सी.एम.एस. गोमती नगर द्वारा ‘वार्षिक समारोह’ का भव्य आयोजन

लखनऊ, 28 दिसम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर प्रथम कैम्पस द्वारा आयोजित ‘वार्षिक समारोह’ में  नाचते-गाते बच्चों की बहुमुखी एवं बाल सुलभ प्रतिभा को देखकर अभिभावक गदगद हो गये। कार्यक्रम में भारी संख्या में उपस्थित अभिभावकों ने अपने नन्हें-मुन्हों की खूब हौसलाअफजाई की और बच्चों ने भी बड़े उत्साह से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वार्षिक समारोह का आयोजन सी.एम.एस. गोमती नगर द्वितीय कैम्पस आॅडिटोरियम में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में पधारी सुश्री अपर्णा कुमार, आई.पी.एस., इन्सपेक्टर जनरल आॅफ पुलिस, पीएसी, सेन्ट्रल जोन, ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सुश्री अपर्णा कुमार ने कहा कि बच्चों को अच्छा संसार देने की शुरूआत घर-परिवार से करनी चाहिए, क्योंकि प्रेममय व ईश्वरमय वातावरण में बच्चों का संतुलित विकास बहुत तेजी से होता है। यही बच्चे आगे चलकर समाज के अच्छे नागरिक सिद्ध होंगे। 

इससे पहले, समारोह का शुभारम्भ बच्चों द्वारा प्रस्तुत सर्व-धर्म प्रार्थना से हुआ जिसने सभी के हृदयों को प्रभु प्रेम से भर दिया। विश्व शान्ति प्रार्थना में बच्चों ने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय ध्वज हाथों में लेकर ‘सारे विश्व में शान्ति हो’ का जयघोष बड़े ही प्रभावशाली ढंग से किया। विभिन्न प्रान्तों के लोक नृत्यों के प्रस्तुतीकरण द्वारा अनेकता में एकता, सहयोग, सहकार एवं सामूहिकता का अभूतपूर्व एवं विराट दृश्य प्रस्तुत करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत स्वागत गान, लघु नाटिका, आर्केस्ट्रा, ड्रिल, कव्वाली, इण्टरनेशनल डांस, समूह गान आदि विभिन्न शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों को सभी ने खूब सराहा। इस अवसर पर छात्रों ने वल्र्ड पार्लियामेन्ट की शानदार प्रस्तुति से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था की स्थापना एवं उसके प्रति सम्मान हेतु ”विश्व संसद“ बनाने की आवश्यकता की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया।

सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) की प्रधानाचार्या श्रीमती आभा अनन्त ने कहा कि बच्चों को अच्छा और स्मार्ट बनाने का विद्यालय का लक्ष्य अभिभावकों के सहयोग से ही पूरा हो सकता है। उन्होंने विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में अभिभावकों के सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि समारोह का उद्देश्य बच्चों को इस तरह का प्रशिक्षण देना है कि वे अपनी रचनात्मक ऊर्जा का सदुपयोग कर सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करने हेतु सदैव तत्पर रहें।


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