*19 मई 2025*
*42वीं "रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा" बनीं श्रद्धा का सजीव सेतु, मातृशक्ति के संकल्पों की सारथी*
*जनप्रतिनिधित्व का सांस्कृतिक मॉडल: डॉ. राजेश्वर सिंह का ‘रामरथ’ बना सामाजिक सहभागिता का मंच*
*‘रामरथ’ श्रद्धा से व्यवस्था तक, सेवा से संस्कृति तक : डॉ. राजेश्वर सिंह का जन-जुड़ाव का अभिनव मॉड* ल
*सनातन मूल्यों की पुनर्स्थापना का संवेदनशील संकल्प : डॉ. सिंह की फ्री 'रामरथ' बस सेवा बनीं एक जनचेतना*
*रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा : आत्मबल, सांस्कृतिक चेतना और सनातन मूल्यों से जुड़ाव का एक गूढ़ माध्यम*
*लखनऊ।* "जहाँ भक्ति होती है, वहाँ व्यवस्था भी दिव्यता का रूप ले लेती है।" सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा नियमित संचालित ‘रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा’ इसी भावना की जीवंत मिसाल है। सरोजनीनगर क्षेत्र में मातृशक्ति और बुजुर्ग जनों की आस्था को साधनों का सम्बल प्रदान कर रही यह निःशुल्क बस सेवा केवल एक तीर्थयात्रा का माध्यम नहीं, बल्कि उन वंचितों के लिए एक नवसंकल्प भी है जिन्हें जीवन में कभी अयोध्या जाने का अवसर नहीं मिला।
सोमवार को सम्पन्न हुई 42वीं यात्रा में गहलवारा, दोना, पानखेड़ा और शिवरी के ताराशक्ति केंद्रों (सिलाई केंद्रों) से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं को भव्य राम मंदिर, हनुमानगढ़ी, सरयू तट, राम की पौड़ी व अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन कराए गए। इससे पूर्व की यात्राओं में वृद्धाश्रमों के बुजुर्गों सहित कई गांवों की असहाय माताओं और वयोवृद्ध नागरिकों को भी यह सौभाग्य प्राप्त हो चुका है।
*सेवा, श्रद्धा और संस्कार की आदर्श परंपरा :*
यह निःशुल्क बस सेवा मातृशक्ति और वृद्धजनों के लिए केवल धार्मिक भ्रमण नहीं, बल्कि आत्मबल, सांस्कृतिक चेतना और सनातन मूल्यों से जुड़ाव का एक गूढ़ माध्यम बन चुकी है। प्रभु श्रीराम के आदर्शों के माध्यम से जीवन दर्शन को आत्मसात करने, आस्था से आत्मविकास की प्रेरणा प्राप्त करने और भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने की यह एक प्रेरक पहल है। यह यात्रा सेवा, श्रद्धा और संस्कार की आदर्श परंपरा भी है।
*सेवा की पूर्ण व्यवस्था, श्रद्धा की शुद्ध भावना:*
इस दिव्य यात्रा को केवल श्रद्धा नहीं, बल्कि सुव्यवस्थित सेवा-संकल्प सफल बनाता है। डॉ. राजेश्वर सिंह की ओर से यात्रा के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाती हैं: घर से अयोध्या और वापस घर तक सम्पूर्ण यात्रा का निशुल्क प्रबंध, हर बस में प्रशिक्षित वालंटियर्स की उपस्थिति, यात्रा मार्ग में जलपान, प्रसाद और शुद्ध भोजन की समुचित व्यवस्था, अयोध्या में लोकल कन्वेंस हेतु बैटरी रिक्शा की व्यवस्था, प्रत्येक तीर्थयात्री को स्मृति चिन्ह व भक्ति सामग्री के साथ सम्मानपूर्वक विदाई।
*एक जनप्रतिनिधि का संवेदनशील दृष्टिकोण:*
विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह मानते हैं कि "आस्था केवल आत्मिक ऊर्जा नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माध्यम है।" डॉ. सिंह की यह पहल न केवल जनसेवा का प्रतिमान है, बल्कि एक ऐसी स्थायी परंपरा है जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक श्रद्धा और सम्मान पहुँचाने का कार्य कर रही है। उनका स्पष्ट मानना है,"भक्ति में शक्ति हो, शक्ति में संस्कार हो और संस्कारों से राष्ट्र निर्माण हो यही हमारी भावना, यही इस यात्रा का उद्देश्य है।"
डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा संचालित रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा केवल सरोजनीनगर से अयोध्या की ओर ही नहीं, बल्कि उस सामाजिक चेतना की ओर भी अग्रसर है, जहाँ हर व्यक्ति को न केवल धार्मिक अधिकार, बल्कि सांस्कृतिक भागीदारी का भी संपूर्ण अवसर मिले
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