मुख्यमंत्री जनपद बलरामपुर के देवीपाटन मन्दिर में ब्रह्मलीन महंत श्री महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में सम्मिलित हुए
महंत महेंद्रनाथ जी महाराज ने लम्बे समय तक शक्तिपीठ देवीपाटन की सेवा की, उन्होंने 25 वर्ष पहले जिन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया था, वह आज मूर्त रूप लेते हुए आगे बढ़ रहे : मुख्यमंत्री
श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा ज्ञान की कथा भी है, भक्ति की कथा भी है और वैराग्य की कथा भी
धार्मिक संस्था केवल आस्था का केन्द्र ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता की प्रेरणा का केन्द्र-बिन्दु भी बन सकती
यह वर्ष देश के लिए अत्यन्त सौभाग्यशाली, इस वर्ष लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती के 150 वर्ष पूर्ण हुए, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ अपनी रचना के 150वें वर्ष में पहुँच गया
राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ भारत माता की वन्दना का गीत, यह भारत की आजादी और देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाला मंत्र बना
यह वर्ष धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयन्ती का वर्ष, यह बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर द्वारा संविधान की ड्राफ्टिंग के 75 वर्ष पूर्ण होने का वर्ष भी, इसी वर्ष हमने प्रयागराज महाकुम्भ का आयोजन देखा
हर धर्मस्थल अपने राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके, सकारात्मक भाव से समाज को जोड़ने के अभियान से जुड़े
देश को प्रधानमंत्री जी का यशस्वी नेतृत्व प्राप्त हो रहा, प्रधानमंत्री जी ने विगत 11 वर्षों में भारत का कायाकल्प कर दिया
राज्य सरकार प्रधानमंत्री जी का अनुसरण करते हुए लगातार विकास के नित नए प्रतिमान स्थापित करते हुए आगे बढ़ रही
मुख्यमंत्री ने युवाओं का आह्वान किया कि वह जागरूक हों, अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें
लखनऊ : 10 नवम्बर, 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज जनपद बलरामपुर के देवीपाटन मन्दिर में ब्रह्मलीन महंत श्री महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सप्तदिवसीय समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में मुख्यमंत्री जी ने व्यास पीठ को नमन किया।
मुख्यमंत्री जी ने श्री महेंद्रनाथ जी महाराज की स्मृतियों को नमन करते हुए कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी महाराज ने लम्बे समय तक शक्तिपीठ देवीपाटन की सेवा की। एक संत और योगी के रूप में तथा गोरक्ष पीठाधीश्वर पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के सान्निध्य में मन्दिर और इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना योगदान देते रहे। उनके द्वारा किए गए कार्य 25 वर्षों के बाद भी यहाँ के जनमानस के लिए स्मरणीय बने हुए हैं। उन्होंने 25 वर्ष पहले जिन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया था, वह आज मूर्त रूप लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यहां पर मन्दिर के भौतिक विकास, मन्दिर परिसर के अंदर जन सुविधाओं का विकास तथा मन्दिर द्वारा संचालित अनेक प्रकार के सेवा के प्रकल्प, यह सभी तेजी के साथ आगे बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी भी धर्मस्थल का प्राथमिक दायित्व होना चाहिए कि वह समाज की आस्था का प्रतीक तो बने ही, साथ ही अपनी सेवा के माध्यम से वह लोक कल्याण का एक मजबूत केन्द्र बनकर भी उभरे। देवीपाटन मन्दिर आज से 35-40 वर्ष पहले केवल एक मन्दिर तक ही सीमित था। यहाँ की धर्मशाला भी टूटी हुई थी। अन्य जनसुविधाएँ नहीं थीं। मेले के दौरान या प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं को अनेक कठिनाइयाँ होती थीं। धीरे-धीरे चीजें आगे बढ़ी। आज यहाँ पर श्रद्धालुओं के लिए मन्दिर के भण्डारे में निःशुल्क प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था है। मन्दिर परिसर में धर्मशालाएँ, यात्री विश्रामालय बने हुए हैं। गौ-सेवा के कार्यक्रम चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मन्दिर परिसर में ही थारू जनजाति से जुड़े छात्रों के लिए एक उत्तम छात्रावास का निर्माण हुआ है। इन छात्रों के पठन-पाठन की व्यवस्था मन्दिर द्वारा संचालित सी0बी0एस0ई0 बोर्ड के विद्यालय में की जाती है। थारू जनजाति के लिए यह छात्रावास वर्ष 1994 में ही प्रारम्भ किया जा चुका था। विगत 31 वर्षों में इस छात्रावास से निकले छात्र जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत और नेपाल की सीमा की संवेदनशीलता हम सबके लिए सर्वविदित है। इस क्षेत्र में थारू जनजाति बाहुल्य गाँव हैं। पहले यह उपेक्षित थे। यहाँ कनेक्टिविटी नहीं थी। कोई जनसुविधा नहीं थी। स्कूल भी नहीं थे। वर्ष 1994 में बच्चों को इस क्षेत्र से लाकर यहाँ मन्दिर परिसर में रखकर उनके लिए व्यवस्था की गई। आज अति उत्तम छात्रावास के साथ ही, इन बच्चों के लिए उत्तम शिक्षा की व्यवस्था भी है। इसके माध्यम से वह अच्छी शिक्षा अर्जित कर रहे हैं और राष्ट्र निर्माण के प्रवर्तमान अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धार्मिक