मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ : 22 जनवरी, 2025

     उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

उ0प्र0 एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 अनुमोदित

     मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 को अनुमोदित कर दिया है। यह नीति उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) को अवक्रमित करते हुए अगली नीति प्रख्यापन होने तक प्रभावी रहेगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश को एक अग्रणी एयरोस्पेस तथा रक्षा केंद्र बनाना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं, नवाचार एवं वैश्विक सहयोग को गति मिल सके।
नीति का उद्देश्य नवाचार, सहयोग एवं उत्कृष्टता के माध्यम से उत्तर प्रदेश के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाना है। साथ ही, विभिन्न अवधारणात्मक बिन्दुओं यथा, (1) उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यू0पी0डी0आई0सी0) में एक मजबूत, विश्व स्तरीय, उच्च प्रौद्योगिकी और कुशल एयरोस्पेस एण्ड डिफेंस (ए एण्ड डी) विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाना। (2) आवश्यक सुविधा और समर्थन प्रदान करके यू0पी0डी0आई0सी0 में ए एण्ड डी क्षेत्र में वैश्विक और भारतीय निवेशकों को आकर्षित करना। (3) ए एण्ड डी क्षेत्र में आधुनिकतम केंद्र विकसित करने के लिए स्टार्टअप और निवेशकों को आकर्षित करना। (4) उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यू0पी0डी0आई0सी0) में ए एण्ड डी क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आकर्षित करना। (5) उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यू0पी0डी0आई0सी0) में स्टार्टअप और एम0एस0एम0ई0 के कौशल और क्षमता विकास के लिए ए एण्ड डी आधारित सामान्य सुविधा केंद्र बनाना। (6) एम0एस0एम0ई0 को आवश्यक सुविधा और समर्थन प्रदान करके राज्य में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना। (7) ए एण्ड डी क्षेत्र के लिए निर्यात उन्मुख विनिर्माण आधार विकसित करना। (8) राज्य में प्रमुख ए एण्ड डी विनिर्माण परियोजनाओं और डी0पी0एस0यू0 को आकर्षित करना। (9) निरंतर प्रौद्योगिकी उन्नयन के साथ ए एण्ड डी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना। (10) राज्य में उन कंपनियों के विकास को बढ़ावा देना जो ए एण्ड डी में भारत की आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं। (11) ए0आई0 और सॉफ्टवेयर विकास केंद्र को प्रोत्साहित करना। (12) अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के साथ-साथ एक कौशल केंद्र की स्थापना।
नीति का लक्ष्य अगले 05 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने और ए एण्ड डी क्षेत्र में 01 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का है। रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2025-26 तक एयरोस्पेस एण्ड डिफेंस (ए एण्ड डी) उत्पादन को दोगुना करके 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर और निर्यात को 05 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसा आकलन है कि वर्ष 2047 तक एयरोस्पेस तथा रक्षा विनिर्माण क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 25 प्रतिशत योगदान होगा। इसके क्रम में रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 02 औद्योगिक गलियारे (डी0आई0सीज) उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में स्थापित किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 में विभिन्न अनुदान एवं प्रोत्साहन (ग्राण्ट्स एण्ड इन्सेंटिव्स) प्रस्तावित हैं - मेगा एंकर एवं एंकर ए एण्ड डी इकाइयों को अपने भूमि क्षेत्र के 20 प्रतिशत भाग में विक्रेता (वेण्डर) की इकाई स्थापित करने की अनुमति। रक्षा गलियारे के नोड्स में कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा आवंटित भूमि पार्सल के लिए पट्टा किराया 10 वर्ष की अवधि के लिए भूमि लागत का 01 प्रतिशत तथा 10 वर्ष से अधिक अवधि के लिए 1.5 प्रतिशत होगा।
नीति के अन्तर्गत इकाइयों को लैण्ड सब्सिडी के अन्तर्गत रक्षा गलियारे में भूमि के सकल विक्रय मूल्य का 25 प्रतिशत छूट तथा स्टाम्प ड्यूटी छूट के तहत पात्र इकाइयों को भूमि क्रय/पट्टा विलेख (लीज डीड) पर देय स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। स्टाम्प देय पर छूट के लिए स्टाम्प की धनराशि के बराबर की बैंक गारंटी स्टाम्प एवं निबन्धन कार्यालय में सम्बिन्धत शासनादेश के अनुसार जमा की जायेगी।
पूंजीगत उपादान (कैपिटल सब्सिडी) के अन्तर्गत इकाइयां पश्चिमांचल और मध्यांचल में 25 प्रतिशत की दर से पश्चशिरा (बैक एण्डेड) पूंजीगत सब्सिडी के लिए पात्र होंगी। बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र में 35 प्रतिशत की दर से पश्चशिरा (बैक एण्डेड) पूंजीगत सब्सिडी के लिए पात्र होंगी।
परियोजनाएं नीचे दी गई तालिका में दिए गए अनुसार समान वार्षिक किस्तों में संवितरण का लाभ उठा सकती हैं-

