उपराष्ट्रपति ने वाराणसी में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में श्री काशी नठ्ठू
कोटई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा नवनिर्मित धर्मशाला का उद्घाटन किया

काशी दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी, काशी और तमिलनाडु के
बीच पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध : उपराष्ट्रपति

नवनिर्मित सतराम भवन भक्तों को सुविधाएं प्रदान करने के
साथ आध्यात्मिक जागरूकता में मदद करेगा

यह पहल काशी-तमिलनाडु के गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव
को मजबूत करके ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाती

सतराम धर्मशाला जहाँ एक ओर श्रद्धालुओं को ठहरने का एक
सुविधाजनक स्थान उपलब्ध कराएगी, वहीं दूसरी ओर काशी और
तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक सम्बन्धों को और सुदृढ़ करेगी : मुख्यमंत्री

काशी की आत्मा सनातन और आत्मीयता वैश्विक, प्रधानमंत्री
जी के नेतृत्व में काशी समग्र विकास के प्रतिमान स्थापित कर रही

श्रीकाशी विश्वनाथधाम के लोकार्पण के बाद देश-दुनिया
से काशी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई

विगत वर्षों में वाराणसी के लिए 51 हजार करोड़ रु0 की विकास
परियोजनाएं स्वीकृत, इसमें से 34 हजार करोड़ रु0 की विकास परियोजनाएं
प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों द्वारा लोकार्पित होकर काशी को पहचान दिला रहीं

वाराणसी में आगामी 01 से 04 नवम्बर तक गंगा महोत्सव और कार्तिक
पूर्णिमा के अवसर पर आगामी 05 नवम्बर को देव दीपावली का भव्य आयोजन

उपराष्ट्रपति व मुख्यमंत्री ने श्रीकाशी विश्वनाथ
मन्दिर तथा अन्नपूर्णा अम्मन देवी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया

