जौनपुर। धर्म की रक्षा और पापियो के नाश के लिए प्रभु लेते हैं अवतार-अखिलेश चंद्र मिश्रा

खुटहन,जौनपुर। पृथ्वी पर जब जब राक्षसी प्रवृत्ति का अत्याचार और पाप बढ़ा, पूजा, पाठ, जप, तप व सत्ककर्मो में आसुरी शक्तियों ने बिघ्न और बाधाएं डाली, तब तब प्रभु किसी न किसी स्वरूप में पृथ्वी पर अवतरित होकर अधर्मियों का नाश कर धर्म की स्थापना किए हैं। कंस का अत्याचार जब असह्य हो गया पृथ्वी मां भी उसके पापकर्मो से मर्माहत हो गई। तब प्रभु श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ। भगवान ने सभी पापियो का नाश कर फिर से धर्मयुग का शुभारंभ किया। उक्त बातें त्रिकौलिया गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में जुटे श्रद्दालुओं को संबोधित करते हुए  प्रख्यात कथावाचक अखिलेश चंद्र मिश्र जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत सबसे प्राचीन धर्म ग्रन्थ है। इसके श्रवण, मनन, वाचन और आचरण में समाहित कर लेने मात्र से मानव भव पार हो जाता है। यह हमें सत्कर्म की प्रेरणा देता है, उन्होंने कहा कि मानव जीवन बड़े भाग्य से मिला है। इसे ब्यर्थ में न गवांये। गृहस्थ आश्रम का पालन करते हुए उस परम पिता का स्मरण  करते रहिए। सबसे बड़ा पूण्य कर्म है सत्कर्म, मात्र इसे अपने जीवन चरित्र में धारण कर मानव ईश्वर को आसानी से प्राप्त कर सकता है। झूठ मत बोलो, बेमानी से बचो, ईर्ष्या द्वेष और अहंकार को पास मत आने दो। आपका स्वतः ही कल्याण हो जायेगा। इस मौके पर मनोज सिंह, इंद्रपाल यादव, त्रिलोकी दूबे, बहादुर यादव, रोहित, अमित आदि मौजूद रहे।

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