मुख्यमंत्री जनपद लखीमपुर खीरी में स्मृति
प्राकट्योत्सव मेला-2025 में सम्मिलित हुए

मुख्यमंत्री ने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम करने की घोषणा की

कबीर दास ने दोहों, साखी व सबद के माध्यम से मध्यकाल में निर्गुण भक्ति की धारा प्रवाहित की, सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करते हुए आत्मा और परमात्मा के विषय में आमजन मानस को स्थानीय भाषा में समझाया : मुख्यमंत्री

संत कबीर जैसे ब्रह्मज्ञानी संतों ने समाज में फैली
तत्कालीन विसंगतियां पर अपनी वाणी के माध्यम से प्रहार किया

कबीर दास ने अपने जीवन में कर्म को प्रधानता दी

काशी की धरती पर जन्म लेने वाले पूज्य संतों द्वारा
दिया गया ज्ञान हमेशा ही समाज का मार्गदर्शन करता रहा

कबीरदास की परम्परा में अनेक संत आज भी देश व
दुनिया में अपने ज्ञान के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन कर रहे

सामाजिक विभाजनों से उभरने के सम्बन्ध में पूज्य संतों ने समाज को एक
नई दिशा दी, उनकी वाणी एक शाश्वत भाव के आधार पर आज भी प्रासंगिक

जिस प्रकार माँ बच्चे की देखभाल करती है, उसी प्रकार धरती माता
भी हम सबका पालन-पोषण करने व आगे बढ़ाने का कार्य करती है

भारत हमारे लिए केवल भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह हमारे लिए मातृभूमि

कृषि में फर्टिलाइजर के उपयोग के दुष्परिणामस्वरूप आज
कैंसर, किडनी तथा लिवर खराब होने जैसी समस्याएँ आ रही

जनप्रतिनिधि समय-समय पर गो-शालाओं में
जाकर वहाँ की व्यवस्थाओं को देखने का कार्य करें
 