लखनऊ : 31 अक्टूबर, 2025

उपराष्ट्रपति श्री सी0पी0 राधाकृष्णन जी ने आज जनपद वाराणसी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की उपस्थिति में श्री काशी नठ्ठू कोटई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा नवनिर्मित धर्मशाला का उद्घाटन किया।
      उपराष्ट्रपति जी ने इस अवसर पर कहा कि काशी को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है। काशी और तमिलनाडु के बीच पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं। उन्होंने वाराणसी की प्रगति का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि 60 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सतराम भवन विश्वास, लचीलेपन और क्षेत्रों के बीच सहयोग का प्रतीक है। धर्म की ही जीत होती है। राज्य सरकार के प्रयासों से ही सतराम भवन की भूमि अतिक्रमण से मुक्त हुई है।
उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि सतराम भवन आने वाले भक्तों को बहुत फायदा पहुंचाएगा और साथ ही, आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने में भी मदद करेगा। नवनिर्मित सतराम भवन 10 मंजिला इमारत है, जिसमें 140 कमरे हैं। इसे श्री काशी नठ्ठू कोटई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी ने 60 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है। यह वाराणसी में सोसाइटी का दूसरा सतराम है, जो आने वाले भक्तों को रहने की जगह देने और युवा पीढ़ी को पवित्र शहर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। यह पहल काशी-तमिलनाडु के गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करके ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाती है। काशी और दक्षिण भारत के बीच तीर्थयात्रा की पुरानी परम्परा रही है।
उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्होंने देवी अन्नपूर्णा अम्मन देवी की मूर्ति को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में वापस लाने की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मूर्ति, जो एक सदी पहले वाराणसी के मंदिर से चोरी हो गई थी, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार के लगातार प्रयासों से वर्ष 2021 में कनाडा से भारत वापस लाई गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भारत गणराज्य के उपराष्ट्रपति श्री सी0पी0 राधाकृष्णन जी के काशी की पावनधरा तथा उत्तर प्रदेश प्रथम आगमन पर हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करते हुए कहा कि वाराणसी के गंगा जी के किनारे से लेकर तमिलनाडु की कावेरी नदी के तट तक की हमारी साझी परम्परा हमें याद दिलाती है कि भाषाएं भले ही अलग हां, भारत की आत्मा एक ही है, जो शाश्वत समावेशी एवं अटूट सम्बन्धों से जुड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री काशी नठ्ठू कोटई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा नवनिर्मित धर्मशाला श्रद्धालुओं को ठहरने का एक सुविधाजनक स्थान उपलब्ध कराएगी। साथ ही, काशी और तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक सम्बन्धों को और सुदृढ़ भी करेगी। भगवान श्रीराम द्वारा रामेश्वरम धाम में स्थापित शिवलिंग और काशी में विराजमान भगवान आदि विश्वेश्वर पवित्र ज्योतिर्लिंग एक दूसरे के रूप में पूजित हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ और रामेश्वरम दोनों भगवान शिव के दिव्य स्वरूप हैं। कहा गया है -‘काशी विश्वनाथं द्रष्ट्वा, रामेश्वरं पूजयेत्’। यह श्लोक उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक एकात्मता का सुन्दर सार प्रस्तुत करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम और भगवान शिव के माध्यम से निर्मित इस सम्बन्ध सेतु को परमपूज्य आदि शंकराचार्य जी ने भारत के चारों कोनों में पवित्र पीठ की स्थापना कर आगे बढ़ाया। आदि शंकराचार्य जी ने काशी में आकर ज्ञान प्राप्त किया और सम्पूर्ण भारत को अद्वैत दर्शन का सन्देश दिया। काशी ने उन्हें आत्म ज्ञान दिया और उन्होंने भारत को आत्मबोध दिया। यह परम्परा हमें सन्तुलन और विवेक का सन्देश देती है। आदिकाल से चली आ रही इस शाश्वत परम्परा को प्रधानमंत्री जी गति प्रदान कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में देश की गौरवशाली आस्था के प्रति सम्मान और पुनर्स्थापना का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तमिलनाडु की ‘तेनकाशी’ में भगवान विश्वनाथ का एक प्राचीन मन्दिर है। तेनकाशी का अर्थ है-दक्षिण की काशी। पांड्य देश के सम्राट श्री हरिकेसरी परक्किराम पांड्यिम ने काशी से ज्योर्तिलिंग लाकर तेनकाशी की स्थापना की। तमिलनाडु में ‘शिवकाशी’ नामक एक पवित्र स्थान भी है। काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं। भारत में संस्कृत भाषा के अतिरिक्त तमिल साहित्य ही सबसे प्राचीन साहित्य है। समस्त भारतीय भाषाएं और उनका साहित्य सभी को अपने में समाहित करता है। समावेशी सांस्कृतिक प्रेरणा का यह स्रोत समाज में सद्भाव और समरसता बनाए हुए है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम की भक्ति के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले दक्षिण भारत के पूज्य संतों-श्री त्यागराजा, श्री पुरन्दर दास तथा श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमा इसी माह अयोध्या धाम में केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के साथ मिलकर स्थापित की गई है। इसके पूर्व, अयोध्या में विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक संत रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 500 वर्षां का इन्तजार समाप्त करते हुए अयोध्याधाम में भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर निर्माण के साथ ही 04 प्रमुख द्वारों के नामकरण जगद्गुरु शंकराचार्य जी, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य जी, जगदगुरु मध्वाचार्य जी और जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी के नाम पर किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी की आत्मा सनातन और आत्मीयता वैश्विक है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में काशी समग्र विकास के प्रतिमान स्थापित कर रही है, जिसमें काशी की पुरातन के साथ नूतन तथा आध्यात्मिकता के साथ आधुनिकता का संगम है। काशी के समीप सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया। गुरु नानक देव जी ने काशी आकर मानवता का सन्देश दिया। गोस्वामी तुलसीदास जी ने यहाँ श्रीरामचरितमानस की रचना कर भक्ति की धारा  प्रवाहित की। संत कबीरदास जी और सद्गुरु संत रविदास जी ने समाज को समरसता और मानवता का अमूल्य संदेश इसी पावनधरा से दी। काशी में अब भक्ति के साथ विकास भी है। यह संतुलन ही इस नगरी की विशेषता है। श्री काशी विश्वनाथ धाम इसका जीवन्त उदाहरण है। इसने न केवल मन्दिर क्षेत्र का कायाकल्प किया, बल्कि श्रद्धा को आधुनिक सुविधा से जोड़कर एक नई सांस्कृतिक दृष्टि दी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी विश्वनाथधाम के लोकार्पण के बाद देश-दुनिया से काशी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिसमें तमिलनाडु एवं अन्य दक्षिणी राज्यों के श्रद्धालु प्रमुखता से शामिल हैं। विगत वर्षों में वाराणसी के लिए 51 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं स्वीकृत हुइंर्। इसमें से 34 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों द्वारा लोकार्पित होकर काशी को पहचान दिला रही हैं। 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाएं प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं। रोड, रेल, एयर और जलमार्ग की बेहतरीन कनेक्टिविटी यहाँ के जीवन को सरल और गतिशील बना रही है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से शीघ्र ही काशीवासियों को देश के पहले अर्बन रोप-वे सिस्टम की सौगात मिलेगी। यह परियोजना पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ सार्वजनिक शहरी परिवहन को नई दिशा देगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उपराष्ट्रपति जी द्वारा आज यहां धर्मशाला का उद्घाटन किया गया है। इस स्थान पर 200 वर्ष पूर्व से नठ्ठू कोटई समाज द्वारा यह भूमि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा-अर्चना के लिए दी गई थी। लेकिन बीच के कालखण्ड में कुछ लोगों ने इस पर अतिक्रमण करके तथा जबरन कब्जा करने का प्रयास किया था। जैसे ही समिति के लोगों ने इसकी जानकारी मुझे दी, स्थानीय प्रशासन से कहकर उस अतिक्रमण को समाप्त कराया गया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सोसाइटी 200 वर्षों से भगवान विश्वनाथ की पूजा आराधना के लिए समर्पित है। सोसाइटी द्वारा देश और दुनिया के तमिल समुदाय के लोगों के लिए एक अति उत्तम धर्मशाला का निर्माण यहां पर किया गया है। इसकी आधारशिला केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामण ने रखी और आज भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा इसका उद्घाटन किया गया है। उन्होंने तमिलनाडु एवं विश्व के अन्य स्थानों से आये अतिथियों से कहा कि अगर दुनिया में निवेश का सबसे अच्छा केंद्र भारत है, तो भारत में उत्तर प्रदेश में निवेश की बेहतरीन सुविधाएं निवेशकों को उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कल से काशी में गंगा महोत्सव का आयोजन भी है।  01 से 04 नवम्बर, 2025 एकादशी से लेकर चतुर्दशी तक गंगा महोत्सव और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आगामी 05 नवम्बर को देव दीपावली का भव्य आयोजन भी काशी में होने जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में तमिलनाडु एवं विश्व के अन्य देशों से आये लोगों से कहा कि गंगा महोत्सव और देव दीपावली के कार्यक्रम में काशी की सभ्यता और दिव्यता का अवश्य अवलोकन करें। इससे आप सभी को आनंद की अनुभूति होगी। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नए भारत की नई काशी आपको और भी आकर्षित करेगी।
इसके उपरान्त उपराष्ट्रपति जी व मुख्यमंत्री जी ने श्रीकाशी विश्वनाथ मन्दिर तथा अन्नपूर्णा अम्मन देवी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया।
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