महंगाई की आग में किचन हो या कंपनी सब झुलस रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल जनवरी से लेकर अक्तूबर तक पेट्रोल की कीमत 18 रुपये, डीजल 20 रुपये के लगभग बढ़ गई। वहीं घरेलू सिलिंडर की कीमत में भी करीब 300 रुपये तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्तमान में पेट्रोल शतक लगा चुका है, वहीं डीजल भी उसी के नक्शे कदम पर है। सिलिंडर भी एक हजारी होने की दहलीज पर है। कुल मिलाकर दाम बढ़ने से न सिर्फ मालभाड़ा बढ़ा, बल्कि आम जरूरत की वस्तुएं तक महंगी हो गई हैं। आइए जानते हैं महंगाई की आग से कारोबार हो या किचन किस तरह प्रभावित हुआ है।
30 फीसदी कम हो गया साड़ी का कारोबार
लघु उद्योग भारती काशी के महामंत्री तपेश रस्तोगी का कहते हैं कि तेल का दाम बढ़ने से दो महीने में रेशम के दाम में 1500 रुपये प्रति किलो का उछाल आया है। चार हजार रुपये प्रति किलो का रेशम अब 5400 रुपये प्रतिकिलो मिल रहा है। इससे कारोबार में 30 फीसदी की गिरावट आई है।डीजल के दाम बढ़ने से मेवा, गरी से लेकर मसालों तक के सामान आसमान छू रहे हैं। 20-25 फीसदी तक इसमें किराना के सामानों में उछाल आया है।
55 का लोहा 75 रुपये प्रतिकिलो हो गया
लघु उद्योग भारती काशी के अध्यक्ष राजेश सिंह का कहना है कि तेल की कीमत बढ़ते ही 10 दिन में लोहे की कीमत सात रुपये प्रति किलो बढ़ गई। वहीं छह महीने पहले 55 रुपये प्रति किलो मिलने वाले लोहे की कीमत 75 रुपये हो गई।
ट्रांसपोर्ट पर खड़े हैं वाहन, भाड़ा निकालना मुश्किल
वाराणसी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयप्रकाश तिवारी का कहना है कि ट्रांसपोर्टरों के पास अपनी गाड़ियां स्क्रैप में बेचने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। भाड़ा नहीं मिलने से ट्रांसपोर्ट पर वाहन खड़े हैं। भाड़ा निकालना मुश्किल हो रहा है।
बिजली-भाड़ा मंहगा मगर नहीं बढ़ाया डीलरों का कमीशन
वाराणसी पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद सिंह का कहना है कि 2017 से अब तक तेल के दाम आसमान छूने लगे, लेकिन डीलरों को मिलने वाला कमीशन तीन रुपये से अधिक नहीं बढ़ाया गया। जबकि बिजली, पानी ट्रांसपोर्ट सब महंगा हो गया

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