ए एण्ड डी विनिर्माण इकाइयों के लिए पूंजीगत सब्सिडी (वितरण अवधि)
कुल सब्सिडी राशि - अवधि
500 करोड़ रुपये तक - 05 वर्ष
500 करोड़ - 1000 करोड़ रुपये तक - 10 वर्ष
1000 करोड़ रुपये से ऊपर - 15 वर्ष

40 प्रतिशत आयातित सेकेंड हैंड मशीनरी पूंजीगत उपादान (कैपिटल सब्सिडी) के लिए पात्र होगी।

परिवहन शुल्क पर छूट (रिबेट ऑन ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज)
(1) संयंत्र और मशीनरी के परिवहन के लिए :- आयातित उपकरण, संयंत्र और मशीनरी के परिवहन पर परिवहन लागत के 50 प्रतिशत की परिवहन सब्सिडी के लिए पात्र होंगी, जो लॉजिस्टिक पार्कों/परिवहन केंद्रों और बंदरगाह/बंदरगाह से राज्य में उत्पादन के स्थान तक होगी। अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये होगी।
(2) तैयार उत्पादों के परिवहन के लिए :- वाणिज्यिक उत्पादन प्रारम्भ होने की तारीख से 05 साल की अवधि के लिए इकाई से लॉजिस्टिक पार्कों/परिवहन केंद्रों, बंदरगाह/बंदरगाह तक तैयार उत्पादों के परिवहन पर घरेलू और निर्यात दोनों के लिए परिवहन लागत के 50 प्रतिशत की परिवहन सब्सिडी के लिए पात्र होंगी, जो प्रति वर्ष 05 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा तक होगी।

हरित अवसंरचना के लिए सब्सिडी (सब्सिडी फॉर ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर)

पर्यावरण संरक्षण अवसंरचना स्थापित करने की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी, अधिकतम 01 करोड़ रुपये। ‘पर्यावरण संरक्षण अवसंरचना’ में एयर वाटर एण्ड स्वायल प्रदूषण को कम करने के कार्य जैसे एस0टी0पी0 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन/कणिका तत्व नियंत्रण प्रणाली/औद्योगिक उत्सर्जन स्क्रबर/इलेक्ट्रॉनिक अवक्षेपक।

सामान्य सुविधा केंद्र/कौशल एवं प्रशिक्षण केंद्र को सहायता (सपोर्ट टू कॉमन फैसिलिटी सेण्टर/स्किलिंग एण्ड ट्रेनिंग सेण्टर)
सामान्य सुविधा केंद्र/कौशल एवं प्रशिक्षण केंद्र राज्य में ए एण्ड डी विनिर्माण के पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने में सहायता करेंगे। राज्य पूंजी निवेश का 50 प्रतिशत एवं प्रति केंद्र अधिकतम 10 करोड़ रुपये प्रदान करेगा।

महिला उद्यमियों को सहायता (सपोर्ट टू वीमेन इण्ट्रेप्रेन्योर्स)
महिला उद्यमियों को सभी लागू सब्सिडी पर अतिरिक्त 02 प्रतिशत प्रदान किया जाएगा।

विपणन सहायता (मार्केटिंग असिस्टेंस)
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार शो और क्रेता-विक्रेता बैठकों में भाग लेने वाले एम0एस0एम0ई0 और स्टार्टअप को स्थापना की तारीख से 05 वर्ष की अवधि के लिए विपणन सहायता।
(1) अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए 15 लाख रुपये। (प्रतिवर्ष 01 आयोजन)।
(2) राष्ट्रीय आयोजनों के लिए 5 लाख रुपये (प्रति वर्ष 01 आयोजन)।

पेटेंट लागत/गुणवत्ता प्रमाणन के लिए प्रोत्साहन (इन्सेंटिव फॉर पेटेंट कॉस्ट/क्वालिटी सर्टिफिकेशन)
उत्तर प्रदेश सरकार पेटेंट पंजीकरण और गुणवत्ता प्रमाणन के लिए किए गए खर्चों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी :-

(1) पेटेंट शुल्क प्रतिपूर्ति : ए एण्ड डी इकाइयों को घरेलू पेटेंट पंजीकरण के लिए पेटेंट शुल्क के 100 प्रतिशत तथा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट पंजीकरण के लिए पेटेंट शुल्क के 50 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति की जायेगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति इकाई 25 लाख रुपये तक होगी, समस्त इकाइयों को देय प्रतिपूर्ति की वार्षिक अधिकतम सीमा 01 करोड़ रुपये होगी। यह प्रतिपूर्ति केवल पेटेंट मंजूरी (ग्राण्ट) होने के बाद ही की जाएगी।

(2) गुणवत्ता प्रमाणन : उत्तर प्रदेश सरकार इस नीति के तहत परिभाषित एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को ए0एस0-9100 श्रृंखला, एन0ए0डी0सी0ए0पी0 आदि जैसे गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। प्रति वर्ष प्रति ए एण्ड डी इकाई अधिकतम 01 लाख रुपये तक प्रमाणन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।

