राजकुमार गुप्ता
मथुरा। बरसाना, नंदगांव शहरों में मच्छरों का आतंक दशको  पहले से था, अब गांवों भी इनकी पनाहगाह बन गए हैं। ग्रामीण धूप-बत्ती, अगरबत्ती जलाकर रात गुजार रहे हैं। जिस रात बिजली नहीं आती है, उस दिन ग्रामीणों को 'नानी' याद आ जाती है। 
गांवों में बढ़ रहे मच्छरों के हमले को रोकने के लिए किसी के पास कोई हल नहीं दिख रहा है। 
एक दौर था, गांव साफ स्वच्छ और सौंधी माटी की महक से आप्लावित थे। न प्रदूषण था, न गंदगी। जब ये सब नहीं थे, मच्छर भी नहीं थे। एक दशक पूर्व तक ग्रामीण फिज़ा मोहक रही। अब सब उलट हो गया है। ग्रामीणों की धन की लिप्सा और अत्यधिक सुविधाभोगी जीवन यहां के प्राकृतिक स्वरूप को नष्ट कर रहा है। आज गांवों में मच्छरों की भरमार है। ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। इसके पीछे  स्वच्छता मिशन के तहत बने शौचालयों और घरों की नालियों का खुले में बहता गन्दा पानी माना जा रहा है। इसका उपचार न स्वास्थ्य विभाग के पास है न पंचायत के। ग्रामीण दिनेश परमार, राधा रमन, बलराम सोनी, भगत सिंह, नंदगांव भाजपा मंडल उपाध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी, कृष्ण मुरारी चौधरी,वसुदेव, यशपाल,,सोनू, मोनू, अमित, राजवीर, रामू, जोगेंद्र व्यास, टीकम सिंह आदि का कहना है कि गांव में बेतहाशा मच्छर बढ़ रहे हैं। इनसे बीमारियों को जन्म मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूर्ति करने में लगा है।

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