मुख्यमंत्री ने ‘संविधान हत्या दिवस’ के अवसर पर आयोजित ‘भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित किया
मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित तथा आपातकाल की त्रासदी पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
लोकतंत्र सेनानियों एवं उनके परिवार के सदस्यों के लिए कैशलेस उपचार की घोषणा
आज ही के दिन 50 वर्ष पूर्व काँग्रेस ने भारत के संविधान का गला घोंटने का काम किया : मुख्यमंत्री
काँग्रेस नेतृत्व की सरकारों ने मौलिक स्वतंत्रता को रौंदने का काम भी संविधान लागू होने के तत्काल बाद से किया
भारत के 144 करोड़ लोग प्रधानमंत्री जी की ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ की परिकल्पना को साकार करने के लिए कार्य कर रहे
आपातकाल की दर्द भरी परिस्थितियों से प्रत्येक नागरिक को अवगत कराने की आवश्यकता, जिससे भविष्य में कोई भी संविधान का गला घोंटने का दुस्साहस न कर सके
लखनऊ : 25 जून, 2025 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि 15 अगस्त, सन् 1947 को भारत आजाद हुआ। 26 नवम्बर, 1949 को डॉ0 भीमराव आम्बेडकर जी के द्वारा भारत के संविधान का ड्राफ्ट तैयार कर संविधान सभा को सौंपा गया। 26 जनवरी, 1950 को देश ने अपना संविधान अंगीकार किया और उसे लागू किया। भारत ने अपने यहां बहुदलीय लोकतांत्रिक संसदीय पद्धति को लागू किया। भारत के लोकतंत्र की यह खूबी है कि उसने भारत के हर वयस्क मतदाता को, चाहे वह किसी भी जाति, मत, मजहब अथवा सम्प्रदाय का हो, समान रूप से मताधिकार की पूरी स्वतंत्रता दी है। भारत के संविधान ने प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार दिए हैं।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन सभागार में आपातकाल की 50वीं बरसी ‘संविधान हत्या दिवस’ के अवसर पर आयोजित ‘भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषयक संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व, उन्होंने आपातकाल की त्रासदी पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री जी ने लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है। हमें दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है। लोकतंत्र की जननी भारत दुनिया में अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखता है। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद 15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिली। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा क्रान्तिकारियों ने अपना बलिदान देकर देश को आजाद कराया और स्वाधीनता के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। लेकिन भारत के बारे में उनका जो सपना था, आजादी के बाद एक परिवार ने उस सपने को अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों की प्रतिपूर्ति का एक माध्यम बना लिया था। आज भी अक्सर उस परिवार की मोह-माया से व्यवस्था जकड़ी हुई दिखायी देती है। इस सच्चाई को सामने लाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिस संविधान को लागू करने तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए विद्यार्थी, युवा, महिला-पुरूष सहित समाज के प्रत्येक तबके के व्यक्तियों ने अनगिनत बलिदान दिये थे, बाबा साहब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर ने अनेक अपमान सहने के बाद भी पूरी बुद्धिमता से जिस संविधान का ड्राफ्ट तैयार कर भारत के नागरिकों को सौंपा था, 25 जून, 1975 को उसी संविधान का गला घोंटने में काँग्रेस को थोड़ा भी समय नहीं लगा। क्या कोई व्यक्ति देश से बड़ा हो सकता है। देश के क्रान्तिकारी नारा देते थे, ‘तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें’। काँग्रेस ने उस स्वप्न को चकनाचूर कर दिया और कहा कि ‘मेरी सत्ता बनी रहे, चाहें लोकतंत्र रहे न रहे’। आज ही के दिन 50 वर्ष पूर्व काँग्रेस ने भारत के संविधान का गला घोंटने का काम किया था। यह ‘हम भारत के लोग‘ का जो संकल्प भारत के संविधान की प्रस्तावना में दिया गया है, ऐसे भारत के नागरिकों की भावनाओं पर कुठाराघात था। यह उनके संकल्पों को कुचलने की एक कुत्सित चेष्टा थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में देर रात्रि में संशोधन करके धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी शब्द जोड़कर भारत की आत्मा पर कुठाराघात किया गया था। यह