औरैया // रबी का सीजन शुरु हो चुका है खरीफ फसलों, विशेषकर धान की कटाई के बाद किसानों द्वारा जानकारी न होने के चलते फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाएं आम हो गई हैं पराली जलाने से वायुमंडल में 3 किग्रा पार्टिकुलेट मैटर, 60 किग्रा कार्बन मोनो ऑक्साइड, 1460 किग्रा कार्बन डाइऑक्साइड और 2 किग्रा सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, विशेषकर बच्चों, वृद्धों और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए साथ ही, यह अन्य जीव जंतुओं और पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है इस संबन्ध में जिला कृषि अधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि यदि 1 टन पराली मिट्टी में मिलाई जाए तो इसमें 10-15 किग्रा नाइट्रोजन, 30 40 किग्रा पोटाश, 5-7 किग्रा सल्फर और 600-800 किग्रा ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी में मिल जाता है जो मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है पराली जलाने से फैलते है मानव स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले तत्व फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाएं आम हो गई हैं पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार किसानों के बीच व्यापक अभियान चलाया जा रहा है शासन द्वारा जो किसान ऐसा कर रहे हैं उन पर अर्थदंड/जुर्माना भी लगाया जा रहा है 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए 5,000 प्रति घटना,2 से 5 एकड़ क्षेत्रफल पर 10,000 प्रति घटना, 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 30,000 प्रति घटना जिलाधिकारी के निर्देश पर ककोर स्थित तिरंगा मैदान में कम्बाइन हार्वेस्टरों में लगे सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट यानी SMS सिस्टम की जांच जिला कृषि अधिकारी और परिवहन विभाग के मोटरं यान निरीक्षक द्वारा सयुक्त रूप से की गई बिना एसएमएस के मशीन चलाना पूर्णतः प्रतिबंधित है यदि ऐसा पाया गया तो कम्बाइन को तुरन्त सीज कर दिया जायेगा और कड़ी कार्यवाही होगी इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर भी टीमों का गठन कर दिया गया है जो कड़ी नजर रखेगी इसके बाबजूद भी यदि कहीं कम्बाइन हार्वेस्टर बिना एसएमएस के संचालित मिली तो उसे बक्शा नही जायेगा।
ब्यूरो रिपोर्ट :- जितेन्द्र कुमार
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