शहर में मेट्रो रेल परियोजना की डिजाइन 2016 में तैयार की थी। परियोजना के लिए चयनित राइट्स एजेंसी ने पहले बमरौली में एयरपोर्ट से लेकर झूंसी में सिटी लेक फारेस्ट और फाफामऊ में शांतिपुरम से लेकर नैनी में डेज मेडिकल चौराहा तक (कुल करीब 40 किमी.) मेट्रो रूट (कारीडोर) तय किया था। बाद में झूंसी में कनिहार तक रूट बढ़ा देने से लंबाई करीब दो किमी बढ़ गई थी। पहले चरण में बमरौली एयरपोर्ट से कनिहार तक मेट्रो चलाने की ही योजना थी। 2019 में कुंभ मेले के पहले झलवा के आगे सिविल एयरपोर्ट बनने और सड़कें चौड़ी होने से इस रूट से मेट्रो चलाने का निर्णय एजेंसी के साथ अफसरों की बैठक में लिया गया था। एजेंसी द्वारा इस रूट का फौरी सर्वे किया गया तो करीब आठ किमी लंबाई बढ़ रही थी, जिसे शासन से स्वीकृति नहीं मिली। अंतत: पहले के रूटों की डीपीआर शासन को भेजी गई। 2019 में ही रेल मंत्रालय द्वारा लाइट मेट्रो और 2020 में नियो मेट्रो का कांसेप्ट लाया गया। इसलिए यातायात के मद्देनजर अब लाइट अथवा नियो मेट्रो के लिए डीपीआर तैयार कराने की कवायद शुरू की गई है टीपीनगर, गयासुद्दीनपुर, मीरापट्टी, धूमनगंज, सूबेदारगंज, प्रयागराज जंक्शन, सिविल लाइंस बस अड्डा, मेडिकल चौराहा, परेड मैदान, संगम, डीआइटीसी, झूंसी अंदावा, सिटी लेक फारेस्ट, कनिहार। कारिडोर दो में शांतिपुरम से नैनी के क्षेत्र शामिल हैं।

लाइट अथवा नियो मेट्रो के लिए अब डीपीआर तैयार कराया जाएगा। मेट्रो की तुलना में इसमें खर्च काफी कम आएगा लेकिन, अभी इसका आकलन नहीं हुआ है। भविष्य में ट्रैफिक बढ़ेगा लेकिन, कई साल तक सरकार घाटा नहीं झेल सकती है

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