बाढ़ निरोधक कार्यों के कारण शारदा नदी में बाढ़ पर लगाम लगी

सभी लोग नशे के खिलाफ अभियान का
हिस्सा बनें क्योंकि नशा नाश का कारण बनता
 
सीमावर्ती जनपद लखीमपुर खीरी में विकास की नयी धारा बह रही

 
लखनऊ : 27 अक्टूबर, 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज जनपद लखीमपुर खीरी के कबीर धाम में विश्व कल्याण आश्रम में आयोजित स्मृति प्राकट्योत्सव मेला-2025 में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। उन्होंने सद्गुरु कबीर पूज्य श्री असंगदेव जी धर्मशाला का भूमि पूजन किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम करने की घोषणा करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा अयोध्या को फैजाबाद, प्रयागराज को इलाहाबाद और कबीरधाम को मुस्तफाबाद बनाया गया था। हमारी सरकार ने इन स्थलों की पहचान वापस लौटाने का कार्य किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संत कबीर दास जी का स्मरण ऐसे संत के रूप में किया जाता है, जिन्होंने अपने दोहों, साखी व सबद के माध्यम से मध्यकाल में निर्गुण भक्ति की धारा प्रवाहित की। उन्होंने सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करते हुए आत्मा और परमात्मा के विषय में आमजन मानस को स्थानीय भाषा में समझाया। कबीरधाम से जुड़े संतों ने संत कबीरदास जी के विचारों को अपने जीवन में अपनाया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कबीर दास जी ने कहा था कि ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो बताय’ अर्थात गुरु और गोविंद दोनों एक साथ खड़े हैं, तो सबसे पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए। गुरु समाज में ज्ञान का प्रसार करते हैं। वह सत्य, असत्य और धर्म के वास्तविक मर्म के विषय में अवगत कराते हैं। गुरु परमात्मा तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। संत कबीर जैसे ब्रह्मज्ञानी संतों ने समाज में फैली तत्कालीन विसंगतियां पर अपनी वाणी के माध्यम से प्रहार किया। कबीरदास जी के वाक्यांश आज भी जनमानस हेतु प्रासंगिक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज जायज और नाजायज दोनों तरीके से सम्पत्ति हड़पने और बनाने की होड़ मची है। इसको लेकर कबीर दास जी ने कहा था कि ‘साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम्ब समाए मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए’ अर्थात परमात्मा हमें उतना ही दीजिए जिसमें मैं और मेरा परिवार भूखा न रहे और यदि मेरे यहां कोई संत या सद्गुरु आ जाए तो वह भी भूखा न जाए। उनके यह शब्द आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। कबीर दास जी ने अपने जीवन में कर्म को प्रधानता दी। इसी परम्परा में तुलसीदास जी ने कहा ‘ करम प्रधान बिस्व करि राखा, जो जस करइ सो तस फलु चाखा’ अर्थात् कर्म ही सब कुछ है। यदि हम अपना कर्म करते हैं तो सफलता का भागीदार बनने से कोई नहीं रोक सकता।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर से सटे मगहर के लिए प्राचीन मान्यता थी क़ि जिसकी मृत्यु मगहर में होती है, उसे नर्क मिलता है तथा काशी में स्वर्ग मिलता है। इसी मान्यता को तोड़ने के लिए काशी में जन्म लेने वाले संत कबीरदास मृत्यु के समय मगहर आ गए। आज मगहर में शांति व अमन है। यहां पर कबीरधाम है। कबीर पीठ और शोध केन्द्र की स्थापना डबल इंजन सरकार ने मगहर में की है, जिसका शिलान्यास स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया था। एक भव्य कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी के हाथों इसका लोकार्पण हुआ था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपकी अच्छाई या बुराई इस बात पर निर्भर करती है कि आपका कर्म कैसा है। अगर कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है और अच्छे फल की आशा करता है तो यह सम्भव नहीं होता। अच्छा कर्म करने से अच्छा फल प्राप्त होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’। कर्म अगर निष्काम है तो फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। फल हमें स्वतः ही प्राप्त होगा। यदि हम बबूल का पेड़ लगाएंगे तो आम नहीं खा सकते।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी की धरती पर जन्म लेने वाले पूज्य संतों द्वारा दिया गया ज्ञान हमेशा ही समाज का मार्गदर्शन करता रहा है। काशी के संत कबीरदास व सतगुरु रविदास जी ने अपनी साधना की सिद्धि से लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। कबीरदास जी की परम्परा में अनेक संत आज भी देश व दुनिया में अपने ज्ञान के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
कबीर दास जी ने जातीयता पर प्रहार करते हुए कहा था कि ‘जाति पाति पूछे नहिं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई’। यह वाणी हमारे समाज की एकता और अखण्डता की आधारशिला है। जातीयता देश की गुलामी का कारण रही है, जिसके कारण हमारा अस्तित्व संकट में आ गया था। हमारी आस्था पर प्रहार किया जा रहा था तथा धर्म स्थलों को अपवित्र किया जा रहा था। सामाजिक विभाजनों से उभरने के सम्बन्ध में गुरु रामानंद जी महाराज, संत कबीरदास जी महाराज, सतगुरु रविदास जी महाराज व अन्य पूज्य संतों ने समाज को एक नई दिशा दी। उनकी वाणी एक शाश्वत भाव के आधार पर आज भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज भारत विकास की नई बुलन्दियों को छू रहा है। नया भारत विरासत पर गौरव की अनुभूति करता है और विकास के नितें नए प्रतिमान स्थापित करता जा रहा है। देश लगातार दुनिया के अन्दर एक ताकत के रूप में स्वयं को स्थापित कर रहा है। पहले अयोध्या धाम में श्री राम मन्दिर निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती थी। राम भक्तों के 500 वर्षों के संघर्ष के परिणामस्वरूप आज अयोध्या धाम में भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर बन चुका है। गत वर्ष अयोध्या धाम में 06 करोड़ से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आए थे, जबकि पूर्व में मुश्किल से कुछ लाख श्रद्धालु ही आते थे। प्रयागराज