बलरामपुर- एम एल के पीजी कॉलेज बलरामपुर के प्राचार्य प्रोफेसर जे पी पाण्डेय के निर्देशन एवं जिला वि निरीक्षक मृदुलानंद के निर्देशन में 22 जून से 26 जून तक नेचर स्टडी कैंप एंड ट्रेकिंग कैंप प्रादेशिक प्रशिक्षण केंद्र अल्मोड़ा शीतलखेत उत्तराखंड में रोवर प्रभारी डॉ एस के त्रिपाठी और रेंजर प्रभारी डॉ वंदना सिंह , जिला संगठन आयुक्त श्री सिराजुल हक के नेतृत्व में रोवर /रेंजर ने कैंप में प्रतिभा किया ,
जहां पर बलरामपुर के यूनिट लीडर और रोवर/ रेंजर सबसे पहले पहुंच कर शिविर के संचालन में सहयोग किया जिसके बाद शिविर आरंभ हुआ।
शिविर में बलरामपुर के अलावा कई जिलों कानपुर,बलिया, बरेली, फर्रुखाबाद, जबलपुर, आजमगढ़, जौनपुर, हाथरस, आगरा आदि जिलों की टीम सम्मिलित हुई।
पहले दिन का नेचर स्टडी करने सभी टीमें आनंद वालियान के नेतृत्व में एडेश्वर मंदिर गए। जो कि लगभग 1 किलोमीटर का ट्रैक था। उस दिन सभी रोवर/ रेंजर, स्काउट /गाइड एवं यूनिट लीडर पहाड़ों पर रहने वाले समस्याओं का पता चला जिसमें पानी की प्रमुख समस्या थी और दो पौधों के बारे में जानकारी दी गई जिसमें से एक बिच्छू घास था जिसको छू लेने पर बिच्छू काटने जैसा दर्द होता था और इसका असर 24 घंटे तक रहता था और उस दर्द से राहत पाने के लिए दूसरा पौधा काला बांस था जिसके पत्तों को निचोड़कर उसका रस लगने से दर्द को काफी हद तक आराम मिलता था।इसके पश्चात एक दिन का ट्रैक खत्म हुआ और सभी लोग लगभग 1 बजे तक कैंप पर वापस आ गए और 1:30 तक सभी लोगों ने भोजन किया। फिर लगभग रात 8 बजे कैंप फायर की शुरुआत हुई जो रात्रि 10:00 बजे तक चला और 10 बजे तक प्रकाश बंद हो गया जिससे पहले दिन की दिन चर्या समाप्त हो गई।
अगले दिन सभी टीमों की दिनचर्या प्रातः 5:30 बजे से शुरू हो जाती थी प्रातः 6: 30 बजे ग्राउंड पर बी पी 6 के लिए इकट्ठा होते है जिसमें सभी लोगों को योग कराया जाता है जिसमें एक जुंबा डांस था इसको करने से स्वास्थ्य लाभ के साथ बहुत आनंद आया जिसके बाद 8:00 बजे सभी टीमें ग्राउंड पर फ्लैग के लिए एकत्रित होती है और ध्वज शिष्टाचार होता है।उसके पश्चात मौसम को देख कर नेचर स्टडी के लिए सभी टीमें ट्रैक पर रवाना हुई। वहाॅ पर मौसम को बहुत ध्यान में रखना पड़ता था क्योंकि कब बारिश हो जाए और कब धूप निकल जाए कोई पता नहीं रहता था इसी के साथ सभी टीमें प्रादेशिक केंद्र के प्रबंधक श्री त्रिवेंद्रम के साथ द्वितीय दिन का नेचर स्टडी ट्रैक हेडे खान मंदिर का सफर तय किया जो कि 2 किलोमीटर का ट्रैक था सभी रोवर/ रेंजर, यूनिट लीडर अखरोट के पेड़ तथा नासपाती के बगीचे का भ्रमण कर जानकारी प्राप्त करते है। फिर वहाॅ से सभी टीमें वापस आ जाती है थोड़ा आराम करने के पश्चात सायं 4:00 बजे सनसेट प्वाइंट पर जाते है जहां का दृश्य अत्यंत ही विहंगम एवं खूबसूरत थी उसके पश्चात 6:00 बजे तक सभी लोग वापस आ जाते है
