प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका

दुग्ध विकास मंत्री ने नंद बाबा दुग्ध मिशन के कार्यान्वयन में
तेजी लाने के दिये निर्देश

अंडा उत्पादन में कमी को दूर करने के लिए पोल्ट्री क्लस्टरों के विकास, नई हैचरी और पोल्ट्री फार्मों की स्थापना हेतु निजी क्षेत्र का भी लिया जाए सहयोग

पशुपालकों के लिए पर्याप्त चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए
-श्री धर्मपाल सिंह

लखनऊ: 28 अक्टूबर, 2025

उत्तर प्रदेश के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश डेयरी विकास और दुग्ध संवर्धन नीति 2022 को लोकप्रिय बनाने और क्षेत्रीय विकास को गति देने के लिए नंद बाबा दुग्ध मिशन के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए विभागीय योजनाओं को और अधिक प्रभावी तरीके से जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
श्री धर्मपाल सिंह आज विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने की दिशा में पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र संचालित परियोजना की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंडा उत्पादन में कमी को दूर करने के लिए पोल्ट्री क्लस्टरों के विकास, नई हैचरी और पोल्ट्री फार्मों की स्थापना हेतु निजी कंपनियों के साथ सहयोग के माध्यम से अंडों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के महत्व पर बल दिया जाए। पराग डेयरी के प्रदर्शन में सुधारों की सराहना करते हुए दूध खरीद, विपणन तथा बिक्री को मजबूत करने के लिए और प्रयास करने के निर्देश दिए। साथ ही ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने और मिड-डे मील, आईसीडीएस और टेक-होम राशन जैसी राज्य योजनाओं में पराग के लिए विशेष विक्रेता का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि राज्य भर में हरे और सूखे चारे की उपलब्धता वर्ष पर्यन्त बनी रहनी चाहिए। उन्होंने नेपियर रूट स्लिप उत्पादन और चारा बीज मिनीकिट योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को पशुपालकों के लिए पर्याप्त चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने पशुओं में नस्ल सुधार को एक प्रमुख प्राथमिकता क्षेत्र बताते हुए उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य की उपलब्धता और दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों तक इसकी पहुँच सुनिश्चित कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव, श्री मुकेश कुमार मेश्राम ने चारे की बर्बादी को कम करने और उपलब्धता में सुधार लाने के लिए वैकल्पिक चारा संसाधनों के रूप में मटर के छिलके, मूंगफली की भूसी और शराब बनाने के कचरे जैसे कृषि-औद्योगिक उप-उत्पादों के उपयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने एआई कवरेज, गर्भावस्था निदान और संबंधित परिणामों के लिए डेटा-संचालित निगरानी को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। ग्रामीण आजीविका में सुधार लाने में बकरियों और सूअरों जैसे छोटे पशुधन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में उत्पादकता और आय सृजन बढ़ाने के लिए सर्वाेत्तम वैश्विक तकनीकों को अपनाने का सुझाव दिया।
विशेष सचिव श्री देवेन्द्र पाण्डेय ने एआई बुनियादी ढांचे (डीएफएस स्टेशन, एलएन₂ केंद्र और एआई कार्यबल) को मजबूत करने, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के माध्यम से एआई सेवाओं का विस्तार, तृतीय-पक्ष एआई सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग और वित्त वर्ष 2028 तक राज्य के 3 करोड़ एआई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लिंग-सॉर्टेड वीर्य को बढ़ावा देने समस्त पहलुओं की जानकारी दी।
बैठक में पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित डेलॉइट के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्पर्क सूत्र- निधि वर्मा

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