आजादी के अमृत महोत्सव संग पर्यावरण की भी चिंता

बूंद-बूंद सहेजेंगे और हरियाली भी बढ़ाएंगे

हर गांव में लगेंगे 75-75 बहुपयोगी पौधे

बूंद-बूंद सहेजने के लिए बनेंगे अमृत सरोवर

लखनऊ, 26 अप्रैल

आजादी के अमृत महोत्सव संग इस बार योगी सरकार पर्यावरण की भी चिंता करेगी। इस दौरान हर ग्राम समाज और उनमें आने वाले धर्म या पवित्र स्थलों पर 75-75 बहुपयोगी पौधे लगाए जाएंगे। लगने वाले पौधों में से 15 धर्म या पवित्र स्थलों पर लगेंगे। बाकी ग्राम समाज में। जिन पौधों का पौध रोपड़ होना है उसमें अपने औषधीय गुणों की वजह से चमत्कारिक (मिरैकिल) कहे जाने वाले सहजन के अलावा वहां की कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुसार अधिक छाया देने वाले, अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले एवं फलदार पौधों (पीपल, पाकड़, बरगद, नीम, बेल, आंवला, कटहल और आम ) को शामिल किया गया है। इन पौधों के संरक्षण पर भी पूरा ध्यान होगा। लोग पौधरोपण के इस अभियान से जुड़े। इनको अपना मानते हुए इनकी जरूरत के अनुसार समय-समय पर  देखभाल भी करें इसलिए इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं जनता को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी की इस एक पहल से प्रदेश के करीब 10 लाख गावों में 75 लाख पौधे लग जाएंगे। इसके अलावा हरियाली बढ़ाने के लिए अगले 6 महीनों में 13 जिलों में 25 नगर वन/नगर वाटिकाओं की स्थापना, गंगा के किनारे 503 जगहों पर 6759 हेक्टेयर में वनीकरण और 15 जिलों में फ़ूड फारेस्ट विकसित करने की है।

इसी तरह इस दौरान बूंद-बूंद सहेजने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी (75) जिलों में अमृत सरोवर के नाम से 75-75 (कुल 5625) नए तालाब खोदे जाने या पुराने तालाबों का पुनरोद्धार करने की योजना इसी का सबूत है।

यह एक तरीके से हर जिले में पानी की खेती या बूंद-बूंद सहेजने के सिलसिलेवार अभियान की ही कड़ी है। वही अभियान जो 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र को सूखे से निजात दिलाने के लिए खेत-तालाब योजना के जरिए शुरू किया गया था। इस योजना के तहत अब तक लगभग 5000 तालाबों की खुदाई की जा चुकी है। तालाबों की खोदाई के लिए सरकार 50 फीसदी का अनुदान भी देती है।

बाद में इसी मकसद से मुख्यमंत्री ने नदियों के पुनरूद्धार की योजना भी शुरू की। इससे अब तक करीब दो दर्जन विलुप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवन मिल चुका है।

नदियों के किनारे बाढ़ एवं सूखे से राहत दिलाने के लिए बहुउद्देश्यीय तालाबों और गंगा के किनारे गंगा तालाबों की परिकल्पना के पीछे भी यही सोच थी। अब तक गंगा के किनारे इस योजना के तहत 500 से अधिक तालाबों की खुदाई की जा चुकी है। अटल भूजल योजना भी पानी के प्रबंधन की ही एक कड़ी थी। ऐसे ही समन्वित प्रयासों की वजह से उत्तर प्रदेश को जल प्रबंधन के लिए 29 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पुरस्कृत भी किया गया।

मालूम हो कि पानी के लिहाज से उत्तर प्रदेश खासा समृद्ध है। प्रदेश की औसत बारिश 990 मिमी है। देश की पंच नदियों में से गंगा, यमुना और सरयू उत्तर प्रदेश में ही हैं। ऐसे में यहां पानी के संरक्षण से अधिक जरूरी उपलब्ध पानी का प्रबंधन है। इसी में बाढ़ और सूखे का स्थायी समाधान भी है। योगी सरकार लगातार यही कर रही है। अमृत सरोवर के बाबत गत दिनों मुख्यमंत्री ने जो निर्देश दिया उसके पीछे भी यही मंशा है।

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मालूम हो कि 12 अप्रैल को उच्चाधिकारियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अमृत सरोवर के बाबत निर्देश दिया था। ये तालाब एक पंथ कई काम का जरिया बनेंगे। ये भूमिगत जल का स्तर ठीक रखने में मददगार होंगे। इनकी खोदाई या पुनरोद्धार के दौरान स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। चूंकि इन तालाबों का नाम किसी स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से होगा। लिहाजा यह स्थानीय लोगों को अपने इतिहास का गौरवबोध कराएगा। साथ ही यह भी याद दिलाएगा कि आजादी यू ही नहीं मिली। इसके लिए बहुतों ने अपना सब कुछ न्यौछावर किया था।

मुख्यमंत्री का साफ निर्देश था कि नाम (अमृत सरोवर) के अनुरूप ये तालाब साफ-सुथरे होने चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसमें किसी भी तरह की गंदगी न जाए। स्थानीय जलवायु के अनुसार इनके जैविक विविधता का भी ख्याल रखा जाय ताकि ये स्थानीय लोंगों के आकर्षण का भी केंद्र बनें।


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