उतरौला(बलरामपुर) विकास खण्ड उतरौला क्षेत्र के बारह ग्राम पंचायतें ऐसी पाई गई है जिसके पीने के पानी में मानक से अधिक आयरन पाए गए हैं।
इसका खुलासा उस समय हुआ जब जल निगम की प्रयोगशाला ने गांवों के पेयजल स्रोत के पानी की जांच की। इसके पानी के टेस्ट की रिपोर्ट विभाग ने शासन को भेज दी है।
शासन के राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने विकास खण्ड उतरौला क्षेत्र के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का दायित्व जल निगम को सौंपा। जल निगम ने ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल के लिए प्रयोग की जाने वाली पानी की टेस्ट करने के लिए जिला स्तर की प्रयोगशाला स्थापित की। उसके बाद सभी ग्राम पंचायतों से पानी का नमूना एकत्रित करके उसे प्रयोगशाला में टेस्ट किया गया। पानी के नमूने के टेस्टिंग के बाद पाया गया कि ग्राम पंचायत अमया देवरिया, बढया पकड़ी, चीती, हरिकिशना, देवरिया जंगली, फत्तेपुर, महिली, महुवा धनी, मक्षौवा कान्द, नया नगर विशुनपुर, रुस्तम नगर, तेन्दुआ तकिया, उतरौला ग्रामीण का प्यालाजोत पुरवा में जल स्रोतो में आयरन की मात्रा मानक से अधिक पाई गई। जलनिगम के प्रयोगशाला में कार्यरत लैब केमिस्ट शिवा ने बताया कि पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने से पानी लाल हो जाता है। आयरन वाले पानी के उपयोग से पाइप लाइन में जग लग जाती है। पानी में आयरन की अधिकतम मात्रा प्रति एक लीटर में एक मिलीग्राम तक हो सकता है। आयरन रहित पानी पीने के लिए फिल्टर का उपयोग कर सकते हैं। बरसात के पानी में साधारणतः आयरन की मात्रा कम होती है। इसके लिए घर के छत के बरसाती पानी को एक टंकी में सग्रह कर इसका उपयोग पीने व खाना बनाने में कर सकते हैं।
दूषित पानी से बचाव के लिए जल निगम ग्राम पंचायत स्तर पर हर घर जल योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। विभाग की प्राथमिकता उस ग्राम पंचायतों में है जहां पर दूषित पेयजल ग्रामीण पानी पी रहे हैं। विभाग की योजनाएं लागू होने पर ग्रामीणों को स्वच्छ व शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा।
असगर अली
उतरौला
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