मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के कार्यों की समीक्षा की

राजकीय नलकूपों के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण के
सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश

प्रदेश के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध
कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : मुख्यमंत्री

किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नलकूपों
का प्राथमिकता के आधार पर जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण किया जाए

नलकूपों के आधुनिकीकरण व जीर्णोद्धार कार्यों में
गुणवत्ता और पारदर्शिता से कोई समझौता न किया जाए

नलकूपों से पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए वैज्ञानिक पद्धति
अपनाई जाए और वॉटर कंजर्वेशन की समुचित व्यवस्था की जाए
 
लखनऊ : 04 अक्टूबर, 2025

     उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में सिंचाई विभाग के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने राजकीय नलकूपों के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नलकूपों का प्राथमिकता के आधार पर जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण किया जाए। इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी, किसानों की लागत घटेगी और उन्हें आधुनिक तकनीक आधारित सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। नलकूपों के आधुनिकीकरण व जीर्णोद्धार कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता से कोई समझौता न किया जाए। नलकूपों के आधुनिकीकरण और जल संरक्षण की इन पहलों से आने वाले समय में राज्य का कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी।
नलकूपों से पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाए और वॉटर कंजर्वेशन की समुचित व्यवस्था की जाए। इस कार्य के लिए वर्षा का मौसम सर्वाधिक उपयुक्त है। इससे भूगर्भीय जल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी और डार्क जोन वाले क्षेत्रों में सुधार होगा।
मुख्यमंत्री जी ने सरयू नहर, बाण सागर तथा मध्य गंगा जैसी प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं की कमियों को दूर करने के निर्देश देते हुए कहा कि इन परियोजनाओं के सशक्त क्रियान्वयन से ग्रामीण और शहरी इलाकों में पानी की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित होगा। उन्होंने तराई क्षेत्र के किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि जलाशयों को डीसिल्ट कर, उन्हें पुनर्जीवित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सके। कटान रोकने के लिए सिल्ट का उपयोग किया जाए।

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