उतरौला बलरामपुर- तहसील क्षेत्र में शिक्षा को समाज के सर्वांगीण विकास की रीढ़ माना जाता है, आज कुछ निजी विद्यालयों के हाथों शुद्ध व्यापारिक रूप ले चुकी है। नगर व तहसील क्षेत्रों में अभि भावकों के द्वारा प्राइवेट स्कूलों में अत्यधिक शुल्क की वसूली की जा रही है। अनावश्यक कालमों से भरी रसीदों और जबरन ट्यूशन की व्यवस्था को लेकर गहरी चिन्ता व्यक्त की है।गौरतलब हो है कि मई-जून के महीनों में गर्मी की छुट्टियां लगभग डेढ़ से दो माह तक रहती हैं। इस अवधि में पढ़ाई नहीं हो पाती है, विद्यालय बन्द रहते हैं, लेकिन फिर भी अभि भावको से निजी स्कूल के प्रबंधक पूर्ण मासिक फीस वसूलते हैं। इतना ही नहीं, कई नामचीन स्कूलों की रसीद पुस्ति काओं में प्रत्येक विषय, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लास, एक्टिविटी शुल्क, विका स शुल्क, परीक्षा शुल्क आदि के नाम पर कई अतिरिक्त मद शामिल हैं, जिन्हें सभी अभि भावकों को चुपचाप से भरना पड़ता है।ट्यूशन बिना नहीं हो रही पढ़ाई अभिभावकों का कहना है कि बिना ट्यूशन के बच्चों की पढ़ाई अधूरी रहती है। स्कूलों में जो कुछ पढ़ाया जाता है, वह न ही पर्याप्त होता है, और न ही स्पष्ट होता है। मजबूरी में उन्हें अलग से ट्यूशन या होम ट्यूटर की व्यवस्था करनी पड़ती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक दबाव में आ जाती है। फीस की ऊंची दीवार को पार करने की वजह सेगरीब बच्चे पढ़ने के लिए विवस है। सबसे चिंता जनक की बात यह है कि अत्यधिक फीस और अतिरिक्त खर्चों के कारण आज भी हज़ारों गरीब परिवार के बच्चे स्कूल के बाहर खड़े हैं। ये बच्चे अपने अभावों के कारण शिक्षा से वंचि त हैं, जबकि शिक्षा पर हर नागरिक का समान अधिकार है। ऐसा प्रती त होता है कि शिक्षा केवल धनाढ्य वर्ग की बपौती बनती जा रही है। छात्र रेहान की रसीद ने खोली पोल, एक स्थानीय छात्र रेहान हुसैन के फीस की रसीद ने तो मानो इस व्यवस्था की पोल ही खोल दी। अभिभावकों के अनुसार, रसीद में ऐसे विषयों और सेवा ओं का शुल्क वसूला जा रहा है, जो कभी पढ़ाए ही नहीं गए हैं स्कूल प्रशासन द्वारा अनावश्यक कालमों के माध्यम से धन वसूली को प्राथमिकता दी जा रही है,जबकि शिक्षा की गुणवत्ता को नजर अंदा ज किया जा रहा है ट्यूशन शिक्षक लोग भी फीस की दरें बढ़ा रहे हैं
वहीं दूसरी ओर, ट्यूशन देने वाले शिक्षक भी अब स्कूलों की फीस दरों का हवाला देकर अपनी फीस कई गुना बढ़ा चुके हैं। वे स्पष्ट शब्दों में कहते है। कि स्कूल एक महीने में हजारों रुपये लेते हैं और लोग हम एक घंटा मेहनत से पढ़ाते हैं, तो हमारी भी कीमत बढ़नी चाहिए। प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है अभिभावकों ने प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि निजी विद्यालयों की फीस संर चना की जांच कराई जाए, और यह सुनिश्चि त किया जाए, कि कोई भी स्कूल के प्रबंधक बिना पढ़ाई के अवकाश काल में फीस न वसूली जाएं। इसके साथ ही साथ यह भी मांग की जा रही है, कि सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सशक्त बनाया जाए, जिससे आमजन के बच्चे भी बिना शुल्क के गुणवत्तापूर्ण शिक्षाप्राप्त कर सकें।
हिन्दी संवाद न्यूज से
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उतरौला बलरामपुर।
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