जलालपुर (अंबेडकरनगर)।मालीपुर थाना क्षेत्र में स्थित एक भूखंड को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने उस जमीन की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जो पहले से ही बैंक के पास 20 लाख रुपये के आवासीय ऋण के बदले बंधक रखी गई थी।

पीड़ित रामलोचन, निवासी ग्राम सरैया, थाना अतरौलिया, जनपद आजमगढ़, जो दिल्ली में रोजगार करता है, ने थाना मालीपुर क्षेत्र के गुंवावा-जमालपुर स्थित सड़क किनारे के एक भूखंड को विमलेश यादव निवासी जमुनिया, थाना शाहगंज, जनपद जौनपुर से 12 लाख रुपये में खरीदा था। जमीन का बैनामा भी संपन्न हो गया, लेकिन कुछ समय बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एनटीपीसी टांडा शाखा) की ओर से लोन रिकवरी के नोटिस मिलने पर रामलोचन को पता चला कि खरीदी गई जमीन पहले से ही बैंक के पास बंधक है।

रामलोचन ने आरोप लगाया कि उक्त भूखंड पर बैंक द्वारा 20 लाख रुपये का ऋण लिया गया था, लेकिन राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह बंधकनामा खतौनी में दर्ज नहीं कराया गया, जिससे खरीदार को जमीन पर कोई भार न होने का भ्रम हुआ।

जब रामलोचन ने विक्रेता विमलेश यादव से बात कर लोन भरने या रुपये लौटाने की मांग की, तो उसने न केवल इनकार कर दिया, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। पीड़ित ने स्थानीय थाने और पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई न होने पर अंततः न्यायालय की शरण ली।

न्यायालय द्वारा सुनवाई के बाद मालीपुर पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। थाना प्रभारी मालीपुर ने पुष्टि की कि अदालत के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और फर्जीवाड़े की गंभीर कड़ी को उजागर करता है, जिसमें बैंक, विक्रेता और राजस्व विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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