राजकुमार गुप्ता
मथुरा।वृन्दावन।गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय श्रीपंच राधावल्लभीय निर्मोही अखाड़ा (श्रीहित रासमण्डल) में श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे रसिक संत वैद्यभूषण श्रीश्री 1008 श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज के 133 वें नवदिवसीय जन्म महामहोत्सव के अंतर्गत व्यासपीठ से आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर सुविख्यात भागवत प्रभाकर मारुति नंदनाचार्य वागीश महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रदभागवत कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भागवत कथा एक आध्यात्मिक चिकित्सा है।ये ग्रंथ रूपी अमृत की सार्वजनिक प्याऊ है, जो प्रत्येक जीव की अंतरात्मा की तृप्ति का मुख्य श्रोत है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने जीवन में अभिमान नहीं करना चाहिए।क्योंकि अभिमान ही व्यक्ति के पतन का मुख्य कारण है।राजा परीक्षित अत्यंत धर्मात्मा व परोपकारी थे।परन्तु कलियुग रूपी अभिमान के वशीभूत होकर वे ऋषि का अपमान कर बैठे और पाप के भागी बने।जिस कारण उन्हें ऋषि द्वारा श्राप दिया गया।तब श्रीमद्भागवत महापुराण की शरण लेने से ही राजा परीक्षित का कल्याण हुआ।इसीलिए इसे जीव के कल्याण का सर्वोत्तम उपाय बताया गया है।
महोत्सव में बाद ग्राम स्थित श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि आश्रम के महंत दंपति किशोर शरण महाराज (काकाजी), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, भागवताचार्य राम प्रकाश भारद्वाज मधुर, लालू शर्मा, ठाकुर दिनेश सिंह तरकर, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, नवलदास पुजारी, रासाचार्य देवेन्द्र वशिष्ठ, पण्डित राधावल्लभ वशिष्ठ, इन्द्र कुमार शर्मा, प्रियावल्लभ वशिष्ठ, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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