मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
लखनऊ : 14 नवम्बर, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
पात्र वृद्धजनों का ‘एक परिवार एक पहचान’ फैमिली आई0डी0 प्रणाली से वृद्धावस्था पेंशन योजना के अन्तर्गत स्वतः नामांकन एवं स्वीकृति कर भुगतान करने सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पात्र वृद्धजनों का ‘एक परिवार एक पहचान’ फैमिली आई0डी0 प्रणाली से राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अन्तर्गत स्वतः नामांकन एवं स्वीकृति कर भुगतान किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित किया है।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अन्तर्गत 67.50 लाख वरिष्ठ नागरिक वर्तमान में लाभ ले रहे हैं, किन्तु ऐसा अनुभव हुआ है कि अनेक वृद्धजन पात्र तो हैं, लेकिन आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इस समस्या को हल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई फैमिली आई0डी0 प्रणाली का प्रयोग किया जाना प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि फैमिली आई0डी0 के आधार पर अधिक से अधिक पात्र व्यक्तियों का चिन्हीकरण करते हुए उन्हें विभिन्न लाभार्थीपरक योजनाओं से आच्छादित किया जाए, जिससे पात्र व्यक्तियों को लाभार्थीपरक योजनाओं का ससमय एवं सुविधाजनक रूप से लाभ प्राप्त हो सके।
मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘रिफॉर्म, परफॉर्म एण्ड ट्रांसफॉर्म’ के सिद्धान्त पर चलते हुए अब फैमिली आई0डी0 से पात्र वरिष्ठ नागरिकों की सूची स्वतः बनेगी और समाज कल्याण विभाग के पोर्टल पर जाएगी। विभाग इन नागरिकों से ’सहमति’ प्राप्त कर पेंशन स्वीकृत करेगा। वार्षिक सत्यापन, मृत्यु, स्वयं मना करने जैसी स्थितियों में पेंशन समाप्त हो जाएगी।
फैमिली आई0डी0 से पात्र नागरिकों का चिन्हीकरण समाज कल्याण विभाग के पेंशन पोर्टल पर ए0पी0आई द्वारा ‘पुश’ किया जाएगा। यह ऐसे वृद्धजन होंगे, जिनकी आयु अगले 90 दिन में 60 वर्ष की हो जाएगी, ताकि समय से पेंशन स्वीकृत हो सके।
पात्र नागरिकों से ’सहमति’ लेने में समाज कल्याण विभाग पहले डिजिटल माध्यम (एस0एम0एस0, वॉट्सऐप, फोन कॉल आदि) से उनसे सम्पर्क करेगा। स्वचालित चिन्हीकरण में ’पात्र नागरिक’ स्वयं या किसी के सहयोग से पेंशन पोर्टल पर जा कर अपनी सहमति एवं बायोमेट्रिक देगे। यह कार्य ग्राम पंचायत सहायक या कॉमन सर्विस सेन्टर से भी कराया जा सकेगा। कॉमन सर्विस सेन्टर की डोर-टू-डोर सर्विस डिलीवरी की व्यवस्था भी उपलब्ध होगी। ऐसे आवेदन जिन पर ’पात्र नागरिक’ की सहमति डिजिटल माध्यम से प्राप्त नहीं होगी, उनसे विभागीय कर्मियों के माध्यम से भौतिक रूप से सम्पर्क कर सहमति प्राप्त की जायेगी। अगर भौतिक माध्यम से भी किसी वृद्धजन से सहमति प्राप्त नहीं होती, उन आवेदनों को प्रक्रिया से हटा दिया जाएगा।
स्वीकृति एवं भुगतान प्रकिया में स्वचालित चिन्हीकरण, आवेदन एव सहमति लेने के उपरान्त योजना अधिकारी द्वारा पात्रता की पुष्टि के अनुरूप 15 दिवस के अन्दर डिजिटल सिग्नेचर से स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी एवं स्वीकृति पत्र लाभार्थी को डाक द्वारा भेजा जाएगा। वृद्धजनों के आधार से जुड़े बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा तथा उन्हें एस0एम0एस0 द्वारा प्रत्येक भुगतान की सूचना दी जाएगी। लाभार्थी के लिए ऐप की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें पासबुक की तरह भुगतान का विवरण होगा।
डेटा विश्लेषण से सन्देह सूची में आने से पेंशन को अस्थायी रूप से रोका जा सकता है। इन कारणों में लाभार्थी के आयकर दाता होने आदि सम्मिलित हैं। सन्देह दूर होने पर पुनः शुरु किया जा सकता है।
पेंशन समाप्ति की प्रक्रिया में लाभार्थी का वार्षिक जैवता प्रमाण न प्राप्त होना, निर्धारित सीमा से अधिक का आय प्रमाण-पत्र जारी होना, लाभार्थी द्वारा स्वयं पेंशन का लाभ न लेने की संस्तुति देना, लाभार्थी की मृत्यु होने एवं अन्य कारण जिससे पात्रता ही समाप्त होती हो।