तथ्य किसी से छुपा हुआ नहीं है। प्रथम आम चुनाव से बनी पं0 जवाहर लाल नेहरू की सरकार से लेकर जब भी काँग्रेस को अवसर मिला, उसने बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर व संविधान को अपमानित करने का कोई मौका नहीं गंवाया। दो दिन पहले ही हमें डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस कार्यक्रम में श्रद्धावनत होने का अवसर प्राप्त हुआ था। कश्मीर भारत का हिस्सा बना रहे, एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे, देश की आजादी के बाद यह नारा डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही दिया था। जब संविधान पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधता है, तो कश्मीर के लिए अलग व्यवस्था क्यों। डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने यही प्रश्न उठाया था और इसीलिए उन्होंने अपना बलिदान भी दिया। कश्मीर में अनुच्छेद-370 लागू करने का पाप और मीडिया के गले को घोंटने के काम काँग्रेस ने किया।
काँग्रेस नेतृत्व की सरकारों ने मौलिक स्वतंत्रता को रौंदने का काम भी संविधान लागू होने के तत्काल बाद से किया। वर्ष 1952 से यह सिलसिला प्रारम्भ हुआ। वर्ष 1975 में लागू आपातकाल उसकी पराकाष्ठा थी। इसके बाद वर्ष 1984 में सिखां का कत्लेआम या श्री राहुल गांधी द्वारा विधेयक की प्रति को फाड़ा जाना, यह सभी कृत्य अलोकतांत्रिक और संविधान का अपमान करने वाले तथा भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भावनाओं के विरुद्ध आचरण करने वाले हैं। इस कृत्य के साथ काँग्रेस का इतिहास जुड़ता हुआ दिखायी देता है।
इतिहास केवल काले अक्षरों का एक समुच्चय नहीं है, बल्कि यह हमें अपनी गलतियों के परिमार्जन करने और अपने गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। हम सभी आज लोकतांत्रिक मूल्यों और अपने मौलिक अधिकारों के साथ ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार होते हुए देख रहे हैं, तो यह भारत के लोकतंत्र के सशक्त होने के कारण है। एक सामान्य परिवार में जन्मा व्यक्ति भी देश का प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति बन सकता है, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारत में बिना भेदभाव के हर नागरिक को एक समान मताधिकार के प्रयोग की स्वतंत्रता है। यह हमें एक रक्षाकवच भी प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में भारत एक ऐसा देश है, जिसने संसदीय लोकतंत्र प्रणाली को अपनाने के साथ ही अपने हर वयस्क मतदाता, चाहे वह महिला हो या पुरुष, को एक समान मताधिकार दिया है। अमेरिका या इंग्लैण्ड में लोकतंत्र लागू होने के कई वर्षों बाद यह अधिकार वहां की महिलाओं को मिला है। इन देशों में कई दशकों तक कुछ लोगों को ही मताधिकार की सुविधा थी। भारत में पहला आम चुनाव वर्ष 1952 में हुआ, तब से लगातार सभी वर्गों के महिलाओं-पुरुषों को एक समान रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों के अधिकार की सुविधा प्रदान की गयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 25 जून, 1975 को जो कुछ भी हुआ, आज यहां लोकतंत्र सेनानियों ने अपने अनुभव के माध्यम से उन परिस्थितियों को व्यक्त किया है। यह लोकतंत्र सेनानी आज भी अपनी जिजीविषा से उन मूल्यों व आदर्शों के लिए जूझते हुए कार्य कर रहे हैं। बाबा साहब डॉ0 आम्बेडकर की लेखनी के माध्यम से भारत के वंचित, दलित तथा गरीब नागरिकों को संविधान का अधिकार प्राप्त हुआ था। काँग्रेस ने इनकी आवाज को दबाने का कार्य किया है। काँग्रेस को अपने कृत्यों के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। आज यह चेहरे बेनकाब हो रहे हैं।
श्री जयप्रकाश नारायण, श्री राज नारायण, स्व0 श्री मुलायम सिंह यादव या आर0जे0डी0 के वर्तमान नेता श्री लालू प्रसाद यादव, यह सभी संविधान का गला घोंटने के खिलाफ किये जा रहे आन्दोलन का हिस्सा थे। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी विपक्ष के वरिष्ठ नेता थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ के पदाधिकारी या भारतीय जनता पार्टी के श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री मुरली मनोहर जोशी तथा श्री राजनाथ सिंह, यह सभी वरिष्ठ नेता काँग्रेस की तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही का विरोध कर रहे थे। इन्होंने अनेक यातनाएं भी झेली।
