सनबीम छात्रा हत्याकांड: जहां रोज गूंजती थी बिटिया की चहक, वहां अब सिसकियां ही सिसकियां
▪️परिवार के करुण क्रंदन से लोगों के कलेजे भी गए दहल, हर एक आंख में दिखे आंसू
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#अयोध्या।
======= गुरुवार तक जिस घर में रोजाना बिटिया की चहक गूंजती थी शनिवार को वहां चित्कार और सिसकियों से लोगों की आंखें आसुओं से भरती गईं। पिता के आवास पर जुटी लोगों की भीड़ बेटी की मौत से अवाक दिखी। हर कोई एक दूसरे से इस अनहोनी को लेकर सवाल पूछता दिखाई दिया। घर के भीतर से रह रह कर आती विलाप की आवाजें और करुण क्रंदन लोगों के कलेजे दहला रहा था।
      शनिवार सुबह तक बेटी की मां को कुछ भी नहीं बताया गया था। वह अपनी बड़ी बेटी के यहां इंदौर गईं थीं, उन्हें बस जल्दी घर आने के लिए कह कर बुलाया गया था। वह रात 11 बजे यहां पहुंची तो घर का माहौल देख हतप्रभ रह गईं, बताया जाता है तब भी उन्हें बेटी की तबियत खराब होने की जानकारी दे संभाला गया। 
       वहीं शनिवार पोस्टमार्टम के बाद जब छात्रा का शव घर पहुंचा तब सबके सब्र का बांध टूट गया। जैसे ही मां को जानकारी मिली वह पछाड़ खाकर गिर गईं। परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभालने की कोशिश की लेकिन बार-बार वह बेसुध होतीं जा रहीं थीं। बस बेटी का नाम बुलाकर सुधबुध खो बैठतीं। मां के साथ इंदौर से आई बड़ी बहन भी किसी के संभाले नहीं संभल रही थी। वह भी बहन को पुकारते पुकारते बेहाल हुई जा रही थी। 
       पिता तो जहां के तहां जड़ होकर बैठे रहे, रात भर रोते-रोते उनकी आंखें सूज चुकी थीं। बस इतना कहते कहां चली गई हमारी बिटिया रानी, कल ही तो कह रही थी पापा गर्मी की छुट्टी हो गई कहीं बाहर घूमने चलें। दोपहर जैसे ही बिटिया शव घर पहुंचा वैसे पूरे इलाके ही नहीं शहर उमड़ पड़ा। भीड़ जुटती देख पुलिस का बंदोबस्त भी तगड़ा कर दिया गया। 
        इस दौरान जुटे लोग भी खुद को न संभाल पा रहे थे न समझा पा रहे थे। वहां भीड़ मौजूद एक लोग ने कहा - कुछ समझ नहीं आ रहा है, सारा दोष तो स्कूल का दिख रहा है। तो वहीं एक और लोग बोले जो भी जिम्मेदार हो उसे सख्त से सख्त सजा मिले। इतने ही देर में परिवार के अन्य नाते-रिश्तेदारों का पहुंचना शुरू हो गया तो एक बार फिर माहौल में करुण क्रंदन की गूंज लोगों को भाव विह्वल करती रही। 
         घर परिवार की लाडली बेटी की दर्दनाक मौत से उबर पाना संभव नहीं है। बेटी के साथ उसके संजोए सपनों की भी मौत हो गई। परिवार वालों की माने तो छात्रा बड़ी होकर चिकित्सा और सिविल सर्विस के क्षेत्र में जाना चाहती थी। इसके लिए वह लगातार तैयारी में भी लगी हुई थी। दिन और रात सपनों को पूरा करने के लिए कुलांचे मारने वाली बेटी की मौत से उसके और माता - पिता के संजोए सपने भी टूट गए।

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