जौनपुर, 3 अगस्त 2025: नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत जौनपुर में गोमती नदी के किनारे बनी सड़क परियोजना एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि यह सड़क पांचवीं बार धंस गई है। इस घटना ने स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह परियोजना, जिसका उद्देश्य गोमती नदी के घाटों के सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना था, बार-बार धंसने से निर्माण की गुणवत्ता और योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

पांचवीं बार धंसी सड़क, स्थानीय लोग नाराज

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सड़क नमामि गंगे परियोजना के तहत गोमती नदी के किनारे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के मॉडल पर बनाई गई थी। इस परियोजना की लागत लगभग 8 करोड़ रुपये बताई जाती है। हालांकि, हर मानसून में नदी का जलस्तर बढ़ने पर यह सड़क धंस जाती है। इस बार भी भारी बारिश के बाद सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया, जिससे आवागमन ठप हो गया है। स्थानीय निवासी गौतम गुप्ता, जो स्वच्छ गोमती अभियान से जुड़े हैं, ने आरोप लगाया कि परियोजना में दूरदर्शिता की कमी और निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग इस समस्या का मुख्य कारण है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सड़क के धंसने के कारणों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है। नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश में कई सड़क और घाट सुंदरीकरण परियोजनाएं चल रही हैं, लेकिन जौनपुर में बार-बार होने वाली इस तरह की घटनाएं परियोजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती हैं।

नमामि गंगे परियोजना का उद्देश्य

नमामि गंगे कार्यक्रम, जिसे 2014 में केंद्र सरकार ने शुरू किया था, का मुख्य उद्देश्य गंगा और उसकी सहायक नदियों, जैसे गोमती, को प्रदूषण से मुक्त करना और उनके किनारों का सौंदर्यीकरण करना है। इस परियोजना के तहत जौनपुर में गोमती नदी के घाटों का नवीनीकरण और सड़क निर्माण जैसे कार्य किए जा रहे हैं। हालांकि, बार-बार धंसने वाली सड़क ने इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रगति पर सवाल खड़े किए है 

जौनपुर ,रिपोर्टर सौरभ यादव 

हिंदी संवाद न्यूज लखनऊ


Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने