उतरौला (बलरामपुर)
रमज़ान पर बाजारों में सेहरी और अफ्तार की दुकानों पर रोजेदारों की भारी भीड़ दिखाई दे रही है। सेहरी, रोजा और अफ्तार के लिए कुछ अलग व्यंजन भी बाजार में मौजूद हैं। 
जो रमज़ान बीत जाने के बाद बाजारों में दिखाई नहीं पड़ते। जहां लोग दूध फैनी,दही के साथ सेहरी कर रोजे की शुरुआत करते हैं, वहीं खजूर,फल, नुक्ती समेत अनेक व्यंजनों को अपनी अफ्तार में शामिल रखते हैं। अफ्तार के लिए अफजल मानी जाने वाली खजूर की कई वैरायटियां भी बाजार में मौजूद हैं। इसके अलावा फलों की बिक्री भी इस दौरान बढ़ गई है।

*एकता कायम करने की सलाह देता है रमजान*

मौलाना बरकत अली मुशाहिदी ने बताया कि इस मुबारक महीने में किसी तरह के झगड़े या गुस्से से ना सिर्फ मना फरमाया गया है बल्कि किसी से गिला शिकवा है तो उससे माफी मांग कर समाज में एकता कायम करने की सलाह दी गई है। इसके साथ एक तय रकम या सामान गरीबों में बांटने की हिदायत है जो समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत ही मददगार है।
चांद की तस्दीक के साथ ही रमजान का पवित्र माह शुरू हो गया है। बरकतों के इस महीने के खत्म होने पर ईदुल फितर का त्योहार मनाया जाएगा। इस पूरे माह मुसलमान रोजा, नमाज़, तरावीह, तिलावते कुरआन करेंगे।
मुस्लिम आबादियों में रमजान की आमद से काफी चहलपहल दिखाई दे रही है। हर रात होने वाली तरावीह (विशेष नमाज) के लिए मुसलमान भारी तादाद में पहुंच रहे हैं। मस्जिदों में  प्रतिदिन पानी, सफाई,चटाई के माकूल इंतजाम किए जा रहे हैं।
सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। तरावीह की नमाज आम दिनों में पढ़ी जाने वाली पांच वक्त की नमाजों से अलग होती है। इस माहे मुबारक के बहाने अल्लाह तआला अपने बंदों को नेकी की दावत देता है। इसका लोगों को भरपूर फायदा उठाना चाहिए। अल्लाह तआला की राह में सदका व खैरात की बड़ी फजीलत है। कुरआन के मुताबिक, माहे रमजान में एक दाना खर्च करने का सवाब सत्तर गुना बढ़ जाता है। लोगों को इस माहे मुकद्दस में ज़कात, सदकात व खैरात करना चाहिए।

असगर अली 
उतरौला 

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