सवालों के घेरे में रेल विभाग, कुम्भकरणी निद्रा में लीन उच्च अधिकारी




बाबागंज/  बहराइच। रेलवे विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के मामले अधिकांशत: सामने आते ही रहते है। विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली को संदेहात्मक बनाती है। दरअसल इसी लापरवाही के कारण रेलवे स्टेशन बाबागंज परिसर में लगे सैकड़ों वर्ष पुराने इमारती बेशकीमती शीशम पेड़ों की कटाई पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। आपको बताते चलें कि बाबागंज रेलवे प्लेटफार्म की स्थापना ब्रिटिश काल में हुआ था और भौगोलिक दृष्टि में यह रेलवे स्टेशन का परिसर काफी बड़ा है। जिसपर विभिन्न प्रजाति के छायेदार, फलदार व इमारती बेशकीमती शीशम आदि के पेड़ लगाये गए थे। जो कभी जंगलों की तरह नजर आता था। लेकिन आज यह वीरान हो चुका है। सूत्र बतातें हैं कि जब से इस स्टेशन से यात्रा करने वाले यात्रियों के टिकट वितरण का कार्य ठेकेदारी प्रथा पर एक स्थानीय ठेकेदार को दे दिया गया है, तभी से इन हरे भरे जंगलों जैसा दिखने वाला रेलवे स्टेशन का परिसर मैदान बन चुका है। वृक्षों की कटाई निरंतर जारी है। बता दें कि आईओडब्ल्यू रेल (इंजीनियर) नानपारा व आरपीएफ नानपारा व बाबागंज रेलवे स्टेशन का अधिकृत टिकट विक्रेता (ठेकेदार) सहित स्थानीय पुलिसकर्मियों की आपसी संयुक्त सहभागिता से चोरी से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर लकड़ी माफियाओं के हाथ बेंचा जा रहा है। लेकिन रेल विभाग की उदासीनता के चलते इस प्लेटफार्म पर अब लकड़ी चोरो का राज हो गया है। मौके पर इस बहुमूल्य रेलवे सम्पदा संपति का जमकर दोहन हो रहा है। जबकि विभाग का भरपूर अमला इस सम्पदा को संजोए रखने के लिये तैनात है। जो विभाग के लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा अनदेखी की जा रही है।और इसकी भनक तक विभाग को नही लग पाती है। इतना ही नही चोरो का आरा बेधड़क इस रेल की सम्पदा पर चल रहा है। इससे प्रतीत होता है कि रेलवे विभाग का अमला ने ही इन चोरो को खुली छूट दे रखी है।
इससे स्पष्ट होता है कि विभाग ने यह बेशकीमती इमारती शीशम के पेड़ों को अब चोरो के हवाले कर दिया है। जिससे इनका तेजी से सफाया होता जा रहा है। सूत्रों द्वारा बताया गया कि कस्बा बाबागंज स्थित मल्हीपुर तिराहे के पास एक प्रतिष्ठित काष्ठ कला उद्योग नाम का फर्म है। उसी फर्म के संचालक द्वारा इन चोरी की लकड़ियों का भारी मात्रा में स्टॉक अपने प्रतिष्ठान पर लगा रखा है। खुलेआम बेशकीमती वृक्षों की अवैध कटाई कस्बा के ही आरा मशीन पर चिरान कर बेखौफ होकर इसी प्रतिष्ठान पर लकड़ी से बने सोफे, बेड, दरवाजे आदि तैयार किया जाते हैं, और बाजार के भाव लाखों की कीमत पर बेंचा जाता है। कुछ वर्षों पूर्व इसी प्रतिष्ठान के रहे पूर्व संचालक लालजी पुत्र लौटन को रेलकर्मियों ने रेल सम्पदा को छति पहुँचाने के एक मुकदमें में गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था। वहीं पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने वाला वन विभाग भी इस पर मौन धारण किये हुये है। पूरे प्लेटफार्म पर अवैध कटाई के ठूंठ निशान जो गवाही दे रहे हैं। ऐसे में इन वृक्षों की कटाई होने का भरपाई कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता है।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने