बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में संविधान हत्या दिवस के अवसर पर हुआ कार्यक्रम का आयोजन

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में संविधान हत्या दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यवाहक कुलपति प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह, चेयरपर्सन ऑफद कमेटी प्रो. शिल्पी वर्मा एवं डॉ. राजश्री उपस्थित रहीं । कार्यक्रम की शुरुआत बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलगीत गायन के पश्चात चेयरपर्सन ऑफद कमेटी प्रो. शिल्पी वर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रूपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य कैप्ट (डॉ.) राजश्री द्वारा किया गया । कार्यवाहक कुलपति प्रो. एस. विक्टर बाबू ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय इतिहास का एक अंधकारमय अध्याय था, जिसके दौरान न केवल नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, बल्कि एक तरह से संविधान को भी निष्क्रिय कर दिया गया । यह वह समय था जब संविधान के जरिए जो लोकतांत्रिक सपने देखे गए थे, वे टूटते नजर आए। इसके अतिरिक्त प्रो. बाबू ने संदेश दिया कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि हर नागरिक के अधिकारों और स्वतंत्रता की ढाल है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक, सतर्क और सचेत रहें, ताकि लोकतंत्र की आत्मा को कोई ठेस न पहुंचे और भविष्य में फिर कभी संविधान की भावना को कुचला न जा सके। कार्यक्रम के दौरान संस्कृति मंत्रालय द्वारा संविधान हत्या दिवस को केंद्र में रखकर बनाई गयी फिल्म के माध्यम से आपातकाल (1975 77) को भारतीय लोकतंत्र और संविधान पर सबसे बड़े हमले के रूप में प्रस्तुत किया गया । फिल्म के माध्यम से बताया गया है कि किस प्रकार तत्कालीन सरकार ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई, राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाला गया और न्यायपालिका को भी दबाने की कोशिश की गई। यह फिल्म संविधान के मूल मूल्यों, डॉ. अम्बेडकर की सोच और संविधान सभा की भावना को उजागर करते हुए दर्शकों को सचेत करती है कि लोकतंत्र की रक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। इसके अतिरिक्त सभी ने नशा मुक्ति एवं नशा न करने की शपथ लेकर समाज को नशे के दुष्प्रभावों से मुक्त करने का संकल्प लिया। साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाएंगे और नशा मुक्त समाज की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेंगे। अंत में डॉ. सोमिपेम शिमरे ने धन्यवाद ज्ञापित किया । समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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