(3) ट्रेडमार्क पंजीकरण : ट्रेडमार्क पंजीकरण आवेदन शुल्क की पूरी तरह से प्रतिपूर्ति की जाएगी, अधिकतम 01 लाख रुपये प्रति इकाई प्रति वर्ष।

प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए सहायता (सपोर्ट फॉर ट्रेनिंग एण्ड स्किल डेवलपमेंट)

(1) मौजूदा कौशल प्रशिक्षण आधार को मजबूत करना : 
जहां भी संभव हो, उत्तर प्रदेश सरकार समय-समय पर सरकारी आई0टी0आई0/पॉलिटेक्निक में उद्योग के परामर्श से ए एण्ड डी क्षेत्र में अनुकूलित पाठ्यक्रम शुरू करेगी।
(2) कौशल विकास को समर्थन देने के लिए सब्सिडी : प्रत्येक रक्षा इकाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 01 वर्ष की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 10,000 रुपये की सीमा तक अधिकतम 20 लोगों को कौशल प्रदान करने की लागत वहन करेगी।
अनुसंधान एवं विकास तथा परीक्षण सुविधाओं के लिए सहायता (असिस्टेंस फॉर रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट एण्ड टेस्टिंग फैसिलिटीज)
राज्य अग्रणी तकनीकी संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र (सी0ओ0ई0) के रूप में विकसित करने के लिए सहायता प्रदान करेगा। एक संस्थान को एक वर्ष में 10 करोड़ रुपये की सहायता मिल सकती है।
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स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर की स्थापना हेतु 166 बेडेड राजकीय संयुक्त चिकित्सालय, बलरामपुर को चिकित्सा शिक्षा विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने तथा जनपद बलरामपुर में स्थापित किए जा रहे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेटेलाईट सेन्टर को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर में परिवर्तित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

     मंत्रिपरिषद ने स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर की स्थापना हेतु 166 बेडेड राजकीय संयुक्त चिकित्सालय, बलरामपुर को चिकित्सा शिक्षा विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने तथा जनपद बलरामपुर में स्थापित किए जा रहे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेटेलाईट सेन्टर को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर में परिवर्तित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने एवं चिकित्सा शिक्षा में रोजगार के सृजन हेतु स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर की स्थापना की जा रही है। इस हेतु 166 बेडेड राजकीय संयुक्त चिकित्सालय, बलरामपुर को चिकित्सा शिक्षा विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किया जायेगा तथा जनपद बलरामपुर में स्थापित किए जा रहे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेटेलाईट सेन्टर को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बलरामपुर में परिवर्तित किया जायेगा। इस नवीन स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना से बलरामपुर एवं उसके आस-पास के जनपदों से बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों को बेहतर व उच्चकोटि की चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकेगा। साथ ही, प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को संवर्धन होगा तथा योग्य चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि हो सकेगी।
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जनपद हाथरस, बागपत एवं कासगंज में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सम्बन्ध में

     मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के असेवित जनपद हाथरस, बागपत एवं कासगंज में भारत सरकार की वायबिलिटी गैप फण्डिंग के अन्तर्गत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर मेडिकल कॉलेज संचालित किये जाने हेतु न्यूनतम निविदादाता का चयन किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता उन जनपदों में मेडिकल कॉलेज की खाले जाने की है, जहां शासकीय अथवा निजी क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी मेडिकल कॉलेज स्थापित नहीं है, इसी क्रम में प्रदेश के असेवित जनपदों में पी0पी0पी0 (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड के अन्तर्गत मेडिकल कॉलेज की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में शासनादेश दिनांक 17.09.2021 द्वारा नीति निर्गत की गयी है।
प्रदेश सरकार की उक्त नीति के अन्तर्गत भारत सरकार की वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) योजना के अन्तर्गत आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 20.09.2022 द्वारा जनपद बागपत, हाथरस एवं कासगंज में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
उक्त योजना के अन्तर्गत जनपद हाथरस, कासगंज एवं बागपत में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जाने हेतु निविदा आमंत्रित की गयी। प्राप्त निविदाओं के तकनीकी एवं वित्तीय मूल्यांकन के पश्चात न्यूनतम निविदादाता के रूप में जनपद-हाथरस में राजश्री एजूकेशनल ट्रस्ट, जनपद-कासगंज में राजश्री एजूकेशनल ट्रस्ट एवं जनपद-बागपत में श्री जयपाल सिंह शर्मा ट्रस्ट को न्यूनतम निविदादाता (एल-1 बिडर) के रूप में उपयुक्त पाया गया।
उक्त योजना के अन्तर्गत पी0पी0पी0 मोड पर जनपद हाथरस, कासगंज एवं बागपत में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जाने हेतु उपयुक्त पाये गये न्यूनतम (एल-1 बिडर) निविदादाताओं जनपद हाथरस में राजश्री एजूकेशनल ट्रस्ट, जनपद कांसगज में राजश्री एजूकेशनल ट्रस्ट एवं जनपद बागपत में श्री जयपाल सिंह शर्मा ट्रस्ट को सफल निविदादाता चयनित किया जा रहा है।
जनपद-हाथरस, कासगंज एवं बागपत में मेडिकल कालेज खोले जाने से जनपद के निवासियों को उत्कृष्ट चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधायें सुचारू रूप से मिल सकेगी तथा मेडिकल कालेज से संबंधित शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक संवर्ग में रोजगार का सृजन होगा।
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स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना में निःशुल्क स्मार्टफोन वितरण
हेतु 25 लाख स्मार्टफोन क्रय किये जाने का अन्तिम बिड डाक्यूमेन्ट अनुमोदित

