*बजरी नहीं मिली, तो धान ही बो दी सड़क में!*
पन्ना:- पन्ना जनपद अंतर्गत ग्रामपंचायत गढ़ीपड़रिया के बजरहा रोड पर हर रोज़ 30-40 परिवारों का आना-जाना होता है, लेकिन सड़क नहीं, दलदल है। बारिश के साथ ही यह सड़क अब चलने लायक नहीं रही—घुटनों तक कीचड़, हर कदम पर फिसलन, और चारों तरफ जलभराव। ग्रामीणों ने कई बार सरपंच और पंच से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
अब जनता ने अनोखा विरोध दर्ज करते हुए सड़क पर ही धान रोप दी। यह दृश्य एक चीखता हुआ संदेश है—“अगर सड़क नहीं बन सकती, तो खेत ही सही!”*
बजरी, सीमेंट, और नालियों का अभाव इस क्षेत्र को साल दर साल जलमग्न कर देता है, लेकिन शासन-प्रशासन से लेकर विधायक-सांसद तक आंखें मूंदे बैठे हैं। गढ़ी पड़रिया के बजरहा मोहल्ले में पिछले तीन वर्षों से सड़क निर्माण की मांग उठ रही है, मगर न कोई निरीक्षण, न कोई प्रस्ताव, न कोई कार्ययोजना।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने सड़कों की हालत को लेकर पंचायत से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक शिकायतें कीं, लेकिन हर बार "कार्य प्रगति पर है" या "बजट नहीं है" जैसे बहाने ही मिले।
*अब सवाल यह है कि क्या जनप्रतिनिधि केवल चुनावी वादों तक सीमित रहेंगे? क्या गांवों को बुनियादी सड़क जैसी सुविधाएं भी मांगनी पड़ेंगी? और अगर सरकार नहीं सुनती, तो क्या हर गांव को अपनी टूटी सड़क पर धान बोकर प्रदर्शन करना होगा?*
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