उतरौला बलरामपुर- नगर में स्थित टाइनी टॉट्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आज भाई बहनों के पवित्र प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन का त्यौहार शुक्रवार को रक्षा बंधन की पूर्वसंध्या पर विद्यालय के परिसर में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। 
छात्राओं ने अपनेअपने कक्षा के छात्रों की कलाई पर राखी बांधी। छात्रों ने भी उन्हें बहन मानकर उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया, और उन्हें उपहार भी दिए। रक्षा बंधन का कार्यक्रम की शुरुआत हिन्दी के अध्यापक भुवनेश्वर तिवारी ने येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल।तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल। श्लोक पढ़ने के साथ किया, तथाइसका हिन्दी भावार्थ बताते हुए कहा कि इस स्लोक का अर्थ यह है कि जिस रक्षा सूत्र से महान शक्ति शाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे(राखी) तुम अडिग रहना तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित नहोना"इस अवसर पर राखी प्रति योगिता का भी आयो जन किया गया। जिसमें सभी छात्र - छात्राओं ने विभिन्न गतिविधियोंजैसे राखी शुभ कामना कार्ड निर्माण,राखी बनाओ, राखी की थाली सजावट व रंगोली आदि के अन्त र सदन प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन छात्र -छात्रा ओं ने किया। छात्राओं ने प्रतियोगिता में रंग बिरंगी राखी बनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने कहा कि रक्षा बंधन का पर्व धर्म जाति से ऊपर है। यह भाई बहन के पवित्र प्यार का त्यौहार है। श्री सिंह ने बच्चो को मेवाड़ का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार की बात है कि मेवाड़ की रानी कर्मवती को बहादुरशाह के द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बाद शाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मवती व उसके राज्य की रक्षा की। एक अन्य प्रसंगानुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँध कर अपना मुँहबोला भाई बनाया, और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन भी दिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन- दान दिया। विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली ने इस अवसर पर कहा कि एक बार की बात है कि जब युधिष्ठिर ने भग वान श्री कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थीउनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है। जिससे आप हर आपत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। महाभारत में भी रक्षा बन्धन से सम्बन्धित श्री कृष्ण और द्रौपदी का एक कहानी मिलता है। जब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशु पाल का वध किया तब उनकी तर्जनी उंगली में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ीफाड़ कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी। यह श्राव ण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीर हरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ा कर चुकाया। इस अव सर पर विद्यालय के अध्यापक राशिद अब्बास, भूपेन्द्र कुमार सिंह, राशिद हुसैन, अनिल कुमार गुप्ता, महेश कुमार गुप्ता, सिराजुद्दीन, दिनेश कुमार, अफरोज, अमित कुमार मिश्रा, स्वाति नाग, कामेश्वर दत्त तिवारी, शिव शंकर गुप्ता, शिवानंद तिवारी,  सहित स्कूल के सभी अध्यापक व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
             हिन्दी संवाद न्यूज से
            असगर अली की खबर
              उतरौला बलरामपुर। 

         

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