20 सितंबर की शाम को इमरजेंसी में कुछ अराजकतत्वों ने जूनियर रेजिडेंट-सीनियर रेजिडेंट की पिटाई कर दी थी। 21 सितंबर से ही जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर थे और हर दिन आईएमएस निदेशक कार्यालय पर बैठे रहे। उनकी इमरजेंसी गेट पर पुलिस चौकी स्थापित करने, यहां बायोमेट्रिक सिस्टम वाले गेट लगवाने, बाउंसरों की संख्या बढ़ाए जाने के साथ ही हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग थी। मंगलवार को दोपहर में लंका पुलिस ने मामले में बीएचयू के दो छात्रों को गिरफ्तार किया। इसके बाद सुबह करीब 11 बजे जूनियर डॉक्टर काम पर लौट आए।ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक रही मरीजों की भीड़
मेडिसिन, न्यूरोलॉजी, सर्जिकल आंकोलॉजी, टीबी एंड चेस्ट, हृदय रोग विभाग सहित कई विभागों की ओपीडी में लोग पर्चा जमाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। वहीं पैथालॉजी केंद्र पर भी जांच कराने वालों की लंबी लाइन लगी रही।
कब क्या हुआ।
20 सितंबर: इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों की पिटाई।
21 सितंबर: बीएचयू अस्पताल-ट्रॉमा सेंटर में तैनात जेआर-एसआर हड़ताल पर गए। इस वजह से मरीजों को बिना जांच, इलाज लौटना पड़ा।
22 सितंबर: जेआर-एसआर से आईएमएस निदेशक समेत कई अधिकारियों की बातचीत। लेकिन हड़ताल खत्म नहीं हुई। मरीजों का संकट बरकरार रहा।
23 सितंबर: जेआर-एसआर ने आईसीयू-इमरजेंसी में सेवा न देने की धमकी दी लेकिन एसीपी भेलूपुर और बीएचयू अधिकारियों के आश्वासन पर इसको वापस लिया।
24 सितंबर: बीएचयू अस्पताल के वार्डों में सेवा न देने का निर्णय। नर्सिंग छात्रों ने इमरजेंसी समेत अन्य वार्डों में मरीजों की सेवा कार्य किया।
25 सितंबर: मांगें पूरी न होने के विरोध में आईएमएस निदेशक कार्यालय से चीफ प्रॉक्टर कार्यालय, इमरजेंसी गेट पर प्रदर्शन किया।
26 सितंबर: दो हमलावरों की गिरफ्तारी होने के बाद काम पर लौट आए।

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