सुरक्षोपाय (सेफगार्ड्स) में पूर्व प्रचलित व्यवस्था में गुणवत्ता नियंत्रण एवं ऑडिट की पुष्ट व्यवस्था न होने के कारण कई बार अनियमितता होने की सम्भवना रहती है। इसे रोकने के लिए कार्रवाई की जाएगी। इसमें वार्षिक जैवता प्रमाण, सन्देह सूची एवं सतर्कता अनियमितता रोकने के लिए विभाग डाटा विश्लेषण, गुणवत्ता नियन्त्रण, तथा शिकायतों को गम्भीरता से लेने जैसे कार्य होंगे, ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके।
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पेराई सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश की समस्त चीनी मिलों द्वारा क्रय किये जाने वाले गन्ने का ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ निर्धारित
मंत्रिपरिषद ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश की समस्त चीनी मिलों (सहकारी क्षेत्र, निगम एवं निजी क्षेत्रों) द्वारा क्रय किये जाने वाले गन्ने के ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ के निर्धारण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इसके अन्तर्गत गन्ना कृषकों को उनकी उपज का समुचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से पेराई सत्र 2025-26 हेतु गन्ने की अगेती प्रजातियों के लिए 400 रुपये प्रति कुन्तल, सामान्य प्रजातियों के लिए 390 रुपये प्रति कुन्तल तथा अनुपयुक्त प्रजातियों के लिए 355 रुपये प्रति कुन्तल का मूल्य निर्धारित किया गया है।
इसके अलावा, मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि पेराई सत्र 2025-26 हेतु उपरोक्तानुसार निर्धारित किये गये ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ के अनुसार देय गन्ना मूल्य का भुगतान चीनी मिलों द्वारा कृषकों को एकमुश्त किया जाए। पेराई सत्र 2025-26 के लिए चीनों के वाह्य क्रय केन्द्रों से गन्ने का परिवहन मिल गेट तक कराए जाने के मद में होने वाली ढुलाई कटौती की दर 60 पैसे प्रति कुन्तल प्रति किलोमीटर, अधिकतम 12 रुपये प्रति कुन्तल निर्धारित की जाए। गन्ना कृषकों एवं सहकारी गन्ना विकास समितियों के हितों के दृष्टिगत पेराई सत्र 2025-26 हेतु गन्ना समितियों एवं गन्ना विकास परिषदों को देय अंशदान की दर 5.50 रुपये प्रति कुन्तल निर्धारित की जाए एवं तद्नुसार उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) नियमावली, 1954 के नियम-49 में आवश्यक संशोधन किया जाए।
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10 वर्ष तक की अवधि के किरायेदारी/पट्टा विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट दिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने 10 वर्ष तक की अवधि के किरायेदारी/पट्टा विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट दिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित किया है।
रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा-17 व 18 के प्राविधानों के अधीन एक वर्ष की अवधि की अचल सम्पत्ति की किरायेदारी सम्बन्धी विलेख का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य नहीं है, बल्कि ऐच्छिक है। एक वर्ष से अधिक की अवधि की अचल सम्पत्ति की किरायेदारी सम्बन्धी विलेख का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है। सामान्य अनुभव के अनुसार जनसामान्य द्वारा अधिकांश लीज विलेख मौखिक होते हैं अथवा यदि लिखित निष्पादित भी होते हैं, तो उनकी रजिस्ट्री नहीं कराई जाती है।
ऐसे विलेखों के उदाहरण विभागीय अधिकारियों को बहुधा जी0एस0टी0 विभाग या विद्युत् विभाग आदि की पत्रावलियों के किये जाने वाले परीक्षण में प्राप्त होते हैं और इन पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के प्राविधानों के अधीन स्टाम्प वाद दर्ज कर कमी स्टाम्प शुल्क की वसूली कराई जाती है। यह भी उल्लेखनीय है कि लीज विलेख की रजिस्ट्री कराई जाए या नहीं, इन पर समुचित स्टाम्प शुल्क की अदायगी प्रत्येक दशा में अनिवार्य है। समुचित स्टाम्प शुल्क अदा न होने की दशा में इन विलेखों पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के अधीन कार्यवाही की जा सकती है।
उपरोक्त परिस्थिति में यह आवश्यक प्रतीत होता है कि उ0प्र0 नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 के सफल क्रियान्वयन एवं आम जनता को राहत प्रदान करने के लिए भवन स्वामी एवं किरायेदारों को किरायानामा विलेख लिखत निष्पादित करने व रजिस्ट्री कराने को प्रोत्साहित किया जाय।
उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में व्यापक जनहित में राज्य में एक वर्ष की अवधि तक के मानक किरायेदारी विलेख को प्रोत्साहित करने एवं 10 वर्ष की अवधि तक के किरायानामा विलेखों के रजिस्ट्रीकरण और समुचित स्टाम्प शुल्क की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए 10 वर्ष की अवधि तक के किरायेनामों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट प्रदान किये जाने की आवश्यकता पायी गई।
उक्त के क्रम में दस वर्ष तक की अवधि के किरायेनामे विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क एवं प्रभार्य रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट प्रदान करते हुए एक निश्चित धनराशि का अधिकतम स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण फीस प्रभार्य बनाया गया है। साथ ही, औसत वार्षिक किराये की अधिकतम राशि की सीमा 10 लाख रुपये रखना तथा छूट से टोल सम्बन्धी पट्टे एवं खनन के पट्टे को मुक्त रखा गया है अन्यथा राजस्व की अत्यधिक क्षति सम्भव है।
अतः 10 वर्ष तक की अवधि के किरायानामा विलेखों पर निम्न तालिका के स्तम्भ-2 में वर्णित औसत वार्षिक किराये की धनराशि वाले किरायानामा विलेखों के वर्गों पर, उनकी अवधि के अनुसार भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के अनुसूची 1-ख के अनुच्छेद-35 के अधीन प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में स्तम्भ-3(क), 3(ख) व 3 (ग) में यथा-उल्लिखित सीमा से अधिक प्रभार्य रजिस्ट्रीकरण फीस से छूट प्रदान की जा रही है।
क्र0सं0 औसत वार्षिक किराये की धनराशि (रु0) प्रभार्य अधिकतम स्टाम्प शुल्क (रु0 में) प्रभार्य अधिकतम रजिस्ट्रीकरण फीस (रु0 में)
01 वर्ष तक 01 वर्ष से अधिक एवं 05 वर्ष तक 05 वर्ष से अधिक एवं 10 वर्ष तक 01 वर्ष तक
01 वर्ष से अधिक एवं 05 वर्ष तक
05 वर्ष से अधिक एवं 10 वर्ष तक
1 2 3 (क) 3(ख) 3(ग) 4(क) 4(ख) 4(ग)
1 2,00,000/- तक 500 रुपये 1,500 रुपये 2,000 रुपये 500 रुपये 1,500 रुपये 2,000 रुपये
2 2,00,001/- से 6,00,000/- तक 1,500 रुपये 4,500 रुपये 7,500 रुपये 1,500 रुपये 4,500 रुपये 7,500 रुपये
3 6,00,001/- से 10,00,000/- तक 2,500 रुपये 6,000 रुपये 10,000 रुपये 2500 रुपये 6,000 रुपये 10,000 रुपये
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प्लेज योजना में संशोधन/परिवर्धन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्लेज योजना में संशोधन/परिवर्धन के प्रस्ताव को स्वीकृत किया है। निर्णय के अनुसार प्लेज पार्क के लिये प्रस्तावित भूमि को 12 मीटर के स्थान पर कम से कम 07 मीटर चौड़ी सड़क से जुड़े होने का प्राविधान किया जाएगा, जिसमें कम से कम 07 मीटर ब्लैक टॉप रोड तथा कम से कम 1.50 मीटर पेवमेंट फुटपाथ आदि शामिल होंगे।
शर्त यह होगी कि यदि सम्पर्क मार्ग की चौड़ाई 07 मीटर होगी, तो प्लेज पार्क में सिर्फ ग्रीन/ऑरेंज कैटेगरी के उद्योगों को अनुमन्यता होगी। यदि सम्पर्क मार्ग की चौड़ाई 12 मीटर या अधिक होगी, तो सभी कैटेगरी के उद्योगों को अनुमन्यता होगी। यदि प्लेज पार्क का क्षेत्रफल 15 से 50 एकड़ के मध्य होगा, तो राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा प्लेज पार्क तक 2.5 किलोमीटर सड़क निर्माण कराया जायेगा।
एम0एस0एम0ई0 विभाग द्वारा विकसित होने वाले तथा पूर्व में विकसित ऐसे सभी प्लेज पार्कों पर 25 प्रतिशत विकास शुल्क अधिरोपित किया जाएगा, जो विकास प्राधिकरणों के नोटीफाइड क्षेत्र में स्थापित एवं विकसित होंगे। नोटीफाइड क्षेत्र से बाहर विकसित होने वाले प्लेज पार्कों पर किसी प्रकार का विकास शुल्क अधिरोपित नहीं किया जाएगा।
प्राधिकरण के नोटिफाइड क्षेत्रों के अन्दर विकास प्राधिकरण द्वारा ही मानचित्र स्वीकृत किये जायेंगे। बाहर के सभी क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृत करने हेतु आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग अथवा उनके द्वारा नामित प्राधिकारी अधिकृत होंगे।
