वरिष्ठ पत्रकार चौधरी मुकेश सिंह 
 हिंदी संबाद न्यूज के लिए लखनऊ उत्तर प्रदेश से  
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*भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया को जिलाधिकारी बरेली के माध्यम से ज्ञापन सौपा गया*.
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       **जाट महासभा बरेली**
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 पूर्व राज्यपाल एवं सांसद / विधायक रहे चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी के अचानक निधन के बाद संवैधानिक प्रोटोकॉल के अनुसार राजकीय सम्मान न दिए जाने के कारण भारतीय जाट समाज में बहुत ही रोश है गुस्सा है.
 संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार राज्यों में राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है जिसका सम्मान और गरिमा बनाए रखना प्रत्येक राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है.
 भारत सरकार का राजकीय सम्मान प्रोटोकॉल MHA ऑर्डर नंबर 12/14 / 2005 -- पब्लिक दिनांक 16.5. 2012 के अनुसार पूर्व राज्यपाल के निधन पर राजकीय सम्मान (State Funeral) एवं पूर्ण प्रोटोकॉल के साथ अंतिम संस्कार किया जाना आवश्यक है.

 भारत सरकार का Warrent of Precedence पूर्व राज्यपाल का दर्जा राष्ट्रीय प्राथमिकता क्रम में उच्च स्थान पर है और उनके लिए निर्धारित राज्य की औपचारिकताओं का पालन करना प्रशासनिक अनिवार्यता है.
दुर्भाग्य वश चौधरी सतपाल सिंह मलिक के निधन पर ना तो उक्त संवैधानिक एवं प्रशासनिक प्रोटोकॉल का पालन किया गया और ना ही उन्हें उनके योगदान के अनुरूप राजकीय अंतिम संस्कार प्रदान किया गया. यह न केवल उनके प्रति अन्याय है बल्कि लोकतांत्रिक और संवैधानिक परंपराओं का भी उल्लंघन है.
 जाट समाज इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है.
जाट महासभा बरेली ने जिलाधिकारी बरेली के माध्यम से भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय सतपाल मलिक को राजकीय सम्मान न दिए जाने पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है। इस अवसर पर जाट महासभा के पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

ज्ञापन देने वालों में l
- *राजेश सिंह मलिक*: अध्यक्ष, जाट महासभा बरेली
- *धर्मेंद्र सिंह*: उपाध्यक्ष
- * कुलदीप सिंह पवार*: उपाध्यक्ष
- * विपिन सिंह*: सचिव
- *चौधरी मृगेंद्र सिंह एडवोकेट*: विधि सलाहकार, विपिन चौधरी ललित सिंह प्रेमवीर सिंह, वेद चौधरी प्रदीप सिंह, सामोद चौधरी, जे डी चौधरी, रामजी लाल पुष्पराज सिंह विकास चौधरी विशाल चौधरी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। जाट महासभा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि स्वर्गीय सतपाल मलिक के निधन पर राजकीय सम्मान न दिया जाना जाट समाज के लिए एक बड़ा अपमान है। उनका मानना है कि मलिक के योगदान और समाज में उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें राजकीय सम्मान दिया जाना चाहिए. यदि ऐसा ना किया गया तो जाट समाज में इसका बहुत गलत संदेश जाएगा. मजबूरन किसान , कमेरा वर्ग को आंदोलन करना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदार उत्तरदाई वर्तमान सरकार होगी.
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