शीर्षक: तेरी यादों की तपिश
तेरी यादों की तपिश में जल रहे हैं,
ख़्वाब मेरे सारे चुपके से पिघल रहे हैं।
सवालों का जवाब किससे माँगें हम,
ख़ामोशी के साए ही अब मन में जल रहे हैं।
मिलन की आस में ये दिल बेचैन है,
धड़कनों में तेरा ही नाम पल रहे हैं।
खुद को संभालना अब मुमकिन नहीं,
तेरी चाहत में मेरे अरमान मचल रहे हैं।
जो बीज बोया था प्रेम के बाग़ में,
फिर वही रंग बनकर निकल रहे हैं।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
(स्वरचित)
प्रेम ठक्कर 'दिकुप्रेमी'
9023864367
सूरत, गुजरात
प्रेम
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