बच्चों के भविष्य को संवारने, आर्थिक और शैक्षिक मदद पहुँचाने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गयी है। जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्रा ने बताया कि यह शासनादेश योजना को लेकर एक सकारात्मक कदम है। इससे ज्यादा से ज्यादा निराश्रित बच्चे लाभ पा सकेंगे। अभी तक जनपद में 135 बच्चों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 104 बच्चों का सत्यापन पूरा हो चुका है। प्रशासन अपने स्तर पर पात्र बच्चों की जानकारी एकत्र कर रहा है । इसके साथ ही नए आवेदनों का भी इंतजार है। उन्होने कहा कि योजना के तहत मासिक वित्तीय सहायता एवं अन्य सभी लाभ पाने के लिए वह निराश्रित बच्चे पात्र होंगे जिनके माता-पिता व संरक्षक की मृत्यु कोरोना महामारी से हुई है। बच्चा उत्तर-प्रदेश का निवासी होना चाहिए बाल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट मोहम्मद हसन जैदी ने कहा कि इस शासनादेश से बहुत से बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा। हमें यह भी समझना होगा कि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को उनके रिश्तेदार या अन्य कोई संपत्ति के लालच में गलत तरह से गोद ले सकता है। ऐसे बच्चों को वह बाल श्रम में धकेल सकते हैं। मानसिक व शारीरिक शोषण भी किया जा सकता है। आस-पास कहीं भी ऐसी स्थिति नजर आए तो नजदीकी पुलिस या बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दें। ऐसे बच्चों की जानकारी श्रम विभाग के ‘पेंसिल’ पोर्टल पर या चाइल्ड लाइन के टोल फ्री हेल्पलाइन 1098 पर भी दी जा सकती है
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