संस्था केवल आस्था का केन्द्र ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता की प्रेरणा का केन्द्र-बिन्दु भी बन सकती है। यह इस संस्था द्वारा यहाँ करके दिखाया गया है। यहाँ पर माँ पाटेश्वरी के नाम पर सी0बी0एस0ई0 बोर्ड का एक विद्यालय संचालित है। यह अच्छे ढंग से संचालित हो रहा है। यहाँ कस्बे के साथ-साथ अगल-बगल के गाँवों के बच्चे भी बड़ी संख्या में आकर उत्तम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में एक धर्मस्थल जागरूक बनकर अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रहा है। इससे बढ़कर और कोई कार्य नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धर्म का मतलब केवल उपासना विधि, आस्था या पूजा पाठ ही नहीं होता। भारतीय दर्शन के अनुसार धर्म का मतलब होता है कि जो इस लोक में सांसारिक उत्कर्ष का अर्थात भौतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग प्रशस्त करे तथा परलोक के लिए मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करे, वह व्यवस्था ही धर्म है। यह कार्य कर्तव्यों के निर्वहन के बिना सम्भव नहीं हो सकता। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे, यही हमारा दायित्व है। जब हम अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए आगे बढ़ते हैं, तब देश मजबूत बनता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह वर्ष देश के लिए अत्यन्त सौभाग्यशाली है। इस वर्ष अखण्ड भारत के प्रतीक लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती के 150 वर्ष पूर्ण हुए हैं। बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने आज से 149 वर्ष पूर्व भारत के राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना की थी। इस वर्ष राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ अपनी रचना के 150वें वर्ष में पहुँच गया है। यह वर्ष धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा की भी 150वीं जयन्ती का वर्ष है। यह वर्ष बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर द्वारा संविधान की ड्राफ्टिंग के 75 वर्ष पूर्ण होने का वर्ष भी है। यह भारतीय संविधान के अमृत महोत्सव का वर्ष भी है। इसी वर्ष हमने प्रयागराज महाकुम्भ का आयोजन भी देखा है। यह अनेक उपलब्धियों से जुड़ा वर्ष है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि देश की स्वाधीनता का मतलब आजाद होना मात्र नहीं है। स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हर नागरिक को अपने राष्ट्रीय दायित्वों का एहसास भी होना चाहिए। उन्हें इन दायित्वों का निर्वहन करने के लिए अपने आपको तैयार करना होगा। सरदार पटेल ने युवाओं के लिए कहा था कि जिस देश का युवा जागृत और राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत होता है, उस राष्ट्र को दुनिया की कोई ताकत गुलाम नहीं बना सकती। यह बातें हर देश, काल और परिस्थिति में हमारे लिए प्रासंगिक बनी हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ भारत माता की वन्दना का गीत है। भारत माता को साक्षात माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की प्रतिमूर्ति के रूप में स्थापित करते हुए इनकी वन्दना की गई है। यह गीत राष्ट्र माता के प्रति हमारे दायित्वों के निर्वहन के प्रति हम सबको आग्रही बनाता है। यह भारत की आजादी और देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाला मंत्र बना था। भारत का हर क्रान्तिकारी, स्वाधीनता संग्राम सेनानी ‘वन्दे मातरम्’ गाते-गाते फाँसी के फंदे को चूम लेता था, लेकिन वह विदेशी हुकूमत के सामने कभी भी नतमस्तक नहीं हुआ। यही ‘वन्दे मातरम्’ मंत्र का असर था, जो उन्हें पूरे समर्पण भाव के साथ जूझने के लिए तैयार करता था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विदेशी हुकूमत से भारत की दासता को मुक्त करने के लिए ही भगवान बिरसा मुण्डा ने अपना बलिदान दिया था। भगवान बिरसा मुण्डा के योगदान के दृष्टिगत ही 15 नवम्बर की तिथि को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया। इस वर्ष भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर भारत के संविधान के शिल्पी हैं। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। यह भारत को उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम एकता के सूत्र में जोड़ता है। भारत के प्रत्येक नागरिक को एक समान मताधिकार की स्वतंत्रता देता है। चाहे पुरुष हो या महिला, जो भी 18 वर्ष का हो गया है और भारत का नागरिक है, वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है। यह भारत के संविधान की ताकत है कि भारत की आम जनता भारत की सरकार को चुनती है। सरकार चुनने के लिए हमें किसी बाहरी ताकत के सहयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती। मतदाता जिसके समर्थन में अपना वोट कर देता है, वही विजयी होकर और जनता का प्रतिनिधि बनकर सरकार के गठन में अपना योगदान देता है। यह ताकत डॉ0 आंबेडकर ने दी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा साहब ने देश के अनुसूचित जाति, जनजाति और दबी-कुचली जातियों से यही कहा था कि आगे बढ़ना है, तो जीवन में सकारात्मक भाव लेकर