प्लेज पार्क में स्टाम्प शुल्क देयता के लिए सम्पूर्ण औद्योगिक आस्थान को एक इकाई माना जायेगा। 07 मीटर या उससे अधिक चौड़े मार्ग पर स्थित औद्योगिक भू-खण्ड के मूल्यांकन हेतु एक समान सर्किल दर निर्धारित की जाएगी। प्लेज पार्क को विकसित करने के उपरान्त, जिलाधिकारी द्वारा प्लेज पार्क में स्थित भूखण्डों का मूल्यांकन करके न्यूनतम सर्किल दर निर्धारित की जायेगी। न्यूनतम दर निर्धारित करने से पूर्व, जिलाधिकारी द्वारा तत्समय समस्त हितधारक विभाग/संस्था के साथ विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जायेगा।
विलेखों की पुष्टि एवं तत्सम्बन्ध में छूट प्रदान करने के लिये साक्षी के रूप में हस्ताक्षर करने हेतु जिलाधिकारी अथवा जिलाधिकारी के अनुमोदन से उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केन्द्र को अधिकृत किया जायेगा। शासनादेश संख्या-10/2023/016/18-2-2023/
यह सभी प्राविधान पूर्व में स्वीकृत किये गये प्लेज पार्कों पर भी यथावत लागू होंगे। इस योजना के किसी भी बिन्दु पर आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।
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पी0एम0 कुसुम योजना के अन्तर्गत कृषकों के प्रक्षेत्रों पर स्टैण्ड एलोन सोलर पम्पों की स्थापना हेतु वर्ष 2024-25 के अवशेष लक्ष्यों की वर्ष 2025-26 में पूर्ति की कार्ययोजना स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी0एम0 कुसुम) योजना के अन्तर्गत कृषकों के प्रक्षेत्रों पर स्टैण्ड एलोन सोलर पम्पों की स्थापना हेतु वर्ष 2024-25 के अवशेष लक्ष्यों की वर्ष 2025-26 में पूर्ति की कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की है।
पी0एम0 कुसुम योजना के अन्तर्गत वर्ष 2025-26 में कुल 40,521 सोलर पम्पों की स्थापना करायी जानी है। प्रदेश में अधिक से अधिक कृषकों के प्रक्षेत्रों पर सोलर पम्प की स्थापना हेतु सोलर पम्प के कुल मूल्य (टेण्डर मूल्य) पर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाना है।
कृषकों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल के माध्यम से, टोकन प्रक्रिया के आधार पर, ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर किया जाएगा। आवेदन के समय कृषक को टोकन मनी के रूप में 05 हजार रुपये ऑनलाइन जमा करने होंगे। सोलर पम्प हेतु बुकिंग जनपदवार एवं क्षमतावार आवंटित लक्ष्यों की सीमा के अन्तर्गत की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एण्ड रिन्यूएबल एनर्जी (एम0एन0आर0ई0) द्वारा प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी0एम0-कुसुम) कम्पोनेन्ट-बी के अन्तर्गत स्टैण्ड एलोन सोलर पम्पों की स्थापना पर अनुदान की व्यवस्था दी गयी है। इस सम्बन्ध में निर्गत गाइडलाइन एवं कम्प्रेहेन्सिव गाइडलाइन के अनुसार सिंचाई हेतु विद्युत रहित क्षेत्र में प्रयोग किये जा रहे डीजल पम्प अथवा अन्य सिंचाई के साधनों को परिवर्तित करने तथा अतिदोहित एवं क्रिटिकल क्षेत्रों को छोड़कर नये क्षेत्रों में सिंचाई हेतु 01 एच0पी0 से 10 एच0पी0 तक के स्टैण्ड एलोन सोलर पम्पों की स्थापना पर अनुदान की व्यवस्था दी गयी है। इसके अन्तर्गत सोलर पम्पों की स्थापना से जहाँ एक ओर विद्युत ऊर्जा की बचत होगी, वहीं सोलर पम्प के संचालन के लिये ईंधन आदि का कोई आवर्ती व्यय नहीं होगा।
योजना के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 से मार्च, 2025 तक कुल 63,345 सोलर पम्पों की स्थापना कृषकों के प्रक्षेत्रों पर करायी गयी है। स्थापित सोलर पम्पों से 1.49 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन, 5483.98 लाख यूनिट प्रति वर्ष ऊर्जा की बचत, 1.26 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष कार्बन उत्सर्जन में कमी तथा सोलर पम्पों की स्थापना से डीजल पम्प सेट को परिवर्तित करते हुए कुल 877.50 लाख लीटर प्रतिवर्ष डीजल की बचत हुई है।
