उतरौला बलरामपुर- मोहल्ला सुभाष नगर में स्थित अज़ीज़ जाफ़री के पैतृक आवास पर एक मजलिसे अज़ा का आयोजन किया गया है। 
मजलिस को सम्बोधित करते हुए विश्व विख्यात के इस्लामी स्कॉलर एवं शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जर्नल सिक्रेटरी डॉक्टर यासूब अब्बास साहब क़िब्ला लखनऊ ने आगाज किया। 
मजलिस से पूर्व अनीस उतरौलवी, शुजा उतरौलवी, अली हसन जाफ़र और अली जाफ़री ने अपने अपने अंदाज में कलाम पेश किये। मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि मुहम्मद मुस्तफ़ा ने तमाम मुश्कि लों का सामना करके दीने इस्लाम दुनिया में फैलाया है वहीँ हज़रत ईमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में दीने इस्लाम को अपना ख़ून देखकर ही बचाया है और फिर हज़रत ज़ैनब औरइमामे सज्जाद ने शाम और कुफ़ा में यज़ीद केतमाम अत्याचार सहने के बाद भी मज़हबे इस्लाम को बाक़ी रखा, उस समय का अत्यन्त अत्याचारी क्रूर शासक यज़ीद दीन ए इस्लाम में जुआ, शरा ब और तमाम बुराईयों को दीन का हिस्सा बना ना चाहता था,और इस्लाम को दुनिया से मिटाना चाहता था। इमाम हुसैन इस बात पर राज़ी नही हुए वो नहीं चाहते थे, कि उनके नाना के पवित्र मदीने में जहाँ अल्लाह का घर काबा भी है वहाँ उनका और उनके साथि यों का खून बहे, ईमाम हुसैन ने कर्बला मेंअपने बहत्तर साथियों के साथ  शहादत देकर दुनिया तक दीने इस्लाम को ज़िंदा रखकर ये पैंगाम दे दिया कि ज़ालिम के आगे कभी झुकना नहीं चाहिए बल्कि उसका मुक़ाबला ही करना चाहिए। हमें ईमामहुसैन की शहादत के उद्देश्य को कभी नहीं भूलना चाहिए, तभी हमारेसच्चे हुसैनी होने का हक़ पूरा हो सकेगा, ईमाम हुसैन के मानने वाले ज़ुल्म के ख़िलाफ हमेशा आवाज़ बुलन्द करेगा, चाहे वो अकेला ही क्यों न हो वर्तमान में ईरान इस बात का जीता जागता सबूत है इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद अली ज़ैदी, मौलाना फ़िदा हुसैन, अज़ीज़ जाफ़री, हसनैन आब्दी, मास्टर आमिर, फ़हमीद रज़ा, अली अब्बास,अनीसुल हसन,अंसार हुसैन, आसिफ़ जाफ़री,समीर रिज़वी,जौन जाफ़री, अली मुर्तजा,ज़ैन जाफ़ री, साजिद ईमाम,रज़ा हैदर ज़ुहैर,अब्बास जाफ़री,मोजिज़ अब्बास सहित शिया समुदाय तमाम लोग शामिल रहे।

        हिन्दी संवाद न्यूज से
       असगर अली की खबर
        उतरौला बलरामपुर। 

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