दिन भर की थकान को दूर करने के लिए रात्रि 8:30 बजे कैंप फायर होता है जिसमें पर्यावरण पर एक नाटक, देशभक्ति गीत, डांस की प्रस्तुति की गई ।
तृतीय दिवस शिविर की शुरुआत पूर्व निर्धारित समय सारणी के अनुसार आरंभ हुई पुनः प्रातः 10:00 बजे तक सभी टीम नेचर स्टडी के लिए निकल गई उसे दिन हम लोगों की ट्रैक का लक्ष्य पाषाण देवी जी का मंदिर था जो लगभग 3 किलोमीटर का ट्रैक था जिसमें चीड़ के पेड़ से लोहबान कैसे निकला जाता है ये बताया गया और पथरचट्टा पौधे के बारे में बताए गया जो कि पथरी का एक सफल इलाज है जिसके पत्तों को 2 महीने चबा कर खाने से पथरी ठीक हो जाती है एक बांझ के पेड़ के बारे में भी बताया गया जो अपने अंदर पानी को स्टोर कर लेता है और इसके पश्चात हम लोग लगभग 2:30 वापस आ जाते है।
चौथे दिवस सभी टीमें स्याही देवी मंदिर त्रिवेंद्रम सर, मोहित कुमार, अमित सैनी, आनंद वालियान, के नेतृत्व में नेचर स्टडी के लिए निकले जो कि अल्मोड़ा शीतलखेत का सबसे ऊंचा ट्रैक है जिसकी चढ़ाई बहुत ही कठिन और दुर्लभ है इसकी चढ़ाई के प्रारंभ में ही प्रबंधक त्रिवेंद्रम जी ने सभी को सावधान किया कि अगर आपकी सांस बीमारी है तो आप इस ट्रैक पर ना जाएं क्योंकि ट्रैक बहुत ही कठिन था लगभग 20 से 25 परसेंट लोगों ने उस ट्रैक पर चढ़ाई नहीं की तथा शेष ने अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हुए चढ़ाई आरंभ की जिसमें लोगों दिक्कतें और थकान भी हुई इसके साथ साथ लोगो को आडू ,कीवी, काफल के पौधों के बारे में बताया गया और इस पौधों के फल में कौन कौन से विटामिन पाये जाते है उस पौधे के बारे में भी बताया गया जिसको खाने से पेट के कीड़े मर जाते है। ये सब भ्रमण करने के बाद सभी लोग 5 बीजे तो कैंप वापस आ जाते है और उसके पश्चात रात 8 बजे ग्रैंड कैंप फायर होता है जिसमें सभी टीमें की बहुत ही अच्छी प्रस्तुति होती है ।
पांचवे दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम सर्वधर्म प्रार्थना सभा से की गई रोवर प्रभारी डॉ एस के त्रिपाठी और रेंजर प्रभारी डॉ वंदना सिंह एवं प्रबंधक श्री त्रिवेंद्रम, अमित सैनी, मोहित कुमार, आनंद वालियान के नेतृत्व में शिविर समापन का आयोजन किया जाता है शिविर समापन के समय सभी प्रतिभागी झंडा के सम एकत्रित होते हैं और राष्ट्रगान से के साथ ध्वजाअवतरण किया जाता है जिसके पश्चात सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट और गिफ्ट दे कर सभी को सम्मानित किया जाता है और कैंप का समापन हो जाता है।
हिन्दी संवाद न्यूज से
रिपोर्टर वी. संघर्ष
बलरामपुर।
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