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मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के अन्तर्गत आने वाली इकाइयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर, उ0प्र0 की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के अन्तर्गत आने वाली इकाइयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-4, 50 व 52 एवं अधिनियम की अनुसूची में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2025 के प्रख्यापन तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मन्त्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधानमण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा विभाग के अधीन राज्य विश्वविद्यालयों से सम्बन्धित विधि को संशोधित और समेकित करने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (पुनः अधिनियमन तथा संशोधन) अधिनियम, 1974 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 29 सन् 1974) द्वारा यथा पुनः अधिनियमित और संशोधित उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-10 सन् 1973) प्रख्यापित किया गया है।
मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट, शाहजहांपुर के अन्तर्गत संचालित शैक्षणिक इकाईयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानन्द विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर के नाम से एक राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना है। इस उद्देश्य से प्रदेश में उच्च शिक्षा के सर्वांगीण विकास हेतु स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती, मुख्य अधिष्ठाता, मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट, शाहजहांपुर द्वारा ट्रस्ट के अन्तर्गत संचालित शैक्षणिक इकाईयों (1-स्वामी शुकदेवानन्द महाविद्यालय 2-स्वामी शुकदेवानन्द विधि महाविद्यालय 3-श्री दैवी सम्पद ब्रह्मचर्य संस्कृत महाविद्यालय 4-श्री दैवी सम्पद इण्टर कॉलेज परिवर्तित नाम श्री धर्मानन्द सरस्वती इण्टर कॉलेज 5-श्री शंकर मुमुक्ष विद्यापीठ) को उच्चीकृत करते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु ट्रस्ट की समस्त चल-अचल परिसम्पत्तियां निःशुल्क राज्य सरकार को दी गयी हैं।
शाहजहांपुर में राज्य विश्वविद्यालय स्थापित होने से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। नये राज्य विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों के सृजन से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
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जनपद बागपत में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद बागपत में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु तहसील बागपत के ग्राम मीतली में चिन्हित मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश की कुल
5.6000 हेक्टेयर भूमि में से 5.0700 हेक्टेयर (विवादित भूमि 0.5300 हेक्टेयर को छोड़ते हुए) को सभी प्रकार के निर्बन्धनों से मुक्त कराते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश के पक्ष में निःशुल्क हस्तान्तरित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता उन जनपदों में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की है, जहां शासकीय अथवा निजी क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी मेडिकल कॉलेज स्थापित नहीं है। इसी क्रम में प्रदेश के असेवित जनपद बागपत में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जानी है। वर्तमान में प्रदेश के कुल 60 जनपदों में राजकीय/निजी क्षेत्र के कुल 80 मेडिकल कॉलेज स्थापित/संचालित हैं।
जनपद बागपत में मेडिकल कॉलेज की स्थापना होने से उत्कृष्ट कोटि के चिकित्सकों को तैयार किया जा सकेगा। इससे चिकित्सा शिक्षकों की कमी दूर होने के साथ आम जनमानस को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा एवं उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवायें प्राप्त होंगी।
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मा0 मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में अपर निजी सचिव के 156 पदों का निजी सचिव ग्रेड-1 के पदों पर किए गए उच्चीकरण एवं निजी सचिव संवर्ग के 446 पदों के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने मा0 मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में अपर निजी सचिव के 156 पदों का निजी सचिव ग्रेड-1 के पदों पर किए गए उच्चीकरण एवं निजी सचिव संवर्ग के 446 पदों के विभाजन सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि मा0 उच्च न्यायालय में मा0 न्यायमूर्तिगण के साथ केवल निजी सचिव के ही कार्य करने की विशिष्ट व्यवस्था है। मा0 उच्च न्यायालय के अधिष्ठान में मा0 न्यायाधीशगण की वर्तमान प्रभावी संख्या 135 के अनुरूप निजी सचिवों की कुल संख्या 446 होती है, जबकि अद्यतन स्वीकृत संख्या मात्र 290 है एवं 156 पदों की कमी है।
