गोण्डा। जनपद मुख्यालय स्थित जिला पूर्ति कार्यालय इन दिनों चर्चाओं में है। यहां राशन कार्ड बनवाने और नाम जुड़वाने के नाम पर खुलेआम गोरखधंधा चल रहा है। यहां पूर्ति विभाग के जिम्मेदारों द्वारा राशन कार्ड से लेकर कोटेदारों से अवैध वसूली की खुली छूट दे दी गई है। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से बाहरी व्यक्ति कार्यालय का पूरा काम देख रहा है, जबकि अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। सरकार जहाँ राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता के दावे कर रही है, वहीं गोण्डा में हकीकत इसके उलट नज़र आ रही है। जिला पूर्ति कार्यालय में नये राशन कार्ड बनवाने या पुराने कार्ड में नाम बढ़वाने पहुंचे लाभार्थियों के आवेदन पोर्टल से निरस्त कर दिये जा रहे हैं। लोग रोज़ाना कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समाधान के बजाय उन्हें “फिर से आवेदन कराइए” का जवाब मिल रहा है। स्थानीय प्रधान भी इस अव्यवस्था से परेशान हैं। इस समय प्रधानी का चुनाव कुछ दिन बाद होने से कई ग्राम प्रधान अपने-अपने ग्राम सभा के लोगों की समस्या को लेकर जिला पूर्ति कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। उनके द्वारा वहां पर मौजूद प्राइवेट कर्मचारियों से कहा जाता है की इसको देख लीजिये तो कहा जाता है कि आप का आवेदन निरस्त हो गया है, जाइये फिर से आवेदन कराइये तब आइये। वजीरगंज के ग्राम प्रधान सुशील जायसवाल ने बताया कि उन्होंने अपने ग्राम सभा के कई लोगों के राशन कार्ड आवेदन के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे और आय प्रमाण पत्र,परिवार रजिस्टर की नकल भी ब्लाक से डिस्पैच करवाकर लाये थे। लेकिन जब उन्होंने कार्यालय में मौजूद अनिल जायसवाल से आवेदन की स्थिति पूछी, तो पता चला कि पोर्टल से सारे आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं, और फिर से आवेदन करवाने को कहा गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिला पूर्ति कार्यालय में अरुण नामक व्यक्ति पिछले कई महीनों से ‘बाबू’ की कुर्सी संभाले बैठा है। बताया जा रहा है कि वह किसी भी सरकारी पद पर नहीं है न नियमित कर्मचारी, न संविदा कर्मी- फिर भी विभाग का सारा काम उसी के द्वारा जिला पूर्ति अधिकारी की आईडी से लॉगिन करके संचालित किया जा रहा है। कोटेदारों के काम से लेकर राशन कार्ड से जुड़ी सभी फाइलें इसी व्यक्ति के माध्यम से निपटाई जाती हैं। यही नहीं अपना कार्य करवाने के लिये इसके आगे पीछे पूर्ति निरीक्षक भी लगे रहते हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, “अरुण का रुतबा किसी अफसर से कम नहीं, उसके आगे सभी कर्मचारी नतमस्तक रहते हैं।” जब इस मामले में जिला पूर्ति अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर बता रहा था। अब देखना यह है कि क्या बाहरी व्यक्ति के सहारे ही जिला पूर्ति कार्यालय में यह गोरखधंधा चलता रहता है या उच्चाधिकारी इस प्रकरण को संज्ञान में लेकर कोई कार्यवाही करेंगे?
एम पी मौर्य
हिन्दी संवाद न्यूज
गोंडा
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