आजादी के ६ दशकों के पश्चात भी बहुत से लोग ऐसे भी है जिनके पास न स्वास्थ्य सुविधाएँ है, न शिक्षा है, न रोजगार है, न ही उनके पास शहर के लोगों की तरह अच्छे कपडे पहनने को है और न अच्छे भोजन करने को | उन्हें तो बस आज की चिंता रहती है, कल क्या होगा उसकी कल देखेंगे | ऐसे ही कुछ लोगों से मेरी मुलाकात हुई तो दिल में एक अजीब सी हलचल पैदा हो गयी है | इसी लिये इनकी तस्वीर इस आशय से आप सब के सम्मुख रख रहा हु की कभी किसी मोड पर ऐसे लोगों से मुलाकात हो तो उनकी मदद अवश्य करें |

यदि आप मदद करने में सक्षम न हो तो इन्हे तसल्ली जरुर दे, कुछ इनमे जागरूक बनने की इच्छा शक्ति को जागृत अवश्य ही करें | इनके लिये बैंक, बीमा, म्यूच्युअल फंड, डाकघर के लिये कोई मायने नही है और इनलोगों के लिये ये सब एक रहस्य की दुनिया लगती है | ये तो सिर्फ खुश है कि अपनी मेहनत से अपना जीवन निर्वहन कर पा रहे है |
“मेरे लिये न शिक्षा है और न ही स्वस्थ्य सेवाएँ न ही मेरे लिये बचपन है खेलने के लिये मेरे लिये तो सिर्फ जरुरी है मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालने की”
“यही मेरे लिये शिक्षा है और यही मेरे लिये बचपन क्योकि मै अगर इससे प्यार नही करूँगा तो खाऊंगा क्या ? देश सरकार सब मेरे लिये निर्जीव है जो कि सिर्फ बड़े लोगों कि मदद करते है हमें कौन पूछता है और हमारे दर्द को”
“चलो थोड़ा काम कर ले नही तो आज खाने को नही मिलने वाला”
“हम सब के लिये तो यही मनोरंजन भी है और यही आराम करने की जगह भी”
“कल की क्यू सोचूं जब मुझे आज में ही जीना है”
“न मै मनारेगा जनता हु और न ही बेरोजगारी भत्ता मेरे लिये तो सब दूर के ढोल है जो बज रहें है पर जब सुनने पास जाता हु तो वहाँ मेरे जैसे लोगों की कोई गिनती नही है”
“भाई ये लैपटाप और टैबलेट क्या होते है मेरे लिये तो यही लैपटाप और टैबलेट है जिनकी वजह से मै अपने बच्चों का पेट पालता हूँ”
“मै भी खास हूँ क्योकि मेरे इस काम से ही कई लोगों की भूख मिटती है फिर वो चाहे मंत्री हो या फिर अधिकारीगण”
“हर पार्टी में मै सबका मुह मीठा कराता हूँ पर कोई मुझे भूल से भी नही पूछता कि तुम हो कौन, लोग मुझे सिर्फ अपना काम निकालने को बुलाते है उनके लिये मेरी कोई पहचान नही”
“हम देश के लिये है देश में है पर देश के लिये हम नही शायद, तभी तो हम पीड़ी दर पीड़ी से यही करते चले आ रहे है और शायद आगे भी यही करते रहेगे”

आज के इस आधुनिकतम युग में भी यही हालत है भारत के जरा सोचियें और शपथ लीजिए की हम अपने आस-पास लोगों को जागृत जरुर करेंगे जिससे कम से कम इनकी आने वाली पीड़ी पढ़ लिख कर सम्मान की जिंदगी बिता सकें | तभी सही मायने में हमारे देश की आजादी होगी |

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