फिल्म '120 बहादुर' के विरुद्ध संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा, खेड़की दौला, गुरुग्राम तथा अहीरवाल क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान लड़े गए रेजांग ला के ऐतिहासिक युद्ध की सच्चाई से छेड़छाड़ की है, जिसमें चार्ली कंपनी, 13 कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्य रूप से अहीर (यादव) सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। याचिका के अनुसार, फिल्म ने मेजर शैतान सिंह, PVC को एकमात्र नायक के रूप में चित्रित कर अहीर सैनिकों की सामूहिक वीरता, रेजिमेंटल गौरव और समुदायिक योगदान को मिटाने का प्रयास किया है, जो सिनेमेटोग्राफ एक्ट, 1952 की धारा 5B(1)-(2) का उल्लंघन है। यह ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने वाला आपराधिक कृत्य है, जो मृतकों के सम्मान पर भी आघात पहुँचाता है (भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356 के अंतर्गत)।
याचिका में मांग की गई है कि फिल्म का नाम '120 वीर अहीर' किया जाए, प्रमाणपत्र रद्द हो तथा रेजांग ला के आधिकारिक सैन्य रिकॉर्ड और जीवित योद्धाओं के बयानों के आधार पर सुधार किया जाए। इस याचिका पर आगामी 17 नवंबर को सुनवाई निर्धारित है। हम आशा करते हैं कि माननीय न्यायालय ऐतिहासिक सत्य की रक्षा हेतु फिल्म की रिलीज पर तब तक रोक लगाएगा, जब तक निर्माता इसमें आवश्यक संशोधन नहीं कर लेते। यह संघर्ष अहीर सैनिकों की शहादत और भारतीय सेना के गौरव को संरक्षित करने के लिए है।
रिपोर्टर सौरभ यादव
हिंदी संवाद न्यूज़


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