     मंत्रिपरिषद ने स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत निःशुल्क स्मार्टफोन वितरण किए जाने हेतु 25 लाख स्मार्टफोन क्रय किये जाने के अन्तिम बिड डाक्यूमेन्ट को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना 05 वर्ष के लिये लागू है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4000 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान किया गया है। योजना के अन्तर्गत प्रदेश में स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, कौशल विकास आदि विभिन्न शिक्षण/प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थी युवा वर्ग को स्मार्टफोन निःशुल्क प्रदान करने से वह अपने शैक्षिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सकेंगे, साथ ही, विभिन्न शासकीय/गैर शासकीय तथा स्वावलम्बन योजनाओं में भी इसका सदुपयोग कर सेवारत/व्यवसायरत हो सकेंगे। प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जा सकेगा।
प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाये जाने हेतु स्मार्टफोन वितरित किये जाने की यह एक अभिनव योजना है। इस संबंध में मेसर्स इन्फोसिस द्वारा युवा वर्ग के डिजिटल सशक्तीकरण एवं स्किल डेवलपमेन्ट के उद्देश्य से सी0एस0आर0 ऐक्टिविटी के अन्तर्गत ‘स्प्रिंगबोर्ड’ प्लेटफॉर्म उत्तर प्रदेश सरकार को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें छात्र-छात्राओं के उपयोगार्थ लगभग 3,900 कोर्सेज/प्रोग्राम्स निःशुल्क उपलब्ध हैं। प्रदेश के युवा वर्ग के तकनीकी रूप से सक्षम होने से उन्हें रोजगार सेवायोजन में सहायता प्राप्त होगी।
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टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सहयोग से प्रदेश के 62 राजकीय
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का उन्नयन एवं 05 सेण्टर फॉर
इन्नोवेशन, इन्वेंशन, इन्क्यूबेशन एण्ड ट्रेनिंग की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत

     मंत्रिपरिषद ने टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (टी0टी0एल0) के सहयोग से प्रदेश के 62 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का उन्नयन एवं 05 सेण्टर फॉर इन्नोवेशन, इन्वेंशन, इन्क्यूबेशन एण्ड ट्रेनिंग (सी0आई0आई0आई0टी) की स्थापना किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (टी0टी0एल0) के सहयोग से प्रदेश के 62 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का उन्नयन एवं 05 सेण्टर फॉर इन्नोवेशन, इन्वेंशन, इन्क्यूबेशन एण्ड ट्रेनिंग (सी0आई0आई0आई0टी) की स्थापना किये जाने हेतु राज्य सरकार एवं टी0टी0एल0 के मध्य एम0ओ0ए0 हस्ताक्षरित किया जायेगा।
एम0ओ0ए0 के अनुसार टी0टी0एल0 का वित्तीय अंश 2851.134 करोड़ रुपये एवं व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग का अंश जी0एस0टी0 सहित 499.487 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक चयनित आई0टी0आई0 में 05 हजार वर्गफीट या उससे अधिक बिल्ट अप स्पेस (कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कक्ष इत्यादि) के निर्माण के लिए अनुमानित लागत लगभग 284 करोड़ रुपये को सम्मिलित करते हुए राज्य सरकार का कुल वित्तीय अंश लगभग 783.487 करोड़ रुपये (राज्य का अंश 499.487 करोड़ रुपये निर्माण की लागत 284 करोड़ रुपये) है। इस प्रकार परियोजना की कुल लागत 3634.6209 करोड़ रुपये (टी0टी0एल0 का वित्तीय अंश 2851.134 करोड़ रुपये विभाग का कुल वित्तीय अंश 783.487 करोड़ रुपये) है।
एम0ओ0ए0 की अवधि 11 वर्ष है, जिसमें 01 वर्ष परियोजना क्रियान्वयन की तैयारी हेतु निर्धारित है। हस्ताक्षरित किये जाने वाले एम0ओ0ए0 में प्रथम 05 वर्षों एवं अगले 05 वर्ष की शर्तों तथा दोनो पक्षों के कार्यों का उल्लेख पृथक से किया गया है। 10 वर्ष की अवधि के पूर्ण होने के पश्चात दोनो हस्ताक्षरकर्ताओं की आपसी सहमति के आधार पर नवीनीकृत किये जाने पर तत्समय विचार किया जायेगा।
इण्डस्ट्री 4.0 प्रस्तावों की मांग के अनुसार टी0टी0एल0 द्वारा 62 आई0टी0आईज में 11 दीर्घ अवधि के एवं 23 अल्पकालीन अवधि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों मे से चयिनत कर संचलित किया जायेगा।
टी0टी0एल0 के प्रशिक्षकों द्वारा प्रदेश की उक्त आई0टी0आईज में इन नवीन पाठ्यक्रमों हेतु पूर्व से नियुक्त प्रशिक्षकों एवं साथ-साथ आई0टी0आईज में प्रशिक्षणरत प्रशिक्षणार्थियों को भी दक्ष किया जायेगा।
इससे प्रशिक्षार्थियों को टी0टी0एल0 की सहयोगी कम्पनियों में ओ0जे0टी0 (ऑन जॉब ट्रेनिंग) व डी0एस0टी0 (डुअल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग) करने का अवसर प्राप्त होगा तथा सफल प्रशिक्षार्थियों को टी0टी0एल0 की सहयोगी कम्पनियों एवं अन्य कम्पनियों में अप्रेन्टिसशिप/रोजगार का अवसर प्राप्त होगा।
उन्नयन से दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से प्रति वर्ष लगभग 6,000 अभ्यर्थी तथा अल्पकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से प्रति वर्ष लगभग 6,500 अर्थात कुल लगभग 12,500 अभ्यर्थी प्रशिक्षित होंगे।
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नगर निगम, प्रयागराज, वाराणसी एवं आगरा हेतु म्युनिसिपल बॉण्ड
निर्गत करने तथा अवस्थापना विकास निधि से क्रेडिट रेटिंग इन्हैंसमेण्ट
के लिये धनराशि उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