में 13 जनवरी से 28 फरवरी, 2025 के मध्य सम्पन्न महाकुम्भ के दौरान प्रतिदिन 10 लाख श्रद्धालु अकेले अयोध्या धाम दर्शन करने आए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब हम प्रयास करेंगे, तो उसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। कोई भी व्यक्ति जो धार्मिक स्थलों में श्रद्धा व निष्काम भाव के साथ जाएगा, तो वह सही मार्ग पर अग्रसर होगा। कोई भी उसको समाज की मुख्यधारा से नहीं भटका सकता है। हम सबको अपनी सामाजिक विसंगतियों को दूर कर समय रहते कदम उठाना चाहिए। जिस समाज का इतिहास हजारों वर्षों का रहा हो, उसमें समय के साथ-साथ कुछ अच्छाइयों के साथ कुछ बुराइयां भी आ जाती हैं। हमें संतों की वाणी के माध्यम से परिमार्जन का मार्ग निकालना चाहिए। समाधान का रास्ता निकालना चाहिए, जो हमें सन्मार्ग पर ले जाकर लोक कल्याण व राष्ट्र कल्याण के लिए समर्पित कर सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे अंदर सेवा भाव होना चाहिए। अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। समाज के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिए। सभी समस्याओं  का एक ही समाधान है कि हमें राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखना चाहिए। भारतीय मनीषियों ने कहा है कि ‘माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या’ अर्थात धरती हमारी माता है, उसके प्रति हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं। जिस प्रकार माँ बच्चे की देखभाल करती है, उसी प्रकार धरती माता भी हम सबका पालन-पोषण करने व आगे बढ़ाने का कार्य करती है। भारत हमारे लिए केवल भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह हमारे लिए मातृभूमि है। मातृभूमि के प्रति हमारे मन में समर्पण का भाव होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि में फर्टिलाइजर के उपयोग के दुष्परिणामस्वरूप आज कैंसर, किडनी तथा लिवर खराब होने जैसी समस्याएँ आ रही हैं। कुछ राज्यों में तो कैंसर के नाम पर ट्रेन भी चल रही है। लखीमपुर खीरी भी खेती किसानी वाली भूमि है। जिस कृषक के पास 10 एकड़ भूमि है, वह पहले दो एकड़ में प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें धीरे-धीरे वह इसे आगे बढ़ाए। यह एक प्रकार की राष्ट्रभक्ति होगी और धीरे-धीरे फर्टिलाइजर से छुटकारा मिल जाएगा। अगर हम गाय के गोबर और गोमूत्र से बनने वाले जीवामृत को अपनाते हैं, तो कृषि की लागत कम होगी। 01 एकड़ में 12 हजार से 15 हजार रुपये की बचत होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालकों को एक गाय के लिए 1,500 रुपये प्रतिमाह दे रही है। एक गाय 30 एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त जैविक खाद देती है। गो-पालन भी एक सच्ची राष्ट्र भक्ति है। जनप्रतिनिधि समय-समय पर गो-शालाओं में जाकर वहाँ की व्यवस्थाओं को देखने का कार्य करें।
प्राकृतिक खेती को अपनाने से हम स्वस्थ रहेंगे और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। कृषि की लागत कम होगी तथा उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। उत्पादन भी बेहतर होगा व आने वाली पीढ़ी को हम एक उन्नत भविष्य देने में सफल होंगे। हमें जल संसाधनों का संरक्षण करने के दायित्व का पालन करना चाहिए। हम जमीन के नीचे से जितना जल ले रहे हैं, उतने जलसंचय पर भी जोर देना चाहिए। घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें तथा कृषि की उन्नत तकनीक का प्रयोग करें। इससे उत्पादन अधिक होगा व स्वास्थ्य के साथ-साथ लाभ भी प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले लखीमपुर खीरी में शारदा नदी में बड़े पैमाने पर बाढ़ आती थी। प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को जमीन दी गई। उसके बाद नदी को चैनेलाइज्ड किया गया। बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग का कार्य किया गया। इन बाढ़ निरोधक कार्यों के कारण शारदा नदी में बाढ़ पर लगाम लगी है।
मुख्यमंत्री जी ने संत असंगदेव जी महाराज के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे धर्म, नशा मुक्ति और राष्ट्र चेतना का अद्भुत कार्य कर रहे हैं। उन्होंने नशा मुक्ति पर बोलते हुए कहा कि सभी लोग नशे के खिलाफ एक अभियान का हिस्सा बनें क्योंकि नशा नाश का कारण बनता है। अपने फोन का उतना ही प्रयोग करें, जितना आवश्यक हो। इससे किसी प्रकार के मानसिक आघात से बचे रहेंगे तथा आँख की ज्योति भी बनी रहेगी। यही पूज्य संतो के प्रति हमारा श्रद्धा भाव होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सीमावर्ती जनपद लखीमपुर खीरी में विकास की नयी धारा बह रही है। मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया है। सड़क कनेक्टिविटी की सुविधा बेहतर हुई है। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण पर कार्य चल रहा है। इससे लखीमपुर खीरी एयर कनेक्टिविटी के साथ ही, ईको-टूरिज्म के बेहतरीन केन्द्र के रूप में विकसित हो सकेगा। जनपद में टूरिज्म की अपार सम्भावनाएँ हैं, इससे यहां के नौजवानों को रोजगार मिलेगा। गोला गोकर्णनाथ धाम और कबीरधाम जैसे धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार से आस्था और पर्यटन दोनों को बल मिल रहा है। यह समृद्धि जनपद की आने वाली पीढ़ी के जीवन को खुशहाल बनाने का कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों को छठ पर्व की बधाई देते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी जनपद में बड़ी संख्या में पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग रहते हैं। सभी लोग मिल-जुल कर पर्व मनाएँ।
इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री राकेश सचान, आबकारी एवं मद्य निषेध राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नितिन अग्रवाल, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री श्री मनोहर लाल मन्नू कोरी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण व साधु-संत उपस्थित थे।

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