उतरौला बलरामपुर - नगर में स्थित दरगाह शाहजहानी रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने से हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां उर्फ (बड़े पीर) के यौमे पैदाइश यानी कि 'ग्यारहवीं शरीफ' के मौके पर शनिवार को जुलूस ए गौसिया कमेटी के निसार अहमद/नकी शाह,इजहार शाह व अंजुमन गुलामाने मुस्त फा दरगाह शाहजहानी कमेटी के सदर डॉक्टर सलमान जमशेद व मोहम्मद इस्माइल के ज़ेरे कयादत एवं मुफ्ती जमील अहमद खानकी सरपरस्ती में दरगाह शाहजहानी शाह रहमतुल्लाह अलैह से दोपहर लगभग दो बजे के बाद बड़े ही शानो- शौकत के साथ जुलूस- ए गौसिया निकाला गया। इस्लामी लिबास कुर्ता पायजामा पहने सिर पर साफा टोपी, व हाथों में मज़हबी झंडा लिए "गौस का दामन नहीं छोड़ेगें,नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर, हिन्दुस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाते हुए अकीदत मंदों का काफि ला आगे की तरफ बढ़ा। शायर में रहीम रज़ा बल रामपुरी, मास्टर शबी अहमद उर्फ शब्बू के अलावा और अन्य कई नातिया शायर का नात सुनकर जुलूस मेंशामिल अकीदतमंद झूम उठे। जुलूस शाहजहानी दरगाह से निकल कर हाटन रोड से होते हुए कस्बा चौकी, जामा मस्जिद, ज्वाला महा रानी मन्दिर, हनुमान गढ़ी, पिपलेश्वर मन्दिर गोण्डा मोड़ तिराहा, दुःख हरण नाथ मन्दिर से सीधे कर्बला पर पहुंचकर मौलाना आसिफ रज़ा जियाई, मौलाना गुलाम अहमद रज़ा व मौलाना अता मोहम्मद ने खिताब फरमाते हुए कहा कि आज हम अप ने अकाबिर औलिया ए-किराम' और बुजुर्गो ने दीन यहां तक कि पैगम्बर -ए-आजम के तरीके और वाकयात को सुनकर सभी लोग खुश हो जाते थे।लेकिन अपनी जिन्दगियों में उसे छोड़ रखा है। और यह समझ लिया है, कि यह सारी चीजें सिर्फ सुनाने के लिए हैं। अगर हम और आप हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानसीन हैं। तो इनके बताए हुए रास्ते पर चलें। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंचती है। अह काम-ए-शरीयत का पालन कीजिए, ज़िन्दगी संवर जायेगी। जुलूस कर्बला से वापस होकर गोण्डा मोड़ तिराहा से सब्जी मण्डी, डाक्टर भीमराव अम्बेडकर चौराहा से होते हुए थाना कोतवाली, वहां से रज़ा मस्जिद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा, से होते हुए चांद मस्जिद पर रुका। जहां पर मौलाना ने गौस पाक के करामातों पर रोशनी डाली। जुलूस आगे की तरफ बढ़ कर हाटन रोड से होता हुआ वापस शाहजहानी शाह रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने पर पहुंचकर जहां मुफ्ती मोहम्मद जमील खान ने हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की तालीम पर रोशनी डालते हुए कहा कि गौस पाक का मर्तबा बुलन्द है। मां के शिकम यानी कि (पेट) में ही उन्होंने कुरान को कंठस्थ कर लिया था। मां जब कुरान की तिलावत करती, तो वे याद करते थे। जब मां नेक होगी तभी बेटा हज़रत गौस पाक जैसा पैदा होगा। हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम बाद शाहों के जरिए नहीं आया, बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों,औलिया व सूफियों के जरिए आया है। सलातो सलाम के बाद बीमार,परेशान, गरीब,यतीम,बेवा, मज़ लूम, बेसहारा,लाचार एवं मुल्क की तरक्की की खुशहाली,आपसी भाईचारा,प्रेम,सौहार्द की दुआ करने के बाद जुलूस का समापन किया गया। इस दौरान चांद मस्जिद के सदर अली हुसैन, हाफीज़ दैय्यान हशमती,मौला ना शोएब,मोहम्मद अब रार खां, इज़हारअहमद, इमरान शाह,अली हुसैन शाह,जमील अहमद शाह,एहसान बाबा, मोहम्मद मसी खां,तस्सु खान,आमिर निजाम, मेराज अहमद, मोहम्मद तूफेल, रिजवानअहमद, मोहम्मद जिलानीसहित सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंद जुलूस में शामिल रहे।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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