उतरौला बलरामपुर -बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अव सर पर श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में अपने आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। उतरौला बाजार से लगभग 5 किलो मीटर की दूरी पर स्थित राप्ती नदी के किनारे एक विशाल मेले का आयोजन किया गया। इसके साथ ही, भुड़कुंडा, सिंगरजोत घाट, ग्राम दुधरा, सहित अन्य स्थानों पर भी मेले लगे हैं, जहां आस पास के गांवों और दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी हुई है।   हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेषमहत्व माना जाता है। मान्यता यह है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण कर वेदों की रक्षा की थी। साथ ही साथ त्रिपुरासुरराक्षस का वध कर भगवान शिव ने "त्रिपुरारी" का नाम धारण किया था, जिससे यह दिन देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता हैसूर्योदय से पहले ही श्रद्धालुओं ने राप्ती नदी में स्नान कर दीपदान, पूजा- अर्चना और दान-पुण्य का आयोजन किया। घाटों पर श्रद्धालुओं ने जल में दीप प्रवाहित किए, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। मेला स्थल पर धार्मिक गीतों और भजनों की धुन गूंज रही थी,जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया है।  राप्ती नदी पर लगे मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें,झूले, खिलौने, मिठाई की दुकानें और घरेलू सामान की बिक्री तेज थी। बच्चों के लिए झूले और खिलौने मुख्य आकर्षण रहे। मेले में लोगों ने पारम्परिक व्यंजनों का आनन्द लिया,और पूजा सामग्री की खरीदारी की। मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल और प्रशासनिक अधि कारियों की तैनाती की गई थी। घाटों परसफाई और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास किए गए।  
भुड़कुंडा, सिंगरजोत घाट सहित अन्य गांवों में भी कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया गया।
सिंगर जोत घाट पर स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मेले का आनन्द लिया यहां स्थानीय व्यंजनों की दुकानों के साथपूजा सामग्री और हस्तशिल्प वस्तुओं की बिक्री ने श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित किया। धार्मिक वातावरण और मेलों की पारम्परिक रौनक ने इसे खास बना दिया है।
ग्राम भुड़कुंडा में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर को और भी विशेष बनाने के लिए मेले के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बाहर से आए हुए कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक प्रोग्राम का कार्यक्रम रखा गया था जिसमें भारी संख्या में महिला पुरुष तथा बच्चे शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लिया।
कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर श्रद्धा लुओं का उत्साह देखते ही बनता था। इस अव सर ने लोगों को आध्या त्मिक शांति और सांस्कृ तिक विरासत से जोड़ने का कार्य किया गया था। 

          हिन्दी संवाद न्यूज से
         असगर अली की खबर
           उतरौला बलरामपुर। 
    

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