*21 अगस्त 2025*

*“नीतिगत निरंतरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए डॉ. राजेश्वर सिंह का ऐतिहासिक प्रस्ताव”*

*“उत्तर प्रदेश @2047 : डॉ. राजेश्वर सिंह का स्ट्रैटेजिक विज़न”*

*“1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की राह में नीतिगत थिंक-टैंक की मांग”*

*“डॉ. राजेश्वर सिंह ने रखा विकास और सुशासन का दीर्घकालिक खाका”*

*“UP-SDC : उत्तर प्रदेश की नीतिगत क्षमता को नई दिशा देने का सुझाव”*

*“वैश्विक मॉडल पर आधारित थिंक टैंक के पक्षधर बने डॉ. राजेश्वर सिंह”*

*“प्रशासनिक ढांचे से परे, विशेषज्ञता आधारित आयोग की आवश्यकता : डॉ. सिंह”*

*“सुशासन से ग्रोथ तक – डॉ. राजेश्वर सिंह का स्ट्रैटेजिक रोडमैप”*

*“उत्तर प्रदेश की विश्वसनीयता और निवेश क्षमता बढ़ाने का सुझाव"*

*डॉ. राजेश्वर सिंह का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र – “उत्तर प्रदेश स्ट्रैटेजी एवं डेवलपमेंट कमीशन (UP-SDC)” की स्थापना की मांग*

*लखनऊ।* उत्तर प्रदेश को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और भारत @2047 के विज़न में अग्रणी बनाने की दिशा में, सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखकर “उत्तर प्रदेश स्ट्रैटेजी एवं डेवलपमेंट कमीशन (UP-SDC)” की स्थापना का प्रस्ताव रखा है।

डॉ. सिंह का मानना है कि उत्तर प्रदेश आज जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है – जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ई-मोबिलिटी, सेमीकंडक्टर, जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और कृषि सुधार – उनका समाधान केवल पारंपरिक प्रशासनिक ढांचे से संभव नहीं है। इन जटिल और तकनीकी विषयों पर दीर्घकालिक दृष्टि और वैश्विक तुलना आवश्यक है, जिसके लिए एक स्थायी, विशेषज्ञ-आधारित आयोग की स्थापना अनिवार्य हो जाती है।

*वैश्विक एवं राष्ट्रीय उदाहरण :*
पत्र में डॉ. सिंह ने अमेरिका के Council of Economic Advisers (CEA) और Congressional Budget Office (CBO), ब्रिटेन के Office for Budget Responsibility (OBR), सिंगापुर के Committee on the Future Economy (CFE), चीन के National Development and Reform Commission (NDRC) और दक्षिण कोरिया के Presidential Advisory Council on Science & Technology जैसे संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के पीछे ऐसे थिंक टैंक्स की अहम भूमिका रही है। भारत में भी नीति आयोग और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद इसकी मिसाल हैं, जबकि राज्यों में केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने इस मॉडल पर प्रयोग किए हैं।

*क्यों जरूरी है स्थायी आयोग :*
डॉ. सिंह ने निजी कंसल्टेंसी कंपनियों (जैसे PwC, Deloitte, McKinsey) की सीमाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी रिपोर्टें लाभ-केंद्रित होती हैं और सामाजिक-सांस्कृतिक वास्तविकताओं से अक्सर कट जाती हैं। उत्तर प्रदेश को केवल रिपोर्ट तैयार करने वाली एजेंसी नहीं, बल्कि एक विधिक शक्ति प्राप्त, जवाबदेह और दीर्घकालिक दृष्टि रखने वाली संस्था की आवश्यकता है।

*प्रस्तावित ढांचा: उत्तर प्रदेश स्ट्रैटेजी एवं डेवलपमेंट कमीशन (UP-SDC)*
*संरचना:* अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, कृषि, कानून, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और आधारभूत ढांचे के विशेषज्ञों के साथ वरिष्ठ जनप्रतिनिधि व प्रमुख नौकरशाह।

*कार्य:* UP Vision 2047 जैसे दस्तावेज तैयार करना। नीतियों का वित्तीय एवं नियामकीय आकलन करना। विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और उद्योग जगत से सरकार को जोड़ना। डिलीवरी एवं रिजल्ट्स यूनिट के माध्यम से योजनाओं के परिणामों की समीक्षा करना। पॉलिसी इनोवेशन लैब बनाकर नए समाधान प्रस्तुत करना।
*स्वतंत्रता:* निश्चित कार्यकाल, सुरक्षित बजट और डाटा तक विधिक पहुँच।
*संभावित लाभ* : विश्वस्तरीय और प्रतिस्पर्धी नीतियाँ तैयार होंगी। निवेशकों व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उत्तर प्रदेश की विश्वसनीयता बढ़ेगी। राजनीतिक व प्रशासनिक बदलावों से परे नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य शीघ्र पूरा होगा। योजनाओं का स्वतंत्र मूल्यांकन और सतत सुधार संभव होगा।

डॉ. सिंह ने अपने पत्र में इसे “ऐतिहासिक कदम” बताते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस आयोग की स्थापना हेतु विधायी प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए।

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