आगे बढ़िए। तभी आपका जीवन यशस्वी हो जाएगा। जीवन में नकारात्मकता आएगी, तो यह स्वयं का ही नुकसान करेगी। जीवन में नकारात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। बाबा साहब ने युवाओं को अधिक से अधिक अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। भारत के साथ जुड़कर, भारत की राष्ट्रीयता पर विश्वास करते हुए, भारत की सुरक्षा के लिए समर्पण भाव से कार्य करने वाला युवा ही भारत की सभी समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यही शिक्षा हमारे संतों और महापुरुषों की है। आज का यह अवसर भी हमें इसी की प्रेरणा दे रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर भारत का हर धर्मस्थल समाज को जोड़ के राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना प्रारम्भ कर दे तो, कोई भी विधर्मी और राष्ट्र विरोधी तत्व पनप नहीं पाएगा। इसके लिए हर व्यक्ति को सजग होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा। हर धर्मस्थल अपने राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके, सकारात्मक भाव से समाज को जोड़ने के अभियान से जुड़े। आज देश को प्रधानमंत्री जी का यशस्वी नेतृत्व प्राप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री जी ने विगत 11 वर्षों में भारत का कायाकल्प कर दिया है और हर क्षेत्र में भारत को सर्वांगीण विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने में अपना योगदान दिया है। राज्य सरकार भी प्रधानमंत्री जी का अनुसरण करते हुए लगातार विकास के नित नए प्रतिमान स्थापित करते हुए आगे बढ़ रही है। इन कार्यों का उद्देश्य एक ही है कि हमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण की दिशा में कार्य करना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ की ही अभिव्यक्ति ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ है। यह इस धरती माता के प्रति हमारे समर्पण तथा कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक भाव है। ‘वन्दे मातरम्’ केवल गीत नहीं है। जब एक नागरिक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है, एक शिक्षक जब अपने छात्र को संस्कारवान बनाकर भारत की राष्ट्रीयता के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा देता है, एक व्यापारी ईमानदारी के साथ टैक्स के पैसे को सरकारी खजाने में जमा करता है, एक पुलिसकर्मी और नौकरशाह, जब ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वहन करता है, एक छात्र जब ईमानदारी के साथ अपने पाठ्यक्रम का अध्ययन करके आगे बढ़ता है, तो वह ‘वन्दे मातरम्’ के भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्र की वन्दना ही कर रहा होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्र की वन्दना का मतलब केवल पूजा की थाल सजा कर आरती कर देना ही नहीं है। राष्ट्र वन्दना कर्तव्यों का पालन होना चाहिए। जो कार्य इस मठ ने प्रारम्भ किए हैं, वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए ही किए हैं। यही प्रेरणा पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की थी, जिसे धरातल पर उतारने का काम इस पीठ के दिवंगत महंत महेंद्रनाथ जी महाराज ने किया।
मुख्यमंत्री जी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वह जागरूक हों, अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें। स्मार्टफोन के चक्कर में मत पड़ें। यह युवाओं के समय को बर्बाद करेगा और फिर उनके सोचने की सामर्थ्य को भी कम कर देगा। यह कुछ देर के लिए उपयोगी हो सकता है। स्मार्टफोन डिजिटल लाइब्रेरी के कण्टेण्ट के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन दिनभर इससे चिपके रहने से यह युवाओं के श्रम और शक्ति के साथ-साथ उनकी सामर्थ्य को भी कम करेगा। आपको मेहनत करने की आदत डालनी चाहिए। आप जितना अपनी दिमागी मेहनत को आगे बढ़ाएंगे, यही आने वाले वर्षों में आपके लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म का काम करेगा और यही आपके जीवन की आधारशिला भी बनेगी। कच्ची नींव पर पक्की इमारत खड़ी नहीं हो सकती। पक्की नींव पर ही पक्की इमारत का निर्माण हो सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम यहाँ शक्तिपीठ देवीपाटन मन्दिर के दिवंगत महंत महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं। इस अवसर पर श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के श्रवण का आनन्द सभी को प्राप्त हो रहा है। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा ज्ञान की कथा भी है, भक्ति की कथा भी है और वैराग्य की कथा भी है। वैराग्य का मतलब गुफा में जाकर केवल माला जपना नहीं होता है। वैराग्य का मतलब स्वार्थ से ऊपर उठकर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’, यानी निष्काम कर्म पर विश्वास करना। यही एक सच्चे सन्यासी का दायित्व है। हजारों वर्षों से श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा हम सबको सदैव बिना किसी कामना के राष्ट्र, समाज, देश और धर्म के लिए समर्पण के भाव के साथ कार्य करने की प्रेरणा देती रही है और आज भी दे रही है।
----------

एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know