मा0 उच्च न्यायालय में सिविल, दाण्डिक तथा संवैधानिक मामलों में कई गुना वृद्धि हुई है। अपर निजी सचिव के 156 पदों का निजी सचिव ग्रेड-1 के पदों पर उच्चीकरण से कार्मिकों की कार्यक्षमता व मनोबल में वृद्धि होगी एवं मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष लम्बित वादों एवं प्रशासनिक प्रकरणों का त्वरित एवं सुगमतापूर्वक निस्तारण सम्भव हो सकेगा, जिससे जन सामान्य भी लाभान्वित होगा।
वर्तमान में मा0 न्यायाधीशगण की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुयी है, अतः निजी सचिव सेवा संवर्ग की मानकानुसार आवश्यकता/अपरिहार्यता है। उक्त उच्चीकरण से लगभग 10,50,00,000 (दस करोड़ पचास लाख मात्र) रुपये का वार्षिक व्ययभार सम्भावित है। यह सम्भावित व्यय भार सीधी भर्ती के पदों के सापेक्ष है।
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उ0प्र0 के न्यायिक सेवा/उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारियों को आसान शर्तों पर कार अग्रिम सुविधा प्रदान करने सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश के न्यायिक सेवा/उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारियों को कार क्रय हेतु आसान शर्तों पर कार अग्रिम सुविधा प्रदान किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृत किया है।
द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की संस्तुति के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा 04.01.2024 को पारित आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश के न्यायिक सेवा/उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारियों को कार क्रय हेतु आसान शर्तों पर कार अग्रिम प्रदान किए जाने के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है।
वर्तमान में पद्मनाभन समिति की संस्तुतियों के क्रम में शासनादेश दिनांक 16.10.2010 द्वारा न्यायिक सेवा/उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारियों को 08 लाख रुपये का कार अग्रिम अनुमन्य है। द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की संस्तुति के क्रम में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के अधिकारियों को अब 10 लाख रुपये अथवा क्रय किए जाने वाले वाहन का मूल्य, दोनों में से जो भी कम हो, के बराबर कार अग्रिम स्वीकृत किया जाएगा। इस पर 05 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज देय होगा।
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उ0प्र0 लेखपाल सेवा (पंचम संशोधन) नियमावली, 2025 के प्रख्यापन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश लेखपाल सेवा (पंचम संशोधन) नियमावली, 2025 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इस संशोधन के माध्यम से लेखपाल के 02 प्रतिशत पदों पर योग्य एवं अनुभवी कार्मिकों की पदोन्नति किये जाने हेतु मौलिक रूप से नियुक्त चैनमैन (चतुर्थ श्रेणी) में से, जिन्हांने भर्ती वर्ष के प्रथम दिवस को 06 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो और माध्यमिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 की इण्टरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो, को चयन समिति के माध्यम से पदोन्नति दिये जाने की व्यवस्था की जा रही है।
लेखपाल राजस्व विभाग का महत्वपूर्ण पद है, जो शासन की विभिन्न योजनाओं को धरातल पर पहुंचाने में एवं राजस्व विभाग की सेवाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। लेखपाल के पदों पर अनुभवी एवं योग्य कार्मिकों की पदोन्नति होने से लेखपाल द्वारा सम्पादित किये जाने वाले कार्यों में शीघ्रता आयेगी तथा शासन की विभिन्न योजनाओं एवं विभाग की सेवाओं का लाभ आमजन को समय से प्राप्त हो सकेगा।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में लेखपाल पद पर शत-प्रतिशत सीधी भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की जा रही है। लेखपाल के कुल 30,837 पद स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष 21,897 पद भरे तथा 8,940 पर रिक्त हैं।
