मातेश्वरी जगदंबा धैर्यता की अवतार थीं ज्ञान और पवित्रता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी मां जगदम्बा –बहन जी

बड़ी श्रद्धा से मनाया गया मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी का 59वां पुण्य स्मृति दिवस 

मध्य प्रदेश पन्ना

लोकेशन=पन्ना

अशोक विश्वकर्मा 

 

 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा जी के 59वें पुण्य स्मृति दिवस जिसे संस्थान *आध्यात्मिक ज्ञान दिवस* के रूप में मानती है के उपलक्ष्य पर पन्ना सेवाकेंद्र में एक विशेष कार्यक्रम रखा गया। जिसमें मातेश्वरी जी की शिक्षाओं को याद करते हुए उन्हें सभी भाई-बहनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

          इस अवसर पर बीके सीता बहन जी ने मातेश्वरी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां जगदम्बा सरस्वती जिन्हें ओम राधे के नाम से भी जाना जाता था, दिव्य गुणों, श्रेष्ठ आचरण एवं मातृत्व स्नेह के कारण सभी उन्हें प्यार से मां कहते थे। ओम राधे ने मात्र 17 वर्ष की आयु में अपना संपूर्ण जीवन ईश्वरीय मार्ग में समर्पित कर दिया। विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति ममता और करुणा की भावना से पूर्ण मां जगदंबा ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका बनी

 *”मातेश्वरी जगदंबा धैर्यता की अवतार थीं”*

मातेश्वरी की धैर्यता की देवी थीं। उन्होंने कहा की मातेश्वरी जी कभी जल्दबाजी नहीं करती थीं। मातेश्वरी जी शांति का अवतार थीं। कोई भी उनके सामने आते ही शांत हो जाता था। मातेश्वरी जी अपने से छोटों को भी बहुत सम्मानजनक सूचक शब्दों से संबोधित करती थीं। मां जगदम्बा का जीवन सादगी और सरलता संपन्न था। मातेश्वरी जी की स्मृति मात्र से ही मन भाव विभोर हो जाता है।

         मातेश्वरी जी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए हजारों नारियां सृष्टि परिवर्तन के पद पर चल पड़ी और श्वेत वस्त्रधारियों का यह कारवां निरंतर वृद्धि को पाते हुए अपनी मंजिल की ओर गतिमान है। वर्तमान समय में लाखों ब्रह्माकुमारी बहनें मूल्यनिष्ठ समाज की पुनर्स्थापना के लिए निरंतर सक्रियता पूर्वक समाज को एक नई दिशा दे रही हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में नारियों को जो सम्मान प्राप्त हो रहा है वह मातेश्वरी जगदम्बा जी के अज्ञानता के विरुद्ध आध्यात्मिक चेतना के उत्कर्ष का फल है।

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