उतरौला बलरामपुर- एक तरफ जहां तहसील क्षेत्र में खाद संकट ने विकराल रूप ले लिया है, वहीं दूसरी ओर किसानों के बीच आक्रोश भी व्याप्त है और निराशा इनके चेहरे पर लगातार बढ़ती जा रही है। छोटे और मध्य म वर्गीय किसान खाद की एक-एक बोरी के लिए सुबह से शाम तक सहकारी समितियों और गोदामों पर लम्बी लाइनों में खड़े रहने के बाव जूद भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि ग्राम पंचायत चुनाव की सुग बुगाहट से वर्तमान प्रधान व संभावित प्रधान प्रत्याशी गांव में अपनी गोटी फिट करने की जुगत में अभी से लग गये हैं। वह अपने पक्ष में गांव के भोले भाले लोगों से वोट लेने के लिए आपदा में भी अपना अवसर तलाशने लगे हैं।और वह समिति यों के सचिव/जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर 25 से 50 बोरी यूरिया खाद निर्धारित मूल्यों से अधिक देकर निकलवा लेते हैं। और अपना वोटर बनाने के लिए अपने लोगों को बांट देते हैं। वहीं दूर दराज से आकर किसान पथराई आंखों से अपने नम्बर का इंत जार करने के बाद भी जब खाली हाथ घर लौटता है। तो किसानों की पीड़ा और भी गहरी हो जाती है। गांवों से आने वाले किसानों का कहना है कि बुआई का समय होने के बावजूद भी खाद्य उपलब्ध नहीं हो रही। खेत तैयार हैं, बीज बो दिए गए हैं, लेकिन खाद न मिलने से फसल पर संकट मंडरा रहा है। यह स्थि ति छोटे किसानों के लिए सबसे अधिक कठिन है,क्योंकि उनका सारा जीवन इसी फसल पर निर्भर रहता है।इसी बीच सूत्रों के हवाले से एक बड़ा खुलासासामने आया है। सूत्रों ने यह दावा किया है कि खाद की किल्लत कृत्रिम रूप से पैदा की जा रही है। इसमें कुछ सचिवों,वर्त मान ग्राम प्रधानों और संभावित प्रधान प्रत्या शियों की मिली भगत बताई जा रही है।आरोप यह है कि यह लोग समि तियों के सचिव व जिम्मे दार अधिकारियों से मिलकर खाद्य की बोरि यों को 25 से 50 की संख्या में गोदाम सेबाहर करवा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि खाद की ये बोरि यां किसानों को सीधे न देकर अवैध तरीके से औने-पौने दामों पर बेची जा रही हैं। इतना ही नहीं,कहीं-कहीं किसानों को मुफ्त देने का लालच भी दिखाया जा रहा है,ताकि आगा मी चुनाव में किसानों का समर्थन और वोट हासिल किया जा सके। यानी खाद्य, जोकिसानों के जीवन की बुनियादी जरूरत है, उसे अब वोट की राजनीतिक का हथियार बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस पूरे खेल में सचिवों की भूमिका भी सन्देह के घेरे में है। किसानों का आरोप है कि जब वे खाद्य लेने पहुंचते हैं तो उन्हें स्टॉक खत्म कह कर टाल दिया जाता है, जब कि अन्दर खाने से खाद की बोरियां निका लकर प्रधानों और संभा वित प्रत्याशियों के जरि ए बांटी जाती हैं। इससे साफ है कि किसानों के नाम पर चल रही खाद वितरण व्यवस्था में पार दर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।किसानों नेइस स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन से मांग की है कि खाद वितरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए, और दोषी सचिवों तथा जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए। किसानों का यह भी कहना है कि यदि समय रहते खाद उपलब्ध नहीं कराई गई तो फसल चौपट हो जाएगी, और इसका सीधा असर उन की आजीविका पर पड़ेगा।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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