     मंत्रिपरिषद ने नगर निगम, प्रयागराज, वाराणसी एवं आगरा हेतु म्युनिसिपल बॉण्ड निर्गत करने तथा अवस्थापना विकास निधि (इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट फण्ड) से क्रेडिट रेटिंग इन्हैंसमेण्ट के लिये धनराशि उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि भारत तथा उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या के प्रतिशत में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। शहरों की ओर बढ़ते हुए पलायन के कारण नगरीय जनसंख्या को बेहतर अवस्थापना सुविधाएं तथा विकास के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। अतः नगरीय निकायों को बेहतर अवस्थापना सुविधाएं यथा-पेयजल, सड़क, ड्रेनेज, पथ-प्रकाश आदि प्रदान करने के लिए वित्तीय एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से सुदृढ़ किये जाने की जरूरत है। वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए निकायों को विभिन्न वित्तीय स्रोतों से धनराशि की आवश्यकता होती है। विभिन्न वित्तीय स्रोतों से प्राप्त धनराशि के उपयोग में वित्तीय अनुशासन एवं प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण कड़ी है। अतः निकायों में सुदृढ़ राजकोषीय प्रबन्धन, मार्केटिंग ओरियन्टेशन एवं क्रेडिट वर्दिनेस बढ़ाने के लिए भारत सरकार की प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत म्युनिसिपल बॉण्ड निर्गत करने के लिए धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है।
इस  योजना के अन्तर्गत म्युनिसिपल बॉण्ड के माध्यम से धनराशि मार्केट से रेज करने पर प्रत्येक 100 करोड़ रुपये के सापेक्ष 13 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा तथा 200 करोड़ रुपये के बॉण्ड इशू तक अधिकतम 26 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा। भारत सरकार द्वारा इन्सेन्टिव की धनराशि एस्क्रो एकाउण्ट में डालने का प्राविधान किया गया है। म्युनिसिपल बॉण्ड जारी करने हेतु सभी नगर निगम सेबी (इश्यू एण्ड लिस्टिंग ऑफ म्युनिसिपल डेब्ट सिक्युरिटीज- आई0एल0डी0एम0एस0, 2015 यथा संशोधित, का अनुपालन करते हुए कार्यवाही करेंगे।
भारत सरकार द्वारा निर्गत अमृत 2.0 की गाइडलाइन्स में निकायों द्वारा अपने अंश की धनराशि प्राप्त करने के लिए म्युनिसिपल बॉण्ड निर्गत करने का सुझाव दिया गया है। इसके दृष्टिगत निकायों की क्रेडिट वर्दिनेस बढ़ाने एवं म्युनिसिपल बॉण्ड निर्गत करने के लिए अमृत 2.0 के अन्तर्गत स्टेट लेवल रिफॉर्म्स में सम्मिलित किया गया है।
इन स्थितियों के दृष्टिगत नगर निगम, आगरा में 50 करोड़ रुपये, प्रयागराज में 50 करोड़ रुपये तथा वाराणसी में 50 करोड़ रुपये तक के म्युनिसिपल बॉण्ड निर्गत किया जाना प्रस्तावित है। इन नगर निगमों द्वारा नगर निगम सदन का अनुमोदन प्राप्त करते हुए परियोजनाओं का चयन कर लिया गया है। इस कार्य का सफलतापूर्ण सम्पादन करने हेतु मर्चेन्ट बैंकर्स नियुक्त किये गये है। नगर निगम, आगरा, प्रयागराज एवं वाराणसी के लिए नियमानुसार बिड आमंत्रित कर मे0 ए0के0 कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड, नई दिल्ली को ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त किया गया है।
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फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट एवं फॉर्च्यून
500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन के सम्बन्ध में

