मुंगराबादशाहपुर। यह ग्रंथ साक्षात श्री भगवान का स्वरूप है - सुशीला नंदन महाराज

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। जब व्यक्ति का सौभाग्य का उदय होता है या पूर्वजन्म के संस्कार होते हैं तब भागवत कथा सुनने को मिलती है। अन्यथा कथा आपके घर के पास होती रहे लेकिन आप उसमे भाग नहीं ले पाएंगे। यह ग्रंथ साक्षात श्री भगवान का स्वरूप है।

उक्त बातें सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा का महात्म बताते हुए तीसरे दिन की कथा में सुशीला नंदन महाराज ने कही। नगर के जंघई रोड स्थित श्री नागाबाबा कुटी पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सुशीला नंदन महाराज ने भक्तों को कथा सुनाते हुए कहा भागवत कब करनी चाहिए? जब व्यक्ति का सौभाग्य का उदय होता है या पूर्वजन्म के संस्कार होते है तब भागवत कथा सुनने को मिलती है। अन्यथा कथा आपके घर के पास होती रहे लेकिन आप उसमे भाग नहीं ले पाएंगे। यह ग्रंथ साक्षात श्री भगवान का स्वरूप है। भगवत गीता हमें सिखाती है कि व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म के ऊपर ध्यान देना चाहिए और कर्म में करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि जो कर्म हम कर रहे हैं वह हम सब लौटकर जरूर आएंगे. ... सभी रिश्ते नातों से ऊपर उठकर व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अच्छे कर्म और सत्य की लड़ाई के ऊपर ध्यान देना चाहिए। इस अवसर पर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के भक्तजन सहित आयोजक मौजूद रहे।

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