*"जल दोहन से संकट में पक्का तालाब क्षेत्र: अवैध डेरी संचालकों के समरसेबिल पंप बना रहे जलस्तर के दुश्मन"*
— *समरसेबिल से सूखता तालाब: अवैध डेरी और जल माफिया की साजिश पर कब लगेगा ब्रेक?*
गाज़ियाबाद सिटी
रिपोर्ट: रविंद्र आर्य
गाज़ियाबाद के कल्लूपुरा पक्का तालाब क्षेत्र में अवैध डेरी संचालन के साथ अब जल संकट का खतरा भी गहराने लगा है। कृष्णा चौधरी गुर्जर S/0 वेदप्रकाश नामक व्यक्ति द्वारा संचालित अवैध डेरी में नोटिस के उपरांत भी सालों से आरओ प्लांट और समरसेबिल पंप गुपचुप तरीके से चलाया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर भूजल का अवैध दोहन हो रहा है।
यह न केवल जल संरक्षण अधिनियम (Ground Water Act) का घोर उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्र के पक्का तालाब, जाटवाड़ा, और कल्लूपुरा जैसे इलाकों के जलस्तर को भी खतरनाक स्थिति में पहुंचा रहा है। इस क्षेत्र की सभी अवैध डेरी में समरसेबिल पंप लगाकर तालाब और भूमिगत जल स्रोतों से अनियंत्रित जल खींचा जा रहा है, जिससे भूजल तेजी से नीचे जा रहा है।
*मुख्य समस्याएँ:*
1. समरसेबिल पंपों का दुरुपयोग – किसी भी कानूनी स्वीकृति के बिना डेरी संचालक गहरे समरसेबिल पंप लगाकर प्रतिदिन हजारों लीटर पानी खींच रहे हैं।
2. जल संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन – NOC, बिना पंजीकरण, बिना जल निकासी सीमा तय किए भूमिगत जल का शोषण हो रहा है।
3. पक्का तालाब और आसपास के जल स्रोतों पर खतरा – यह स्थिति यदि समय रहते न रोकी गई तो आने वाले समय में यह क्षेत्र गंभीर जल संकट का शिकार हो जाएगा।
4. पर्यावरणीय असंतुलन – अधिक जल खींचने के कारण जमीन की नमी और जैव विविधता पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।
*मांग एवं सुझाव:*
• नगर निगम गाज़ियाबाद और लघु सिंचाई विभाग को चाहिए कि इस मामले का भौतिक निरीक्षण कर अवैध समरसेबिल पंपों को तत्काल प्रभाव से सील करें।
• जल दोहन अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही करते हुए जुर्माना एवं डेरी लाइसेंस निरस्त किया जाए।
• जलशक्ति मंत्रालय को पत्र भेजकर CGWA (Central Ground Water Authority) की सहायता से जलस्तर का आंकलन कराया जाए।
सभी डेरी संचालनकर्ताओं को वैध जल स्रोतों के उपयोग हेतु बाध्य किया जाए एवं जल बचाव संबंधी अवधारणात्मक कार्यशालाएं कराई जाएं।
जल संकट एक आने वाला नहीं, बल्कि मौजूदा आपदा है, जिसे यदि अब भी न रोका गया तो अगली पीढ़ी को पीने योग्य जल के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। रविंद्र आर्य जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा समय पर उठाई गई यह चेतावनी यदि प्रशासन ने गंभीरता से ली तो यह क्षेत्र जल संकट से बच सकता है।
लेखक : रविंद्र आर्य

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