कुछ लोग कांग्रेस के खिलाफ खड़े तो हुए, परन्तु अपने सत्ता स्वार्थ के कारण आज कांग्रेस के सामने झुकते हुए दिखायी देते हैं। ऐसे लोग लोकतंत्र व संविधान की दुहाई तो देते हैं, लेकिन संविधान का गला घोंटने वाले और बाबा साहब का अपमान करने वालों के साथ भी नजर आते हैं। इनका यह दोहरा चरित्र लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। यह उन मूल्यों व आदर्शों के सामने भी बड़ी बाधा है, जिसका सपना स्वाधीनता संग्राम सेनानियों ने देखा था। आज का दिन उन चेहरों को बेनकाब करने का अवसर दे रहा है।
काँग्रेस ने 25 जून, 1975 के बाद लगातार न केवल विधायिका, बल्कि न्यायपालिका तथा कार्यपालिका के अधिकारों को भी बंधक बना लिया था। मीडिया लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में जानी जाती है। मीडिया को भी सेंसरशिप के माध्यम से पंगु बना दिया गया। उस समय विजुअल और सोशल मीडिया नहीं थी, लेकिन प्रिण्ट मीडिया के मार्ग में बाधाएं खड़ी करने का प्रयास किया गया। जनसत्ता सहित अनेक समाचार पत्रों ने विरोध स्वरूप अपने सम्पादकीय कॉलम को ब्लैंक प्रकाशित किया था। उस समय भी बहुत से लोग ऐसे थे, जो भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपातकाल के समय एक लाख से ज्यादा लोकतंत्र सेनानी गिरफ्तार हुए थे। इनमें अनेक पत्रकार, अधिवक्ता, चिकित्सक, किसान, युवा, महिला, बुजुर्ग, विद्यार्थी सहित अनेक तबकों के लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे। उसी का परिणाम है कि आज भारत का लोकतंत्र पूरी बुलन्दी के साथ आगे बढ़ रहा है। आज जब हम देश को कलंकित करने वाले इस अध्याय के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस संगोष्ठी का हिस्सा बन रहे हैं, तो हमारे सामने बहुत से प्रश्न हैं। काँग्रेस, समाजवादी पार्टी या आर0जे0डी0 जिन्हें जब भी अवसर मिला, उन्होंने परिवारवाद व सत्ता स्वार्थ के लिए संविधान का गला घोंटा, क्या इन्हें संविधान की दुहाई देने का अधिकार है। यह प्रश्न स्वयं जनता द्वारा ऐसे लोगों से पूछा जाना चाहिए। आज जब यह लोग बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर के संविधान की दुहाई देकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम करते हैं, तो इन्हें इस सच्चाई का सामना कराना होगा कि जब भी इन्हें मौका मिला है, इन्होंने लोकतंत्र का गला घोंटा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संकल्पों से प्रेरणा ग्रहण करने का अवसर है, जो उन्होंने संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए लिए थे। भारत के 144 करोड़ लोग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ की परिकल्पना को साकार करने के लिए कार्य कर रहे हैं। लोकतंत्र सेनानियों ने अपने अनुभव हमें बताए हैं। आज की पीढ़ी को इन अनुभवों से प्रेरणा लेनी चाहिए और वास्तविकता से अवगत होना चाहिए। यह लोग बड़ी कठिन दौर से गुजरे हैं। हमें भावी पीढ़ी को इन बातों से अवगत कराना होगा कि कौन लोग हैं, जिन्होंने बाबा साहब डॉ0 आम्बेडकर के सपनों को चकनाचूर करने का काम किया था। आज यही लोग फिर से प्रमाण-पत्र लेकर अपनी साफगोई के बारे में देश के सामने एक नये चेहरे के साथ प्रस्तुत हो रहे हैं। हमें इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व में हमने लोकतंत्र सेनानियों की मासिक पेंशन की राशि में बढ़ोत्तरी की थी। इस बार लोकतंत्र सेनानियों की स्थितियों को देखते हुए उन्हें तथा उनके परिवार के सदस्यों के लिए कैशलेस उपचार की घोषणा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने सभी लोकतंत्र सेनानियों से अपील की कि वह अपने-अपने जनपदों में ऐसे चेहरों को बेनकाब करने का कार्य करें, जिन्होंने वर्ष 1975 में संविधान का गला घोंटने का कार्य किया और जब भी उन्हें अवसर प्राप्त हुआ, उन्होंने संविधान का अपमान किया। 50 वर्षों का यह कालखण्ड लगभग दो युगों के बराबर है, जिसमें दो पीढ़ियां आ चुकी हैं। आपातकाल की दर्द भरी परिस्थितियों से प्रत्येक नागरिक को अवगत कराने की आवश्यकता है, जिससे भविष्य में कोई भी संविधान का गला घोंटने का दुस्साहस न कर सके।
इस अवसर पर विधान परिषद सभापति एवं लोकतंत्र सेनानी कुँवर मानवेन्द्र सिंह, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश खन्ना व जनप्रतिनिधिगण, लोकतंत्र सेनानी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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