     मंत्रिपरिषद ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट (एफ0डी0आई0) एवं फॉर्च्यून 500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति 2023 में अनुमन्य फ्रंट एण्ड लैंड सब्सिडी प्राविधान के अंतर्गत मेसर्स अशोक लीलैंड लिमिटेड को आवंटित भूमि हेतु उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को देय सब्सिडी धनराशि के भुगतान की स्वीकृति के संबंध में इम्पावर्ड कमेटी की दिनांक 27.09.2024 को सम्पन्न बैठक में की गई संस्तुति/निर्णय को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने के दृष्टिकोण से राज्य द्वारा निरन्तर बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि प्रदेश में युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा सके एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था के आकार को वन ट्रिलियन यू0एस0 डॉलर तक पहुंचाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके। फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेन्ट विकासशील एवं उदीयमान बाजार के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट से जहां एक ओर नई तकनीकी एवं बेहतर कार्य संस्कृति प्रदेश में आएगी, वहीं इससे रोजगार सृजन भी होगा। प्रदेश में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से एफ0डी0आई0 नीति 2023 लागू की गई है।
एफ0डी0आई0 नीति 2023 के अंतर्गत पात्र इकाइयों को औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा भूमि लीज पर दिये जाने की दशा में पश्चिमांचल तथा मध्यांचल में भूमि लागत का 75 प्रतिशत एवं बुंदेलखण्ड तथा पूर्वान्चल में भूमि लागत का 80 प्रतिशत ‘फ्रंट एण्ड लैंड सब्सिडी प्रदान की जाएगी। ‘फ्रंट एण्ड लैंड सब्सिडी प्राप्त करने वाली कम्पनी/संस्था को प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि प्राधिकरण के पक्ष में कार्यशील होने/वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने तथा बंधक रखनी होगी। प्राधिकरण द्वारा अनुमन्य अवधि में कार्यशील/वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ नहीं करने की दशा में फ्रंट एण्ड लैंड सब्सिडी की धनराशि प्राधिकरण द्वारा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ कम्पनी/संस्था से वसूल किया जाएगा।
इस नीति के अंतर्गत मेसर्स अशोक लीलैंड द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रस्ताव के क्रम में विहित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए समक्ष स्तर से अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त इन्वेस्ट यू0पी0 के पत्र दिनांक 06.08.2024 द्वारा मेसर्स अशोक लीलैण्ड को एल0ओ0सी0 प्रदान की गई है। मेसर्स अशोक लीलैंड द्वारा प्रस्तावित परियोजना के अंतर्गत आरम्भ में प्रस्तावित सुविधा का आरंभ 2500 बस प्रति वर्ष की क्षमता से किया जाएगा, जिसमें चेसिस असेंबली भी सम्मिलित है। इस सुविधा में एक ‘उत्कृष्टता केंद्र’ भी सम्मिलित होगा। अनुमानित पूंजीगत व्यय लगभग 186 करोड़ रुपये का होगा।
यह परियोजना स्थापित किये जाने हेतु यूपीसीडा द्वारा 70 एकड़ भूमि (2,83,300 वर्ग मीटर) आवंटित की गई है। परियोजना स्थल : प्लॉट संख्या 1-ए पुराना स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड स्थल, राष्ट्रीय राजमार्ग-27ए सरोजिनी नगर विस्तार-1, लखनऊ, उत्तर प्रदेश। आवेदक को पूर्ववर्ती स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड स्थल, राष्ट्रीय राजमार्ग-27, सरोजिनी नगर विस्तार-1, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (मध्यांचल क्षेत्र) में प्लॉट संख्या 1 पर यूपीसीडा के अनुसार भूमि की लागत की गणना निम्नानुसार है :

क्र0सं0                                  मद                                                                               मूल्य  (करोड़ रु0 में)
1                       भूखंड क्षेत्रफल (वर्ग मीटर में)                                                                    2,83,300
2                       एलए प्रीमियम मूल्यांकन (प्रति वर्गमीटर)                                                       4,995
3                       भूखंड का प्रीमियम (1x2)                                                                      141,83,50,500
4                       क्षेत्र शुल्क@5 एकड़ तक प्रीमियम मूल्यांकन का 5 प्रतिशत                         50,53,691.25
5                      कुल प्रीमियम (3+4)                                                                          1,42,01,37,191.25
6                     75 प्रतिशत भूमि सब्सिडी (5 का 75 प्रतिशत)                                         1,06,51,02,893.44
7                     सब्सिडी के उपरांत शेष प्रीमियम (5-6)                                                    35,50,34,297.81

     इस प्रकार एफ0डी0आई0 नीति-2023 के अंतर्गत यूपीसीडा द्वारा मेसर्स अशोक लीलैंड को दी गई भूमि की लागत का 75 प्रतिशत अर्थात 106.51 करोड़ रुपये यूपीसीडा को देय है, जिस पर इम्पावर्ड कमेटी की संस्तुति को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया गया है।
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उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022
के अंतर्गत प्रदेश में मेगा श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों हेतु
विशेष सुविधायें एवं रियायतें अनुमन्य कराये जाने विषयक

     मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अंतर्गत प्रदेश में मेगा श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों हेतु विशेष सुविधायें एवं रियायतें अनुमन्य कराये जाने विषयक शासनादेश सं0 21/2023/1307/77-6-2023-2(एम)/2022 दिनांक 14 अप्रैल, 2023 द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति (एच0एल0ई0सी0) की दिनांक 16 अगस्त, 2024 एवं 15 सितम्बर, 2024 को सम्पन्न बैठक में की गई संस्तुतियों को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में अनुमन्य वित्तीय प्रोत्साहन हेतु अर्ह औद्योगिक इकाइयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट निर्गत किये जाने की संस्तुति किये जाने का अधिकार मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति (एच0एल0ई0सी0) में निहित है। इस उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा की गई संस्तुति पर मंत्रिपरिषद द्वारा अन्तिम अनुमोदन प्राप्त किये जाने की व्यवस्था है।
इन्वेस्ट यू0पी0 द्वारा निम्नलिखित 02 प्रकरणों (मेगा श्रेणी) को उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति के समक्ष विचार विमर्श हेतु प्रस्तुत किए जाने का अनुरोध किया गयाः-

क्रसं   कम्पनी/स्थान/क्षेत्र   निवेश (करोड़ रुपये में)    श्रेणी  अनुरोधित प्रोत्साहन (करोड़ रुपये में)  आवेदन की तिथि  नोडल एजेन्सी के स्तर पर गठित मूल्यांकन समिति की बैठक तिथि
1       त्रिवेणी इंजीनियरिंग एण्ड इण्डस्ट्रीज लि0/मुरादाबाद/पश्चिमांचल             250                   मेगा पूंजीगत सब्सिडी                                29.05.2024                  19.07.2024
2       गैलेंट इस्पात लिमिटेड मिर्जापुर/पूर्वांचल                                   10,749.67                अल्ट्रा-मेगा शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति             15.02.2024                  28.03.2024

     नोडल संस्था द्वारा उपर्युक्तानुसार किए गए अनुरोध के क्रम में उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अन्तर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति की बैठक दिनांक 16 अगस्त, 2024 को सम्पन्न हुई।
इन्वेस्ट यू0पी0 के अनुरोध के क्रम में निम्नलिखित 02 प्रकरणों पर पुनः विचार-विमर्श हेतु दिनांक 15 सितम्बर, 2024 को उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें सी0एच0डब्ल्यू0 फोर्ज प्राइवेट लिमिटेड को एल0ओ0सी0 निर्गत किये जाने तथा वरुण बेवरेजेज लिमिटेड (गोरखपुर इकाई) को पूर्व में दिनांक 28 दिसम्बर, 2023 को निर्गत एल0ओ0सी0 में संशोधन किये जाने पर विचार किया गया।
उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा त्रिवेणी इंजीनियरिंग एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, मुरादाबाद (पश्चिमांचल) इकाई तथा गैलेंट इस्पात लिमिटेड इकाई द्वारा प्रस्तुत आवेदन एवं उस पर नोडल एजेन्सी की संस्तुति के क्रम में उच्चस्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ की स्वीकृति के बिन्दु पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया जाए। साथ ही, सी0एच0डब्ल्यू0 फोर्ज प्राइवेट लिमिटेड को एल0ओ0सी0 की स्वीकृति हेतु आवेदन को मंत्रिपरिषद को अनुमोदन हेतु प्रेषित करने तथा वरुण बेवरेजेज लिमिटेड (गोरखपुर इकाई) को निर्गत एल0ओ0सी0 में संशोधन हेतु प्रकरण को मंत्रिपरिषद को प्रेषित करने की संस्तुति की गई।
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 20 के
अन्तर्गत अभियोजन निदेशालय की स्थापना के सम्बन्ध में