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उ0प्र0 दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, 1962 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर बनाये जाने, दुकान तथा वाणिज्य प्रतिष्ठानों को अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धात्मक अवसर प्रदान करने एवं ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के अन्तर्गत प्रदेश में व्यवसाय अनुकूल वातावरण बनाये जाने हेतु उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, 1962 की धारा 01, 02, 03, 04ख, 06, 22, 28क, 33 एवं 35 में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान संशोधन अध्यादेश, 2025 के प्रख्यापन तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर, उसे राज्य विधानमण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, 1962 के प्राविधानों को नगरीय सीमाओं से बढ़ाकर सम्पूर्ण प्रदेश में लागू किया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक प्रतिष्ठान आच्छादित हो सकें। इससे हर श्रमिक को समुचित संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा। इस अधिनियम को 20 अथवा 20 से अधिक कर्मकारों को नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू किया जा रहा है। इससे छोटे प्रतिष्ठान आर्थिक क्रिया को तीव्र कर सकेंगे और प्रदेश में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। कर्मकार एवं नियोक्ता के हितों के संवर्धन से प्रदेश में व्यावसायिक व आर्थिक क्रिया में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार का सृजन होगा।
इस संशोधन द्वारा अन्य प्रतिष्ठानों (यथा-चिकित्सा व्यावसायिक (क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक, प्रसूति गृह एवं अन्य) वास्तुकार, कर सलाहकार या किसी अन्य तकनीकी या वृत्तिक परामर्शदाता, सेवा प्रदाता, सेवा मंच इत्यादि) को भी उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, 1962 के अन्तर्गत आच्छादित किया जा रहा है, ताकि इन प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों के हित लाभों को सरंक्षित किया जा सके। कर्मकारों की कार्य अवधि में वृद्धि तथा अतिकाल के घण्टां को बढ़ाकर 144 घण्टे प्रति तिमाही किया जा रहा है। यह आर्थिक क्रिया के अवसर में वृद्धि के लिये उचित होगा।
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ग्रेटर नोएडा से बलिया तक 8-लेन प्रवेश नियन्त्रित एक्सप्रेस-वे परियोजना के समय-पूर्व परित्याग किए जाने हेतु कन्सेशनायर एवं यूपीडा के मध्य निष्पादित कन्सेशन एग्रीमेन्ट एवं अनुपूरक अनुबन्ध को पारस्परिक सहमति से सेटलमेन्ट एग्रीमेन्ट द्वारा तात्कालिक प्रभाव से अवक्रमित अथवा रद्द किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने ग्रेटर नोएडा से बलिया तक 8-लेन प्रवेश नियन्त्रित एक्सप्रेस-वे परियोजना के समय-पूर्व परित्याग किए जाने हेतु कन्सेशनायर मेसर्स जे0पी0 गंगा इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लि0 एवं यूपीडा के मध्य निष्पादित कन्सेशन एग्रीमेन्ट दिनांक 23.03.2008 एवं अनुपूरक अनुबन्ध दिनांक 30.11.2011 को पारस्परिक सहमति से एक सेटलमेन्ट एग्रीमेन्ट द्वारा तात्कालिक प्रभाव से अवक्रमित अथवा रद्द किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद द्वारा कन्सेशनायर मेसर्स जे0पी0 गंगा इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लि0 द्वारा भूमि अधिग्रहण हेतु जमा की गई धनराशि 25,95,96,764 रुपये में से भुगतान हेतु शेष धनराशि 3,26,96,764 (तीन करोड़ छब्बीस लाख छियानबे हजार सात सौ चौसठ) रुपये को पूर्ण एवं अन्तिम रूप से यूपीडा द्वारा कन्सेशनायर को लौटाए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया है। प्रकरण में अग्रेतर कार्यवाही हेतु मुख्य कार्यपालक अधिकारी, यूपीडा को अधिकृत किया गया है।
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