियाँ और ऋषि तपोभूमियाँ*

वनवास काल में श्रीराम के चरण पन्ना की पावन भूमि पर पड़े। सारंग का सुतीक्ष्ण मुनि आश्रम, सलेहा के समीप अगस्त मुनि का सिद्धनाथ आश्रम, बृहस्पति कुंड और चौमुखनाथ इस पावन गाथा के साक्षी हैं। यहाँ ऋषियों की साधना और तप की परंपरा आज भी जीवित है।

*मुरलीमनोहर के पाँच स्वरूप*
जुगल किशोर जी (बाल-लीला), अल्टी मुरली मनोहर (मधुरता), गोविंद जी (ऐश्वर्य), राधास्वामी स्वरूप (भक्ति व ध्यान), और जगन्नाथ स्वामी (विराटता)—ये पाँच स्वरूप पन्ना को ब्रजधाम तुल्य बनाते हैं और भक्तों को विविध अनुभव प्रदान करते हैं।

*विविध मंदिर और प्राकृतिक वैभव*
बलदेव मंदिर, चौमुखनाथ, लक्ष्मण मंदिर (सूंघा बाबा), महाकाली का कांच मंदिर, पंच पद्मावती धाम, झिन्ना व हटेले हनुमान मंदिर, पांडव फाल, नन्हा देवला, फूला देवी और नीलकंठ महादेव—हर स्थल अपनी कथा और परंपरा का प्रतीक है।
पन्ना की धरती हीरों से भरी है, इसके जंगल दुर्लभ जीव-जंतुओं और औषधीय संपदा से समृद्ध हैं। यही कारण है कि पन्ना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है।

*अनुभूति का अंतिम प्रसाद*
पन्ना एक ऐसा धाम है जहाँ श्रीराम की स्मृतियाँ, श्रीकृष्ण की लीलाएँ, महामती प्राणनाथ की शिक्षाएँ, ऋषियों का तप, देवी-देवताओं की आराधना और प्रकृति का वैभव—all एक साथ मिलकर चार धाम तुल्य पुण्यस्थली का स्वरूप रचते हैं।
यहीं कारण है कि पन्ना की यात्रा केवल पर्यटन नहीं, बल्कि आत्मा की अंतर्दृष्टि और मुक्ति का मार्ग बन जाती है। यही है पन्ना की अनंत महिमा और उसका सार्वभौमिक संदेश।


अशोक विश्वकर्मा गढ़ीपड़रिया पन्ना 

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