     मंत्रिपरिषद ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 20 के अंतर्गत अभियोजन निदेशालय की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार अपराधमुक्त प्रदेश की संकल्पना को साकार करने में अभियोजन की महती भूमिका के दृष्टिगत सम्पूर्ण राज्य में एकीकृत अभियोजन व्यवस्था स्थापित करने तथा अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए अभियोजन निदेशालय की स्थापना करने हेतु कृत संकल्पित है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के लागू होने के दृष्टिगत प्रभावी एवं निष्पक्ष अभियोजन के लिए प्रदेश में एक स्वतन्त्र अभियोजन निदेशालय स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें एक अभियोजन निदेशक और उतने अभियोजन उप निदेशक हो सकेंगे, जैसा राज्य सरकार समय-समय पर शासनादेशों के माध्यम से नियत करे।
प्रत्येक जिले में भी जिला अभियोजन निदेशालय स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें उतने अभियोजन उप निदेशक और अभियोजन सहायक निदेशक हो सकेंगे, जैसा राज्य सरकार समय समय पर शासनादेशों के माध्यम से नियत करे।
अभियोजन निदेशालय का प्रधान अभियोजन निदेशक होगा, जो राज्य में गृह विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा। कोई व्यक्ति अभियोजन निदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए तभी पात्र होगा, यदि वह अधिवक्ता/अभियोजक के रूप में कम से कम पंद्रह वर्ष तक व्यवसाय में रहा है, सेशन न्यायाधीश है या रहा है। अभियोजन निदेशक के पद की अधिवर्षता पूर्ण होने की आयु साठ वर्ष होगी।
यह भी प्राविधान किया गया है कि अभियोजन निदेशक के किसी आपराधिक मामले में या भ्रष्टाचार के मामले में, या यदि वह अन्यथा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में अक्षम है, तो उसे राज्य सरकार उनके पद से तीन वर्ष की पूर्वोक्त वर्णित अवधि पूर्ण होने से पूर्व ही उसकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर सकती है।
निदेशक अभियोजन, उत्तर प्रदेश का चयन और नियुक्ति अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, गृह विभाग की अध्यक्षता तथा प्रमुख सचिव, न्याय एवं विधि परामर्शी, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश तथा सचिव, गृह विभाग की सदस्यता वाली एक सर्च कमेटी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। निदेशक अभियोजन के चयन की प्रक्रिया सर्च कमेटी द्वारा स्वयं निर्धारित की जाएगी। निदेशक, अभियोजन, उत्तर प्रदेश का न्यूनतम कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
सम्प्रति कार्यरत अभियोजन निदेशालय का सम्पूर्ण अधिष्ठान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 20 के अन्तर्गत स्थापित अभियोजन निदेशालय के रूप में समामेलित हो जाएगा तथा निकट भविष्य में उक्त नवस्थापित अभियोजन निदेशालय हेतु धनराशि पृथकतया आवंटित की जाएगी।
नयी व्यवस्था को सफल एवं प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट की प्रभावशाली भूमिका रहेगी और वह अभियोजन कार्यों तथा अभियोजन कार्यालय के अधिकारियों के कार्यों का पर्यवेक्षण एवं उनकी समीक्षा में पूर्ण रुचि लेंगे। राज्य सरकार इस अधिसूचना के प्रावधानों को लागू करने के उद्देश्य से नियम और विनियम बना सकेगी तथा शासनादेश और निर्देश जारी कर सकेगी।
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आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित नवीन आवासीय परियोजना के लिए ग्राम रहनकलां एवं रायपुर की 442.4412 हेक्येटर भूमि के अर्जन के संबंध में आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा अनुग्रह धनराशि (एक्स ग्रेशिया) दिए जाने तथा औद्योगिक विकास विभाग की अधिसूचना दिनांक 30 दिसम्बर, 2015 में संशोधन के सम्बन्ध में

     मंत्रिपरिषद ने आगरा विकास प्राधिकरण की 100 मी0 चौड़ी इनर रिंग रोड एवं लैण्ड पार्सल योजना हेतु ग्राम रहनकलां एवं रायपुर, जनपद आगरा की 442.4412 हेक्टेयर भूमि के अर्जन के संबंध में वर्ष 2010 की सर्किल दर के अनुसार आगणित दर एवं वर्तमान सर्किल दर के अनुसार आगणित दर के अन्तर की धनराशि 204.34 करोड़ रुपये को अनुग्रह धनराशि (एक्स ग्रेशिया) के रूप में दिए जाने सम्बन्धी आगरा विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव तथा उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के ‘औद्योगिक विकास क्षेत्र’ से ग्राम रहनकलां एवं रायपुर की प्रश्नगत भूमि को पृथक करने के लिए औद्योगिक विकास विभाग की अधिसूचना दिनांक 30 दिसम्बर, 2015 को तद्सीमा तक संशोधित करके का प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इस प्रस्ताव पर अनुमोदन से आगरा विकास प्राधिकरण को आवासीय योजना हेतु लैण्ड बैंक उपलब्ध होगा तथा उक्त क्षेत्र का सुनियोजित विकास सुनिश्चित हो सकेगा। अवस्थापना सुविधाओं यथा-महायोजना मार्ग, खुले स्थल, एस0टी0पी0 व अन्य जनसुविधाओं के विकास के लिए विकास प्राधिकरणों को विभिन्न शुल्कों के रूप में वित्तीय संसाधन उपलब्ध रहेंगे। इस निर्णय से राज्य सरकार पर किसी प्रकार व्यय भार नहीं आयेगा।
इस प्रस्ताव पर अनुमोदन से ग्राम रहनकलां व रायपुर की प्रश्नगत भूमि से सम्बन्धित किसानों/हितबद्व व्यक्तियों को वांछित प्रतिकर का भुगतान हो सकेगा तथा सुनियोजित विकास को बढ़ावा मिलने से जनसामान्य को बेहतर आवासीय भूखण्ड/आवास उपलब्ध होंगे। प्राधिकरण की आवासीय योजना संचालित होने से सुनियोजित विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी सम्भावित है।
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