*19 मई 2025*

 *हाईकोर्ट फैसले पर बोले डॉ. सिंह :संभल की ऐतिहासिक चेतना और धार्मिक गरिमा को पुनर्स्थापित करेगा यह निर्णय*

*“संभल सिर्फ एक नगर नहीं, यह सनातन चेतना की भूमि है” – डॉ. राजेश्वर सिंह*

*“यह केवल एक सर्वे नहीं, आस्था और अस्मिता की पुनर्स्थापना है” – डॉ. राजेश्वर सिंह*

*हाईकोर्ट का फैसला संस्कृति, सत्य और सनातन सम्मान की दिशा में न्यायिक बढ़त - डॉ. राजेश्वर सिंह*

*संभल जामा मस्जिद ASI सर्वे का रास्ता साफ:डॉ. राजेश्वर सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत*

*लखनऊ।* संस्कृति, सत्य और सनातन सम्मान की दिशा में न्यायिक विजय बताते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने संभल संभल जामा मस्जिद ASI सर्वे को लेकर हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत। संस्कृति की रक्षा, ऐतिहासिक सत्य के पुनरुत्थान और सनातन विरासत के सम्मान की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय पर सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, “संभल ‘हरिहर मंदिर - जामा मस्जिद’ प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ASI सर्वे जारी रखने का निर्णय न केवल साहसिक और न्यायोचित है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और सनातन परंपरा के पुनरुत्थान की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है।”

*संभल कोई सामान्य नगर नहीं - यह सनातन चेतना की भूमि:*
सरोजनी नगर विधायक ने संभल को सनातन चेतना की भूमि बताते हुए लिखा अब सत्य के पुनरुत्थान की ओर अग्रसर है। विधायक ने आगे जोड़ा संभल वह तपोभूमि है, जहां सतयुग से कलियुग तक सनातन की गूंज रही है। यह भूमि सतयुग में सत्यव्रत, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलियुग में ‘संभल’ के नाम से प्रतिष्ठित रही है। यह वही स्थान है जहां भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है।

*संभल का अतीत भारत की राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक गरिमा का साक्षी रहा है -*
यह भूमि पांचाल राजाओं का गढ़ रही,सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रही,सम्राट अशोक के साम्राज्य का हिस्सा रही, और सिकंदर लोदी तथा मुगल आक्रांताओं का राजनीतिक केंद्र भी रही है।

*हरिहर मंदिर : वह सनातन ज्योति जो बुझाई गई, अब पुनः प्रज्वलित हो रही है -*
डॉ. सिंह ने अपने पोस्ट में आगे लिखा 1529 में बाबर के आदेश पर उसके सेनापति ने भगवान कल्कि को समर्पित हरिहर मंदिर को ध्वस्त कर, वहाँ जबरन मस्जिद खड़ी की। बाबरनामा और आईन-ए-अकबरी जैसी ऐतिहासिक किताबें इस विध्वंस का स्पष्ट प्रमाण देती हैं। मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर से लेकर पुराणों तक, हर स्रोत श्री हरिहर मंदिर की ऐतिहासिक - सांस्कृतिक प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं।

*1978 की त्रासदी और सांस्कृतिक विनाश की साजिश -*
डॉ. सिंह ने 29 मार्च 1978 के नरसंहार को संभल के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए जोड़ा, 180 से अधिक हिंदुओं की निर्मम हत्या की गई, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को जलाया गया, और फिर शुरू हुआ हिंदू पलायन, जो आज जनसांख्यिकीय असंतुलन में परिणत हो चुका है। संभल में 1947 में हिन्दू जनसँख्या 55%थी जबकि मुस्लिम जनसँख्या 45% थी जो अब 2024 में वहां हिन्दू घटकर 22% रह गये जबकि मुस्लिम जनसँख्या 77.67% हो गयी है।

*46 वर्षों बाद खुले शिव मंदिर के द्वार – धर्म की पुनर्स्थापना का संकेत:*
डॉ. सिंह ने बताया कि प्रशासनिक जांच के दौरान 1978 से बंद पड़े प्राचीन शिव मंदिर के द्वार पुनः खुले हैं, जो न केवल एक मंदिर का पुनरुद्धार है, बल्कि यह सनातन श्रद्धा के पुनर्जन्म का प्रतीक है।

*न्यायालय द्वारा सत्य की रक्षा – कानूनी प्रक्रिया की विजय*
हरिहर मंदिर परिसर को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने ASI सर्वे की अनुमति दी, परंतु उस पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

डॉ. सिंह ने इसे भारतीय न्याय व्यवस्था की निडरता और ऐतिहासिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर करार देते हुए कहा: “यह निर्णय सच्चाई को पुनः स्थापित करने और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में अत्यंत प्रेरणादायक है। यह केवल एक स्थल का सर्वे नहीं, बल्कि आस्था, अस्मिता और अस्तित्व की पुनर्स्थापना है।”

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